LokSabha Election Result 2019 : पश्चिम में बब्बर-इमरान को छोड़ सबका ‘पंजा’ जब्त
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में केवल सहारनपुर और आगरा में ही कांग्रेस का वोट प्रतिशत दो अंकों में पहुंचा और किसी तरह राज बब्बर और इमरान मसूद अपनी जमानत बचा सके।
By Taruna TayalEdited By: Published: Fri, 24 May 2019 01:23 PM (IST)Updated: Fri, 24 May 2019 01:23 PM (IST)
मेरठ, [रवि प्रकाश तिवारी]। पश्चिमी उप्र के प्रमुख संसदीय क्षेत्रों में कांग्रेस की स्थिति बेहद निराशाजनक रही। 2014 के मुकाबले भी हाथ काफी कमजोर नजर आया। समूचे पश्चिमी उत्तर प्रदेश की अगर बात करें तो केवल सहारनपुर और आगरा में ही कांग्रेस का वोट प्रतिशत दो अंकों में पहुंचा और किसी तरह ये दो नेता अपनी जमानत बचा सके। कांग्रेस नेतृत्व द्वारा शुरू से ही पश्चिमी उप्र की अनदेखी करने और संगठन को मजबूत न करने को लेकर पुराने कांग्रेसी नेताओं में रोष भी है। उनका तर्क है कि चुनाव में हार-जीत होती है, लेकिन अगर मेहनत की जाती तो हालात इतने बुरे नहीं होते।
पश्चिम की राजनीति पर कांग्रेस का असर
गौतमबुद्धनगर से रामपुर-मथुरा तक के बीच कहीं भी सात-आठ फीसद से ज्यादा वोट कांग्रेस नहीं ले पाई। कभी कांग्रेस के लिए उर्वर रही मेरठ की सीट पर तो पार्टी का अब तक का सबसे बुरा प्रदर्शन दर्ज किया गया। यहां से हरेंद्र अग्रवाल को 35 हजार मत भी नहीं मिले। पिछली बार 2014 में मोदी लहर में भी नगमा 42911 वोट लेने में हासिल करने में सफल रही थीं जबकि पिछली बार मतदान इस बार से कम भी हुआ था। पश्चिमी उप्र को लेकर हालांकि कांग्रेस नेतृत्व शुरू से ही बहुत गंभीर भी नहीं दिख रही थी। शायद यही वजह थी कि पार्टी की ओर से इस चुनाव में पश्चिमी उप्र के प्रभारी बनाए गए ज्योतिरादित्य सिंधिया महज तीन-चार बार ही इस क्षेत्र में नजर आए। वह भी प्रचार के समय। पश्चिमी उप्र में कोई ग्राउंड मीटिंग भी नहीं हुई। चुनाव से ठीक पहले भीम आर्मी संस्थापक चंद्रशेखर से मिलने अस्पताल में प्रियंका के पहुंचने का असर भी पश्चिम की राजनीति पर पड़ा।
नजर ही नहीं आए नसीमुद्दीन
कांग्रेस को सबसे ज्यादा निराश नसीमुद्दीन सिद्दिकी ने किया। बसपा में नंबर दो की हैसियत रखने वाले नसीमुद्दीन ने मायावती द्वारा निष्कासित किए जाने के बाद कांग्रेस का हाथ थाम लिया था। वे बिजनौर से गठबंधन के बसपा प्रत्याशी मलूक नागर को हराने के मकसद से उतरे थे, लेकिन पश्चिमी उप्र में सबसे निराशाजनक प्रदर्शन उन्हीं का रहा। बिजनौर में नसीमुद्दीन को 2.34 फीसद वोट ही मिले, यानी 26 हजार से भी कम। यहां उनके लिए प्रियंका गांधी ने रोड शो किया था। भाजपा के भारतेंद्र सिंह को नसीमुद्दीन के प्रदर्शन से अपनी जीत की उम्मीद थी, लेकिन नसीम के फिसलने से कुंवर मोदी लहर में भी जीत नहीं सके।
इमरान न ‘बब्बर’ राज
पश्चिमी उप्र में कांग्रेस के दो उम्मीदवार ही ऐसे रहे जिन्होंने कुछ लाज बचाई। इसमें सहारनपुर से इमरान मसूद और फतेहपुर सिकरी से राज बब्बर शामिल हैं। हालांकि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राज बब्बर का प्रदर्शन कतई उनके कद के अनुरूप नहीं रहा। राज बब्बर को एक लाख 68 हजार 534 वोट ही मिले। इसी तरह पिछली बार मोदी सुनामी में सहारनपुर से दूसरे स्थान पर जगह बनाने वाले इमरान मसूद का वोट मीटर भी दो लाख सात हजार 68 पर ही जाकर ठहर गया और वे इस बार तीसरे स्थान पर उतर गए। मुरादाबाद में भी शायर इमरान प्रतापगढ़ी पांच फीसद भी वोट हासिल नहीं कर सके।
पश्चिम की राजनीति पर कांग्रेस का असर
गौतमबुद्धनगर से रामपुर-मथुरा तक के बीच कहीं भी सात-आठ फीसद से ज्यादा वोट कांग्रेस नहीं ले पाई। कभी कांग्रेस के लिए उर्वर रही मेरठ की सीट पर तो पार्टी का अब तक का सबसे बुरा प्रदर्शन दर्ज किया गया। यहां से हरेंद्र अग्रवाल को 35 हजार मत भी नहीं मिले। पिछली बार 2014 में मोदी लहर में भी नगमा 42911 वोट लेने में हासिल करने में सफल रही थीं जबकि पिछली बार मतदान इस बार से कम भी हुआ था। पश्चिमी उप्र को लेकर हालांकि कांग्रेस नेतृत्व शुरू से ही बहुत गंभीर भी नहीं दिख रही थी। शायद यही वजह थी कि पार्टी की ओर से इस चुनाव में पश्चिमी उप्र के प्रभारी बनाए गए ज्योतिरादित्य सिंधिया महज तीन-चार बार ही इस क्षेत्र में नजर आए। वह भी प्रचार के समय। पश्चिमी उप्र में कोई ग्राउंड मीटिंग भी नहीं हुई। चुनाव से ठीक पहले भीम आर्मी संस्थापक चंद्रशेखर से मिलने अस्पताल में प्रियंका के पहुंचने का असर भी पश्चिम की राजनीति पर पड़ा।
नजर ही नहीं आए नसीमुद्दीन
कांग्रेस को सबसे ज्यादा निराश नसीमुद्दीन सिद्दिकी ने किया। बसपा में नंबर दो की हैसियत रखने वाले नसीमुद्दीन ने मायावती द्वारा निष्कासित किए जाने के बाद कांग्रेस का हाथ थाम लिया था। वे बिजनौर से गठबंधन के बसपा प्रत्याशी मलूक नागर को हराने के मकसद से उतरे थे, लेकिन पश्चिमी उप्र में सबसे निराशाजनक प्रदर्शन उन्हीं का रहा। बिजनौर में नसीमुद्दीन को 2.34 फीसद वोट ही मिले, यानी 26 हजार से भी कम। यहां उनके लिए प्रियंका गांधी ने रोड शो किया था। भाजपा के भारतेंद्र सिंह को नसीमुद्दीन के प्रदर्शन से अपनी जीत की उम्मीद थी, लेकिन नसीम के फिसलने से कुंवर मोदी लहर में भी जीत नहीं सके।
इमरान न ‘बब्बर’ राज
पश्चिमी उप्र में कांग्रेस के दो उम्मीदवार ही ऐसे रहे जिन्होंने कुछ लाज बचाई। इसमें सहारनपुर से इमरान मसूद और फतेहपुर सिकरी से राज बब्बर शामिल हैं। हालांकि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राज बब्बर का प्रदर्शन कतई उनके कद के अनुरूप नहीं रहा। राज बब्बर को एक लाख 68 हजार 534 वोट ही मिले। इसी तरह पिछली बार मोदी सुनामी में सहारनपुर से दूसरे स्थान पर जगह बनाने वाले इमरान मसूद का वोट मीटर भी दो लाख सात हजार 68 पर ही जाकर ठहर गया और वे इस बार तीसरे स्थान पर उतर गए। मुरादाबाद में भी शायर इमरान प्रतापगढ़ी पांच फीसद भी वोट हासिल नहीं कर सके।
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