गरीब के घर में भी गैस वाला चूल्हा जला
लकड़ी या कोयले के धुएं के बीच खाना बनाने की मजबूरियों से जिन गरीब घर की महिलाओं को निजात मिली है उनके लिए उज्ज्वला योजना वरदान सरीखी है। गैस वाला चूल्हा जिस दिन से रसोई में आया है उस दिन से ऐसे घरों की तस्वीर अलग ही हो गई है।
मेरठ । लकड़ी या कोयले के धुएं के बीच खाना बनाने की मजबूरियों से जिन गरीब घर की महिलाओं को निजात मिली है, उनके लिए उज्ज्वला योजना वरदान सरीखी है। गैस वाला चूल्हा जिस दिन से रसोई में आया है, उस दिन से ऐसे घरों की तस्वीर अलग ही हो गई है।
मलियाना गांव की गीता और सुलेखा को जब से उज्ज्वला योजना से निश्शुल्क गैस सिलेंडर व चूल्हा मिला है, तब से उनके घर में एक नए तरह का उजियारा आया है। इनका कहना है कि यह तो उन्हें ही पता है कि कितनी परेशानी होती थी चूल्हा जलाने में। धुएं से हाल-बेहाल हो जाता था। कभी-कभार लकड़ी भी खत्म हो जाती थीं, या फिर कभी लकड़ी भीग जाती थीं तो अलग ही परेशानी खड़ी होती थी। उनका कहना है कि जब से गैस सिलेंडर मिला है तब से उन्हें और घर के सभी सदस्यों को नया अनुभव हुआ। खाना जल्द पकने से भी परिवार के सदस्य पहले की तरह झुंझलाते नहीं हैं। दरअसल, ऐसी ही परेशानियां हजारों परिवारों की थीं, जिनके पास या तो गैस कनेक्शन लेने का पैसा नहीं था या फिर गैस एजेंसी संचालकों का व्यवहार व मनमानी फीस ऐसी थी कि गरीब परिवार हिम्मत नहीं जुटा पाते थे। जब से उज्ज्वला योजना शुरू हुई है तब से अब तक जिले के एक लाख 37 हजार 323 परिवारों को गैस कनेक्शन मिल चुका है। उज्ज्वला योजना के जिला नोडल अधिकारी नितेश भारद्वाज ने बताया कि उज्ज्वला योजना से बहुत बड़ी क्रांति आई है। इससे गरीब परिवारों के जीवन में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है।
फोटो कैप्शन
507- लाभार्थी गीता अपने गैस सिलेंडर व कार्ड के साथ
508- लाभार्थी सुलेखा अपने गैस चूल्हे के साथ