हमारी छोरियां भी किसी छोरे से कम नहीं
मेरे घर आई एक नन्हीं परी चांदनी के हसीन रथ पे सवार .. उसकी बातों में शहद जैसी मिठास। हर घर की रौनक होती हैं बेटियां।
मेरठ, जेएनएन : मेरे घर आई एक नन्हीं परी, चांदनी के हसीन रथ पे सवार .. उसकी बातों में शहद जैसी मिठास। हर घर की रौनक होती हैं बेटियां। माता-पिता की खुशी और हंसी होती हैं बेटियां। पापा की जान और मां का मान होती हैं बेटियां। बेटी के साथ प्यार और अहसास का दिन है डॉटर्स-डे। यह दिन अलग-अलग देशों में अलग-अलग दिन मनाया जाता है। भारत में डॉटर्स-डे सितंबर के आखिरी रविवार को मनाया जाता है। इस दिन बेटी को खास अहसास दिलाने के लिए वैसे तो माता-पिता ने कई सरप्राइज गिफ्ट प्लान किए हैं। वहीं मेरठ की कुछ बेटियां ऐसी भी हैं, जिन्होंने अलग-अलग क्षेत्रों में अपना और अपने परिवार का नाम रोशन किया और अपना परचम लहराया है।
बॉलीवुड से हॉलीवुड तक बनाई पहचान
बॉलीवुड से लेकर हॉलीवुड तक फिल्मों में अपनी आवाज का जादू बिखेरने वाली शाइनी प्रकाश मिशन कंपाउंड की रहने वाली हैं। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा सेंट जोन्स सीनियर सेकेंड्री स्कूल से पूरी की। 12वीं कक्षा के बाद देहरादून से मास कंयूनिकेशन का कोर्स करने के बाद उन्होंने मुंबई में कदम रखा। जहां अपनी प्रतिभा से आगे बढ़ते हुए स्टार प्लस चैनल के 'लव यू जिंदगी' सीरियल में असिस्टेंट डायरेक्टर की भूमिका बखूबी निभाई। इसके बाद उन्होंने बीबीसी और डिस्कवरी जैसी चैलन के लिए अपनी आवाज दी। आज शाइनी बॉलीवुड और हॉलीवुड दोनों ही जगह बतौर वायस आर्टिस्ट काम रही हैं।
छह साल की उम्र में लगाए 11 हजार पौधे
मात्र छह साल की उम्र में 11 हजार पौधे लगाकर पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने वाली जागृति विहार निवासी ईहा दीक्षित किसी परिचय की मोहताज नहीं है। सेंट फ्रांसिस स्कूल में दूसरी कक्षा में पढ़ने वाली ईहा दीक्षित ने पर्यावरण सुरक्षा के लिए कदम बढ़ाते हुए लोगों को जागरूक किया है और समाज को एक नई दिशा दी है। इतनी छोटी उम्र में ईहा ने आठ बच्चों के साथ मिलकर ग्रीन ईहा स्माइल क्लब बनाया है। जिसके तहत उनकी टीम ने 71 सप्ताह में 11 हजार पौधे शहर के विभिन्न स्थानों पर लगाए हैं। जिसके लिए उन्हें इसी साल जनवरी माह में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हाथों प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार भी मिल चुका है। साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उनके कार्यो की प्रशंसा कर चुके हैं।
अमेरिका में किया भारत के गेंहू पर रिसर्च
आरजी डिग्री कॉलेज से बीएससी और चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से एमएससी, एमफिल, पीएचडी, जेआरएफ और एसआरएफ करने के बाद शास्त्रीनगर निवासी अमिता मोहन ने कई वर्षों तक वाशिंगटन स्टेट यूनिवर्सिटी में गेंहू की किस्म पर रिसर्च की और वह उसी रिसर्च के प्रोजेक्ट पर काम कर रही हैं। अमिता बताती हैं कि उनका रिसर्च वर्क लगभग पूरा हो चुका है और अब वह प्रोजेक्ट वर्क पर काम कर रही हैं।
अमेरिकी कंपनियों के प्रचार में कर रही हैं मदद
साकेत मानसरोवर निवासी सुमंगला विश्नोई पिछले तीन साल से सेंट फ्रांसिस्कों की एक कंपनी में हेड ग्राफिक डिजाइनर के पद कार्य कर रही हैं। यूएसए की बड़ी-बड़ी कंपनियों के लिए सुमंगला विज्ञापन के कैम्पेन तैयार करती हैं। हैदराबाद निफ्ट से फैशन कंयूनिकेशन का कोर्स करने बाद उन्होंने यूएसए के मैरीलैंड इंस्टीट्यूट से मास्टर्स किया और अब वह वहीं बड़ी-बड़ी कंपनियों के लिए काम करती हैं।