नवजात को जीवन देने के साथ सूनी गोद भरेगा 'पालना'
लावारिश, परित्यक्त और अनाथ नवजातों को बचाने के लिए शुरू की योजना। पालन योजना के तहत मंडल के जिले में शिशु स्वागत केंद्र खोजने की तैयारी।
मेरठ। (नवनीत शर्मा) अनचाहे नवजात अब नाले या कूड़े के ढेर में जानवरों का निवाला नहीं बनेंगे। प्रदेश सरकार ने लावारिश और लोक लाज के भय से फेंके गए शिशुओं को बचाने के लिए पालना योजना तैयार की है। इसके तहत जल्द ही मेरठ के पीएचसी, सीएचसी, राजकीय बाल गृह, जिला और निजी अस्पतालों में विदेशी तर्ज पर पालना केंद्र खोले जाएंगे। अनचाहे शिशुओं को कोई भी इन पालने में पहुंचाकर अपनी जिम्मेदारी से मुक्त हो सकेगा।
कूड़े के ढेर में नवजातों को कुत्तों द्वारा नोचने की घटनाएं आए दिन सामने आती हैं। ये घटनाएं कई सवाल खड़े करने के साथ-साथ ऐसी माताओं के दिल को भी टीस देती हैं, जिनकी गोद सूनी है। इसके लिए महिला एवं बाल विकास विभाग ने पालना योजना शुरू की है।
योजना के तहत समस्त सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, जिला एवं सिविल अस्पताल, राजकीय बाल गृह, चाइल्ड लाइन कार्यालय आदि पर पालना केंद्र खोले जाएगे। मेरठ में सभी चयनित स्थलों पर एक सप्ताह में इसे शुरू करने की योजना है। विदेशी तर्ज पर होगा संचालन
यूरोपीय देशों में यह योजना वर्षो से संचालित है। वहां मुख्य केंद्रों पर पालना के साथ-साथ विद्युत घंटी और हाथ से बजाने वाला घंटा भी लगा होता है। शिशु को पालना में डालने वाला घंटी बजाकर चला जाता है। इसके बाद शिशु की जिम्मेदारी सरकार की हो जाती है। इसी तरह यहां भी पालना के साथ घंटी लगाई जाएगी। निगरानी के लिए आठ-आठ घंटे तीन कर्मियों की तैनाती रहेगी। स्वस्थ होने पर देंगे गोद
पालना में डाले गए शिशु की स्वास्थ्य जांच होगी। उपचार के बाद बाल कल्याण समिति और विशेष दत्तक पुत्र ग्रहण इकाई बच्चों को गोद देने की प्रक्रिया शुरू करेगी। पुलिस बच्चे के असल मां-बाप की खोज करेगी और गायब हुए नवजातों से संबंधित शिकायतों पर भी गंभीरता से ध्यान देगी। पांच शहरों में ट्रायल सफल
योजना को प्रदेशभर में लागू करने से पहले इलाहाबाद, लखनऊ, रामपुर, मथुरा और आगरा में ट्रायल हुआ, जिसके अच्छे परिणाम मिले। हालांकि, प्रचार-प्रसार के अभाव में लोगों तक पर्याप्त जानकारी नहीं पहुंच सकी। अब प्रदेश में प्रचार पर भी जोर दिया जाएगा। हेल्पलाइन भी शुरू की जाएगी। सीएमओ डा. राजकुमार ने बताया कि पालना योजना के संबंध में सभी स्वास्थ्य केंद्रों को आदेश कर दिए हैं। पालना केंद्र स्थापित करने के साथ चिकित्सक खुद निगरानी भी करेंगे। मुख्य परीविक्षा अधिकारी श्रवण कुमार गुप्ता ने बताया कि अनचाहे नवजात शिशुओं को बचाने के लिए पालना केंद्र योजना शुरू की गई है। स्वास्थ्य विभाग, समाज सेवी संगठन आदि के माध्यम से पालना केंद्र खोले जा रहे हैं। शीघ्र ही हेल्पलाइन भी शुरू की जाएगी।