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कुत्तों में बढ़ी हिंसात्‍मक प्रवृत्ति से रेबीज के जबड़े में फंसा मेरठ, पढ़िए रोजाना कितने बन रहे शिकार Meerut News

चौपाया कोई भी जानवर काट ले तो तुरंत डाक्टर से परामर्श लें। 24 घंटे के भीतर ही पहली वैक्‍सीन लगवा लेनी चाहिए। हररोज लोग कुत्‍तों का शिकार बन रहे हैं। सावधानी बरतनी बेहद जरूर है।

By Prem BhattEdited By: Published: Tue, 01 Oct 2019 10:51 AM (IST)Updated: Tue, 01 Oct 2019 10:51 AM (IST)
कुत्तों में बढ़ी हिंसात्‍मक प्रवृत्ति से रेबीज के जबड़े में फंसा मेरठ, पढ़िए रोजाना कितने बन रहे शिकार Meerut News
कुत्तों में बढ़ी हिंसात्‍मक प्रवृत्ति से रेबीज के जबड़े में फंसा मेरठ, पढ़िए रोजाना कितने बन रहे शिकार Meerut News

मेरठ, जेएनएन। जिस जिले में रोजाना दो सौ से ज्यादा लोग आवारा कुत्तों के शिकार हो जाते हैं, वहीं जिंदगी रेबीज की गिरफ्त से महफूज नहीं। दुनिया की सबसे जानलेवा बीमारी रेबीज मेरठ में बड़ी संख्या में जान ले चुकी है। स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट से पता चला कि जनवरी 19 से अब तक 55 हजार से ज्यादा लोग रेबीज के निशाने पर आ गए। उधर, सैकड़ों मरीजों को वैक्सीन की कमी से सुरक्षा नहीं मिली।

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रेड जोन में मेरठ

स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट बताती है कि मेरठ में रेबीज वैक्सीन की खपत का आंकड़ा पड़ोसी जिलों से ज्यादा है। चीफ फार्मासिस्ट वीके सिंह बताते हैं कि वैक्सीन का संकट लंबे समय से है। हर माह एंटी रेबीज वैक्सीन के लिए दो हजार वॉयल की डिमांड है, जबकि प्रदेश सरकार ने 950 का कोटा फिक्स कर दिया है। सीएचसी-पीएचसी, अर्बन हेल्थ सेंटर में एंटी रेबीज वैक्सीन लगाई जाती है।

सौ फीसद जानलेवा बीमारी

रेबीज वायरस कुत्ता, बंदर, लोमड़ी, सियार, तेंदुआ, बिल्ली, बाघ, शेर, फिशिंग कैट चमगादड़, नेवला और चूहा के काटने पर भी शरीर में संक्रमित हो सकता है। ये वायरस खून में मिलकर दिमाग में पहुंचता है। दिमाग की ङिाल्लियों में सूजन के साथ ये मरीज में हाइड्रोफोबिया बना देता है। रोगी को पानी से डर लगता है। मुंह से लार निकलती है। मरीज कुत्ते की तरह आवाज निकाल सकता है। मौत तय होती है।

पहला इंजेक्शन 24 घंटे में ले लें

रेबीज रोग की रोकथाम के लिए अस्पतालों में एंटी रेबीज वैक्सीन के इंजेक्शन लगाए जाते हैं। इससे बचाव हो सकता है। नियमानुसार पहला इंजेक्शन 24 घंटे के अंदर, दूसरा तीन दिन बाद, तीसरा सात दिन बाद, चौथा 14 दिन बाद और पांचवा 28 दिन के बाद लगाया जाता है। घाव में डिटाल न लगाएं। इसे बहते पानी में साबुन लगाकर साफ करने से ज्यादातर वायरस पानी के साथ बह जाते हैं।

एक नजर यह भी

आवारा कुत्तों की नसबंदी एवं एंटीरेबीज वैक्सीनेशन का टेंडर होना चाहिए।

नगर के आसपास मीट कारोबार पर नियंत्रण होना चाहिए।

मीट कारोबार से कुत्ते और हिंसक हो जाते हैं।

वन्य क्षेत्र में सियार और बंदर भी हर साल बड़ी संख्या में लोगों को काटते हैं।

बंदरों के आतंक से घरों में पिंजरा

पत्थरवालान, बुढ़ाना गेट, सुभाष बाजार, सरायलाल, ठठेरपाड़ा, स्वामी पाड़ा, कानून गोयान, थापर नगर, सोती गंज, फूलबाग कालोनी, तिलक रोड, मानसरोवर, साकेत, शर्मा नगर, जवाहर क्‍वार्टर, खैरनगर, लाल का बाजार, शहर सर्राफा, गंगानगर, राधा गार्डन, मीनाक्षीपुरम, कसेरू बक्सर, शताब्दी नगर, माधवपुरम, टीपी नगर, गुरुनानक नगर, ब्रह्मपुरी, भगवतपुरा, मलियाना, शास्त्रीनगर, जाग्रति विहार, सोफीपुर, शाइन सिटी, पल्लवपुरम, कंकरखेड़ा, शिवलोकपुरी में बंदरों का आतंक ऐसा है कि लोग घरों में लोहे का पिंजडा लगाते हैं।

इनका कहना है

चौपाया कोई भी जानवर काट ले तो डाक्टर से परामर्श लें। कई बार दुधारू पशुओं में भी रेबीज संक्रमण देखा गया है। सिर्फ वैक्सीन ही इलाज है। अब तक दुनिया में सिर्फ पांच मरीज बचाए जा सके हैं। 24 घंटे के अंदर पहली वैक्सीन लेना चाहिए।

- डा. राजकुमार, सीएमओ

मीट एवं मछली कटान वाली बाजारों के आसपास कुत्तों का व्यवहार खुंखार हो जाता है। भोजन न मिलना, बीमारी व आपस में झगड़ने से भी कुत्तों में रेबीज फैलता है। कई बार बंदर वन्य क्षेत्र से रेबीज वायरस लेकर गांवों में पहुंच जाता है।

- अंशुमाली वशिष्ठ, एनिमल केयर सोसायटी 


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