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मेरठ में महज तीन प्रतिशत वाहन चलते हैं सीएनजी से

मौजूदा वाहनों की तुलना में तीन गुना वाहनों में भरी जा सकती है सीएनजी, 7,45216 पेट्रोल-डीजल के मुकाबले केवल 23,013 वाहन सीएनजी चलित।

By JagranEdited By: Published: Sat, 10 Nov 2018 10:51 AM (IST)Updated: Sat, 10 Nov 2018 10:51 AM (IST)
मेरठ में महज तीन प्रतिशत वाहन चलते हैं सीएनजी से
मेरठ में महज तीन प्रतिशत वाहन चलते हैं सीएनजी से

ओम बाजपेयी, मेरठ। डीजल और पेट्रोल चलित वाहनों का भी वायु प्रदूषण में अहम योगदान रहता है। जनपद में कुल कामर्शियल और निजी वाहनों में सीएनजी और एलपीजी चलित वाहनों की संख्या केवल तीन प्रतिशत है। खास बात यह है कि मेरठ में स्थापित गैस अथारिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड के नौ स्टेशन तीन गुना अधिक वाहनों में सीएनजी भर सकते हैं।

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गुलाबी ठंड के साथ ही खतरनाक धुंध भी शहर में छाई हुई है। पर्यावरणविदों के अनुसार कुल होने वाले प्रदूषण का 40 प्रतिशत वाहनों से उत्सर्जित होने वाले धुएं से होता है। जनपद में कामर्शियल वाहनों पर नजर डालें तो डीजल चलित वाहनों की संख्या 35,992 है, जबकि 6994 वाहन सीएनजी से चल रहे हैं। इसी तरह निजी वाहनों की संख्या 7,09,224 है, जिसमें डीजल और पेट्रोल दोनों प्रकार के वाहन शामिल हैं। इसके मुकाबले 16,019 सीएनजी वाहन हैं, जिनका प्रतिशत केवल दो है। डीजल वाहनों से एनओएक्स गैसें निकलती हैं, जो सबसे ज्यादा वायुमंडल में प्रदूषण फैलाती हैं। केवल 303 बसें सीएनजी चलित

डीजल चलित वाहनों की तुलना में सीएनजी वाहनों से उत्सर्जित होने वाला प्रदूषण काफी कम होता है। मेरठ में 15 साल पुराने डीजल चलित वाहनों का संचालन अवैध है। शहर में 4056 बसें डीजल चलित हैं। वहीं, केवल 303 बसें ही सीएनजी से चल रही हैं। खटारा वाहनों की भरमार

संभागीय परिवहन विभाग के आंकड़ों में केवल 4301 थ्री व्हीलर हैं, जो डीजल चलित हैं। जबकि सड़कों पर 20-25 हजार से अधिक टेंपो दौड़ रहे हैं। कई खटारा टेंपो तो बिना नंबर प्लेट के चल रहे हैं। न तो ट्रैफिक पुलिस संज्ञान ले रही है और न ही परिवहन विभाग का प्रवर्तन दल कार्रवाई कर रहा है। दो लाख केजी प्रतिदिन भरी जा सकती है सीएनजी

सीएनजी का व्यापक इंफ्रास्ट्रक्चर होने के बावजूद शहरवासी डीजल के जहरीले धुएं में सांस लेने को मजबूर हैं। मेरठ में नौ सीएनजी फिलिंग स्टेशन हैं, जिसमें से पांच में बसों में सीएनजी भरने की सुविधा है। दो लाख किलोग्राम गैस प्रतिदिन भरी जा सकती है, जबकि केवल साठ हजार किलोग्राम प्रतिदिन भरी जा रही है।

गेल के डीजीएम विनोद अरोड़ा बताते हैं कि सीएनसी से डीजल के मुकाबले काफी कम प्रदूषण होता है, जितने वाहनों में सीएनजी फिलिंग की जा रही है उससे तीन गुना और वाहनों में फिलिंग कर सकते हैं। वहीं आरटीओ डा. विजय कुमार कहना है कि कई बस चालकों ने पूर्व में सीएनजी की अनुपलब्धता का हवाला देते हुए डीजल से बसों के संचालन संबंधी कोर्ट से स्टे ले रखा था। अब इन बस संचालकों से सीएनजी किट लगवाने के लिए कहा जाएगा। आंकड़ों पर एक नजर

कामर्शियल वाहन

पेट्रोल और डीजल चलित कुल वाहन - 35,992

सीएनजी चलित वाहन 6,994

निजी वाहन

पेट्रोल और डीजल चलित वाहन - 7,09,224

सीएनजी वाहन - 16,019


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