सिर्फ 30 मरीजों को मिला एसी फिर भी बिल बन गया 60 लाख का
मेरठ जिला अस्पताल में चार साल में ढाई करोड़ की बिजली फुंक गई। 320 बेड वाले जिला अस्पताल में सिर्फ 30 मरीजों को एसी की हवा मिलती है।
मेरठ, [संतोष शुक्ल]। 40 डिग्री की गर्मी में मरीज झुलस रहे हैं। 320 बेड वाले जिला अस्पताल में सिर्फ 30 मरीजों को एसी की हवा मिलती है, बाकी के लिए पंखे की भी गारंटी नहीं। ये हाल तब है, जब सालाना करीब 60 लाख रुपये बिजली का बिल भरा जा रहा। चार लाख रुपये का डीजल फूंका गया। रजिस्टर, पेन और पेंसिल खरीद के नाम पर चार साल में करीब दस लाख खर्च किया गया। डाक्टर व क्लर्क एसी में, जबकि मरीज पंखे की गर्म हवा में झुलसते मिले। बता दें कि यह अस्पताल प्रदेश के सर्वश्रेष्ठ सरकारी चिकित्सा केंद्रों में आंका जाता है।
रिपोर्ट में खुली पोल
मिशन कंपाउंड निवासी मनोज चौधरी ने सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत जिला अस्पताल के सीएमएस से 11 ¨बदुओं पर सूचना मांगी थी। उन्होंने बेड की संख्या, एसी की व्यवस्था, वार्ड, मरीजों एवं चिकित्सकों की संख्या, बिजली बिल के साथ ही विभिन्न मद में हुए खर्च का ब्योरा मांगा। आठ मई 2019 को अस्पताल ने जवाब भेजा, जिसमें कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। 11 वार्ड वाले अस्पताल में 320 बेड में इमरजेंसी व आइसीसीयू के सिर्फ 30 बेड पर ही एसी की व्यवस्था है। कैंपस में 34 डाक्टर समेत कुल 176 कर्मचारी हैं। वार्डो में कई मरीजों को पंखे की हवा भी नहीं मिल पा रही।
मरीजों की शिकायत
मरीजों की शिकायत है कि कैंपस में पानी का वाटर कूलर खराब रहता है। कई बार इस संबंध में शिकायत भी की जा चुकी है, लेकिन हर बार आश्वासन दे दिया जाता है। शिकायतों को समाधान कभी नहीं होता है। डाक्टर व स्टाफ भी नहीं समझा पा रहे हैं कि सिर्फ दो जेनरेटर एवं पांच वाहनों पर चार साल में 17 लाख रुपये का खर्च कैसे आ गया?
ऐसे उड़ता है बजट...तड़पते हैं मरीज
साल बिजली खर्च डीजल पर खर्च कापी-किताब पर खर्च
2015-16 35. 25 लाख रु. 3.19 लाख रु. 6, 87 802 रुपये
2016-17 51.14 लाख रु. 4.02 लाख रु. 75, 660 रुपये
2017-18 94.15 लाख रु. 4.83 लाख रु. 84, 945 रुपये
2018-19 61.63 लाख रु. 4.98 लाख रु. 79, 850 रुपये
इन्होंने बताया
इमरजेंसी, आइसीयू, एनआरसी, ओटी, डायलिसिस यूनिट, ब्लड बैंक, लैब एवं बर्न वार्ड में एसी लगाए गए हैं। मरीजों के लिए सभी वाटर कूलर संचालित हैं। मरीजों के लिए एसी की स्वीकृति शासन स्तर से होगी। फिलहाल पंखों को दुरुस्त कराया गया है।
- डा. पीके बंसल, प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक
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