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आयुष्मान में मरीज भर्ती घोटाला : तीन ने भरोसा खोया..61 अस्पतालों पर बैठी जांच Meerut News

नेशनल हेल्थ अथॉरिटी ने आयुष्मान योजना में शामिल चंद अस्पतालों में गड़बड़झाला क्या पकड़ा पैनल के सभी अस्पताल शक के दायरे में आ गए हैं।

By Prem BhattEdited By: Published: Wed, 27 Nov 2019 09:55 AM (IST)Updated: Wed, 27 Nov 2019 09:55 AM (IST)
आयुष्मान में मरीज भर्ती घोटाला : तीन ने भरोसा खोया..61 अस्पतालों पर बैठी जांच Meerut News
आयुष्मान में मरीज भर्ती घोटाला : तीन ने भरोसा खोया..61 अस्पतालों पर बैठी जांच Meerut News

मेरठ, [संतोष शुक्ल]। नेशनल हेल्थ अथॉरिटी ने आयुष्मान योजना में शामिल चंद अस्पतालों में गड़बड़झाला क्या पकड़ा, पैनल के सभी अस्पताल शक के दायरे में आ गए हैं। केंद्र सरकार के निर्देश पर मुख्य विकास अधिकारी की अगुआई वाली ऑडिट टीम पैनल के सभी अस्पतालों में मानकों की नए सिरे से पड़ताल करेगी। खामियां मिलने पर लाइसेंस निरस्त होगा।

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एंटी फ्रॉड टीम ने पकड़ा ‘खेल’

प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना की स्टेट एजेंसी ने 13 नवंबर को जिलाधिकारी अनिल ढींगरा को पत्र भेजकर पैनल के अस्पतालों की पड़ताल के लिए कहा है। नेशनल हेल्थ अथॉरिटी की एंटी फ्रॉड कमेटी की जांच में कई अस्पतालों में फर्जी इलाज की बात सामने आई। गंगानगर स्थित अप्सनोवा में जांच के दौरान आइसीयू में एक ही आरएमओ मिला।

आनंद में 300 की जगह मिले 250 बेड

आनंद अस्पताल में 300 बेड के दावों की जगह सिर्फ 250 बेड मिले, वहीं जगदंबा अस्पताल में ओपीडी के मरीजों को भर्ती दिखाया गया था। सीडीओ ईशा दुहन की अगुआई में सीएमओ डा. राजकुमार, एसीएमओ डा. पूजा शर्मा, फिजीशियन डा. अनुराग वाली जांच कमेटी सभी अस्पतालों में पड़ताल कर शासन को रिपोर्ट भेजेगी। जांच कमेटी अस्पतालों के आवेदन से वहां के मैनपावर, बेडों की संख्या, आइसीयू व ट्रॉमा मैनेजमेंट एवं अन्य मानकों का मिलान करेगी। बायोमीटिक मशीन का निरीक्षण किया जाएगा।

यहां ज्यादा मरीजों का इलाज

अस्पताल पंजीकृत संख्या

अप्स नोवा अस्पताल 1135

मेडिकल कॉलेज 792

केएमसी 667

जगदंबा 606

जिला अस्पताल 409

इनका कहना है

ओपीडी के मरीजों को भर्ती दिखाकर बिल बनाया गया। एंटी फ्रॉड टीम की पकड़ में आने के बाद शासन ने सभी 61 अस्पतालों की नए सिरे से जांच के लिए कहा है। पांच सदस्यीय टीम बन चुकी है।

- डा. राजकुमार, सीएमओ

अस्पतालों में अनियमितता मिले तो तत्काल कारवाई करें, इसका स्वागत है, लेकिन पैनल के रुके पैसों के भुगतान की भी बात हो। संपन्न परिवारों ने भी अपना नाम लाभार्थियों में शामिल करवाया, जिससे अस्पतालों में नकद का फ्लो बंद हो गया है।

- डा. सुनील गुप्ता, सीएमडी, केएमसी

प्रधानमंत्री की सोच अच्छी है, किंतु इसमें पैकेज का रेट इतना कम होने से चंद अस्पतालों ने भ्रष्टाचार की गुंजाइश बनाई। प्राइवेट मेडीक्लेम की तरह सरकार भी अस्पतालों पर कड़ाई से सर्विलांस रखे।

- डा. शिशिर जैन, अध्यक्ष, आइएमए 


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