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अब इस मॉडल से होगा मेरठ साफ, कूड़े से होगी जैविक खेती

अंबिकापुर मॉडल की तर्ज पर अब मेरठ से भी कूड़े का निस्‍तारण किया जाएगा। इससे शहर में कूड़े के ढेर नहीं लगेंगे। साथ ही कूड़े से जैविक खेती भी की जाएगी।

By Taruna TayalEdited By: Published: Mon, 22 Oct 2018 11:24 AM (IST)Updated: Mon, 22 Oct 2018 11:40 AM (IST)
अब इस मॉडल से होगा मेरठ साफ, कूड़े से होगी जैविक खेती
अब इस मॉडल से होगा मेरठ साफ, कूड़े से होगी जैविक खेती
मेरठ (जेएनएन)। छत्तीसगढ़ राज्य के अंबिकापुर शहर ने सामुदायिक स्वच्छता का ऐसा मॉडल पेश किया है कि अब कई राज्य उसे देखकर अपने यहां अपनाने लगे हैं। मेरठ में इस मॉडल को लागू कराने के लिए डा. लक्ष्मीकांत वाजपेयी आधा दर्जन पार्षदों को लेकर रविवार को अंबिकापुर रवाना हुए। ये लोग अपने सामने वहां की कार्यशैली देखना चाहते हैं।
मॉडल से मिलेगा रोजगार
अंबिकापुर रवाना होने से पूर्व पत्रकारों से रूबरू हुए डा. लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने कहा कि अगर अंबिकापुर मॉडल लागू हो जाएगा तो कूड़ा निस्तारण के लिए जो प्लांट लगाए जाने वाले हैं वहां भी कूड़ा नहीं मिलेगा। इस मॉडल से लोगों को रोजगार मिलेगा। करोड़ों की धनराशि खर्च नहीं होगी बल्कि लाखों की कमाई शहर प्रतिदिन करेगा। उस मॉडल से शहर संवरेगा। स्वच्छ सर्वेक्षण में अच्छी रैंकिंग आएगी और स्मार्ट सिटी की दौड़ में भी शामिल हो सकेगा। उनके साथ भाजपा पार्षद राजीव काले, संदीप रेवड़ी, पंकज गोयल, अंशुल गुप्ता शामिल हैं। कार्यकर्ताओं में मनोज गुप्ता, वरेश गुप्ता, कुलदीप वाल्मीकि, अनिल यादव, विनोद तिवारी व शैलेंद्र शर्मा शामिल हैं। उन्होंने बताया कि वह स्वयं की प्रेरणा से इस मॉडल का अध्ययन करने जा रहे हैं। अध्ययन करके लौटने के बाद मुख्यमंत्री से बात करके इसे लागू कराएंगे।

अंबिकापुर मॉडल की इसलिए देशभर में है गूंज
अंबिकापुर करीब दो लाख की आबादी वाला शहर है। यहां पर सूखे व गीले कूड़े को अलग-अलग करने की प्रक्रिया देखकर ही इसकी शुरुआत अन्य शहरों में हुई है। यहां महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों ने घर-घर से गीला व सूखा कूड़ा लेकर उसमें से लोहा, प्लास्टिक आदि सामग्री अलग करती हैं। इससे कुछ सामग्री से सामान बनाती हैं और उसे नया रूप देकर बाजार में बेच देती हैं। कम्पोस्ट योग्य कचरे से कम्पोस्ट बना देती हैं। महिलाओं की इस मुहिम को देखकर सरकार ने सब्सिडी पर ई-रिक्शा मुहैया कराया जिससे उनका काम आसान हो सके। इस प्रयास से वहां नाम मात्र का ही कूड़ा डंपिंग ग्राउंड तक जाता है। महिलाएं जो कंपोस्ट बनाती हैं उसे सिर्फ बाजार में ही नहीं बेचती बल्कि उससे जैविक खेती भी करने लगी हैं। इस जैविक खेती में तैयार फसल की बड़ी मांग है। इससे इतनी राह आसान हुई है कि ये समूह अब आइसक्रीम, एलईडी बल्ब बना रहे हैं। इन्होंने कोल्ड स्टोर तक खोल लिया है। वहां काफी दिन से डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन हो रहा है। वहां इतनी जागरूकता हो गई है कि नालियों व सड़कों पर कोई कचरा नहीं फेंकता। 

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