महज आर्थिक उन्नति ही विकास नहीं है : प्रो. शर्मा
मेरठ : भारत वर्तमान में दुनिया का सबसे तेज गति से विकास की ओर बढ़ता देश है, लेकिन महज आ
मेरठ : भारत वर्तमान में दुनिया का सबसे तेज गति से विकास की ओर बढ़ता देश है, लेकिन महज आर्थिक उपलब्धि या उन्नति ही सही मायने में विकास नहीं है। किसी भी देश का आर्थिक विकास धार्मिक, राजनैतिक, इकोनॉमिक, साइंस और टेक्नोलॉजी के सम्मिलित उन्नति पर निर्भर करता है। मेरठ के प्रो. एमरीटस सौमित्र शर्मा का कहना है कि हमें इकोनॉमिक ग्रोथ के लिए सभी को साथ लेकर आगे बढ़ना होगा। चौ. चरण सिंह विवि के अर्थशास्त्र विभाग की ओर से प्रो. शर्मा 26 से 28 नवंबर तक अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस आयोजित कर रहे हैं। कांफ्रेंस का विषय 'द स्टेट्स, ट्रेंड्स एंड पर्सपेक्टिव ऑफ वर्ल्ड इकोनॉमी फॉर द नेक्स्ट डिकेड' है।
अर्थशास्त्र विभाग में शुक्रवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए प्रो. शर्मा ने कहा कि देश आर्थिक विकास की ओर तो तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन सामाजिक विकास नहीं हुआ है। लोग अपने घरों को तो साफ रखने लगे, लेकिन बाहर गंदगी डाल रहे हैं। उन्होंने बताया कि करीब 60 साल पहले जब भारत से क्रोसिया गए थे तब से अब देश अधिक गंदा दिखने लगा है। इसका कारण सामाजिक विकास का न होना ही है। देश में विकास के लिए जरूरी उक्त पांच बिंदुओं के बेहतर प्रबंधन की कमी दिख रही है।
भविष्य की इकोनॉमी पर होगी चर्चा
इस तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस में साल 2030 में विश्व की अर्थव्यवस्था की भावी तस्वीर पर चर्चा होगी। वर्तमान स्थिति और आगे की संभावनाओं पर चर्चा करने के लिए विदेशों से 25 स्कॉलर पहली बार मेरठ का रहे हैं। प्रो. शर्मा ने बताया कि इससे पहले ऐसी कांफ्रेंस ढाई साल पहले यूएन के सहयोग से बैंकॉक में आयोजित की गई थी। स्कॉलर्स में से अधिकतर क्रोसिया से हैं। इनके अलावा एक-एक स्कॉलर ऑस्ट्रिया, यूएसए, इटली, नीदरलैंड से भी आ रहे हैं। मुख्य अतिथि के तौर पर यूएसए के जाने-माने स्कॉलर प्रो. विलियम कार्टनर रहेंगे। विशिष्ट अतिथि के तौर पर किंग्स कॉलेज लंदन के इंटरनेशनल अफेयर्स विशेषज्ञ प्रो. हर्ष वी पंत उपस्थित रहेंगे।
आज दुनिया में काबिज है राजनैतिक अर्थव्यवस्था
आगरा और मुजफ्फरनगर शिक्षा पूरी करने वाले प्रो. सौमित्र शर्मा का कहना है कि दुनिया भर में राजनीति हावी है जो सिर्फ अर्थ के लिए काम करती है। हर व्यक्ति केवल पैसे के लिए ही काम कर रहा है। देश की अर्थव्यवस्था बेहतर कैसे हो इसका विस्तार विवरण हमारे ग्रंथों में है, जिसे लोग आज पढ़ना नहीं चाहते हैं। बौद्धिक चिंतन वाले लोगों की कमी हो रही है इसीलिए दुनिया के नामी शिक्षण संस्थान खाली होते जा रहे हैं। बौद्धिक चिंतन वाला शासक ही अच्छी अर्थव्यवस्था बना सकता है, क्योंकि उसे व्यक्तिगत लाभ-हानि से वास्ता नहीं होता है। इस अवसर पर प्रो. सुधीर शर्मा, प्रो. अतवीर सिंह, प्रो. दिनेश कुमार, डा. योगेंद्र सिंह आदि उपस्थित रहे।