अपर मुख्य सचिव समेत पांच के खिलाफ मुकदमे का आदेश, जानिए क्यों?
ग्रेटर नोएडा में भूमि स्थानांतरित करने के एवज में 20 लाख रुपये रिश्वत मांगे के अाराेप के बाद अपर मुख्य सचिव समेत पांच लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए गए हैं।
By Ashu SinghEdited By: Published: Sat, 02 Mar 2019 01:49 PM (IST)Updated: Sat, 02 Mar 2019 01:49 PM (IST)
मेरठ,जेएनएन। जमीन घोटाले के मामले में हथकरघा एवं वस्त्रोद्योग के अपर मुख्य सचिव रमा रमण समेत पांच के खिलाफ अदालत ने मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए हैं। आरोप है कि ग्रेटर नोएडा में भूमि स्थानांतरित करने के एवज में 20 लाख रुपये रिश्वत मांगी गई थी। भ्रष्टाचार अधिनियम कोर्ट ने गौतमबुद्धनगर के कासना थानाध्यक्ष को तत्काल रिपोर्ट दर्ज करने के आदेश दिए हैं।
अधिकारियों से की थी शिकायत
अभियोजन के अनुसार,थाना बिसरख अंतर्गत गांव बिसरख निवासी कुलदीप सिंह भाटी पुत्र महकार सिंह ने न्यायालय में अर्जी दी कि वह और शशि पत्नि जियालाल तथा मुक्ता मोहिनी पुत्री जियालाल बिसरख-जलालपुर (गौतमबुद्धनगर) स्थित कुछ जमीन के मालिक हैं। उनकी जमीन के आसपास ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण द्वारा कई जमीनों का अर्जन किया गया था,लेकिन उनकी जमीन अर्जनमुक्त थी। आरोप है कि ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण के अधिकारियों ने साजिश कर उनके स्वामित्व की अर्जनमुक्त भूमि को 25 मार्च 2011 को बिल्डर वैभव जैन को आवंटित कर दिया। पीडि़तों को 2016 में इसकी जानकारी हुई तो उन्होंने अधिकारियों से शिकायत की। इसके बाद प्राधिकरण अधिकारियों ने बदले में उतनी ही जमीन उनके स्वामित्व वाली भूमि के पास स्थानांतरित करने की बात कही।
बीस लाख रुपये रिश्वत मांगी
आरोप है कि ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण के टाउन प्लानर ऋतुराज ने फाइल रोक दी। आरोप है, 20 लाख रुपये रिश्वत नहीं देने पर भूमि स्थानांतरित नहीं की गई। पुलिस ने कार्रवाई नहीं की तो अदालत में अर्जी दी गई। इसकी सुनवाई के बाद शुक्रवार को स्पेशल जज भ्रष्टाचार अधिनियम कोर्ट संख्या-दो ने तत्कालीन मुख्य कार्यपालक आईएएस अधिकारी रमा रमण,प्राधिकरण अधिकारी मीना भार्गव,ऋतुराज व्यास,बिल्डर वैभव जैन तथा प्रकरण में शामिल प्राधिकरण के अन्य अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर सक्षम अधिकारी द्वारा जांच कराने के आदेश थानाध्यक्ष्ा (गौतमबुद्धनगर) को दिए।
रजिस्ट्री नहीं होने पर पता चला
कुलदीप भाटी का कहना है कि उन्होंने प्राधिकरण द्वारा दी गई भूमि पर मकान भी बना लिया। 2017 में वह रजिस्ट्री कराने लगे तो पता चला कि उक्त जमीन उनके नाम पर चढ़ी ही नहीं और इस पर अभी भी प्राधिकरण का ही स्वामित्व है। पीडि़त ने बताया कि उस समय आवंटन कमेटी में तत्कालीन चेयरमैन रमा रमण,ओएसडी यशपाल सिंह त्यागी, तत्कालीन महाप्रबंधक नियोजक मीना भार्गव थे,जिन्होंने गलत तरीके से यह कार्य किया।
ये है अधिकारियों का ब्योरा
रमा रमण: आइएएस अधिकारी हैं और वर्तमान में हथकरघा एवं वस्त्रोद्योग के अपर मुख्य सचिव हैं।
मीना भार्गव: वर्तमान में यमुना प्राधिकरण में महाप्रबंधक (परियोजना)
ऋतुराज व्यास: ग्रेटर नोएडा के टाउन प्लानर हैं।
अधिकारियों से की थी शिकायत
अभियोजन के अनुसार,थाना बिसरख अंतर्गत गांव बिसरख निवासी कुलदीप सिंह भाटी पुत्र महकार सिंह ने न्यायालय में अर्जी दी कि वह और शशि पत्नि जियालाल तथा मुक्ता मोहिनी पुत्री जियालाल बिसरख-जलालपुर (गौतमबुद्धनगर) स्थित कुछ जमीन के मालिक हैं। उनकी जमीन के आसपास ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण द्वारा कई जमीनों का अर्जन किया गया था,लेकिन उनकी जमीन अर्जनमुक्त थी। आरोप है कि ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण के अधिकारियों ने साजिश कर उनके स्वामित्व की अर्जनमुक्त भूमि को 25 मार्च 2011 को बिल्डर वैभव जैन को आवंटित कर दिया। पीडि़तों को 2016 में इसकी जानकारी हुई तो उन्होंने अधिकारियों से शिकायत की। इसके बाद प्राधिकरण अधिकारियों ने बदले में उतनी ही जमीन उनके स्वामित्व वाली भूमि के पास स्थानांतरित करने की बात कही।
बीस लाख रुपये रिश्वत मांगी
आरोप है कि ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण के टाउन प्लानर ऋतुराज ने फाइल रोक दी। आरोप है, 20 लाख रुपये रिश्वत नहीं देने पर भूमि स्थानांतरित नहीं की गई। पुलिस ने कार्रवाई नहीं की तो अदालत में अर्जी दी गई। इसकी सुनवाई के बाद शुक्रवार को स्पेशल जज भ्रष्टाचार अधिनियम कोर्ट संख्या-दो ने तत्कालीन मुख्य कार्यपालक आईएएस अधिकारी रमा रमण,प्राधिकरण अधिकारी मीना भार्गव,ऋतुराज व्यास,बिल्डर वैभव जैन तथा प्रकरण में शामिल प्राधिकरण के अन्य अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर सक्षम अधिकारी द्वारा जांच कराने के आदेश थानाध्यक्ष्ा (गौतमबुद्धनगर) को दिए।
रजिस्ट्री नहीं होने पर पता चला
कुलदीप भाटी का कहना है कि उन्होंने प्राधिकरण द्वारा दी गई भूमि पर मकान भी बना लिया। 2017 में वह रजिस्ट्री कराने लगे तो पता चला कि उक्त जमीन उनके नाम पर चढ़ी ही नहीं और इस पर अभी भी प्राधिकरण का ही स्वामित्व है। पीडि़त ने बताया कि उस समय आवंटन कमेटी में तत्कालीन चेयरमैन रमा रमण,ओएसडी यशपाल सिंह त्यागी, तत्कालीन महाप्रबंधक नियोजक मीना भार्गव थे,जिन्होंने गलत तरीके से यह कार्य किया।
ये है अधिकारियों का ब्योरा
रमा रमण: आइएएस अधिकारी हैं और वर्तमान में हथकरघा एवं वस्त्रोद्योग के अपर मुख्य सचिव हैं।
मीना भार्गव: वर्तमान में यमुना प्राधिकरण में महाप्रबंधक (परियोजना)
ऋतुराज व्यास: ग्रेटर नोएडा के टाउन प्लानर हैं।
Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें