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खिलाड़ियों संग स्टेडियम में अनशन पर बैठे ओलंपियन पैरा एथलीट सचिन

उपलब्धियां हासिल करने के बावजूद उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पैरा खिलाड़ियों की अनदेखी किए जाने से आहत ओलंपियन पैरा एथलीट सचिन चौधरी अनशन पर बैठ गए। साल 2003 में ही पहला स्वर्ण पदक जीतने के बाद चार कॉमनवेल्थ गेम्स तीन एशियन गेम्स व‌र्ल्ड गेम्स व‌र्ल्ड चैंपियनशिप में पदक जीतने और 2012 लंदन पैरालिंपिक गेम्स में हिस्सा ले चुके सचिन चौधरी प्रदेश सरकार से मदद की राशि और खेल कोटे में नौकरी की बांट जोह रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 10 Sep 2019 04:00 AM (IST)Updated: Tue, 10 Sep 2019 06:28 AM (IST)
खिलाड़ियों संग स्टेडियम में अनशन पर बैठे ओलंपियन पैरा एथलीट सचिन
खिलाड़ियों संग स्टेडियम में अनशन पर बैठे ओलंपियन पैरा एथलीट सचिन

मेरठ, जेएनएन : उपलब्धियां हासिल करने के बावजूद उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पैरा खिलाड़ियों की अनदेखी किए जाने से आहत ओलंपियन पैरा एथलीट सचिन चौधरी अनशन पर बैठ गए। साल 2003 में ही पहला स्वर्ण पदक जीतने के बाद चार कॉमनवेल्थ गेम्स, तीन एशियन गेम्स, व‌र्ल्ड गेम्स, व‌र्ल्ड चैंपियनशिप में पदक जीतने और 2012 लंदन पैरालिंपिक गेम्स में हिस्सा ले चुके सचिन चौधरी प्रदेश सरकार से मदद की राशि और खेल कोटे में नौकरी की बांट जोह रहे हैं। केंद्र सरकार में खेल मंत्री रहे राज्यवर्धन सिंह राठौर के साथ कॉमनवेल्थ गेम्स में हिस्सा ले चुके सचिन चौधरी को खेल विभाग और मंत्रालय के चक्कर काटने के बाद भी कोई मदद नहीं मिली तो आखिरकार उन्होंने अनशन कर आंदोलन करने की ठान ली।

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मेरा यह हाल तो बाद वालों का क्या होगा

सचिन के अनुसार प्रदेश और देश का नाम रोशन करते हुए इतने सालों तक मेहनत से पदक जीतने के बाद यदि उनके खेल को प्रदेश सरकार कोई पहचान नहीं दे सकी तो अब उभरते हुए अंतरराष्ट्रीय पैरा खिलाड़ियों की सुनवाई कैसे होगी। शारीरिक अक्षमता के बावजूद यदि कोई अपने पैरों पर खड़ा होकर जीवन में दौड़ लगाते हुए आगे बढ़ना चाहता है तो उसे आगे बढ़ने में मदद के बजाय तरह-तरह के कमेंट कर पीछे धकेला जा रहा है। सचिन का कहना है कि उनके बाद के खिलाड़ियों को केंद्र व अन्य राज्यों से मदद मिल गई, लेकिन उन्हें कभी मदद नहीं मिली।

इसीलिए प्रदेश छोड़ रहे खिलाड़ी

सचिन का कहना है कि हरियाणा, दिल्ली सहित कुछ प्रदेश सरकार व केंद्र सरकार की ओर से पैरा खिलाड़ियों को बराबर की धनराशि व नौकरी प्रदान की जा रही है। प्रदेश में पैरा खिलाड़ियों की नियमावली तक न होने के कारण यहां के कुछ खिलाड़ी अन्य प्रदेशों से खेलने लगे, जिसका उन्हें लाभ भी मिला। सचिन को भी बाहर जाने के ऑफर मिले, लेकिन वह प्रदेश छोड़कर नहीं जाना चाहते थे इसलिए डटे रहे। सचिन के अनुसार यदि व्यक्तिगत लाभ लेना होता तो चले जाते, लेकिन उसके बाद पैरा खिलाड़ियों की आवाज फिर दब जाती।

पैरालिंपिक की तैयारी के बजाय दे रहे धरना

2020 पैरालिंपिंक गेम्स टोक्यो में हिस्सा लेने के लिए पावर लिफ्टिंग के 88 किलो भार वर्ग में सचिन चौधरी पहले ही क्वालीफाई कर चुके हैं। वह 97 किलो के वर्ग में भी क्वालीफाई करने की तैयारी कर रहे हैं। पर अब 2020 के लिए तैयारी करने के बजाय सचिन को अपने व अपने जैसे खिलाड़ियों के हक के लिए आंदोलन करना पड़ रहा है।

लखनऊ तक पहुंची आवाज

कैलाश प्रकाश स्पो‌र्ट्स स्टेडियम में सुबह 10 बजे से धरने पर बैठक सचिन व अन्य पैरा खिलाड़ियों का संज्ञान लेने दोपहर तीन बजे तक कोई प्रशासनिक अधिकारी नहीं पहुंचा। क्षेत्रीय क्रीड़ा अधिकारी आले हैदर ने उनकी मांग लेकर निदेशालय भेजने का आश्वासन जरूरी दिया, लेकिन अनशन समाप्त करने की कोशिश हुई। करीब तीन बजे जिला पंचायत अध्यक्ष कुलविंदर सिंह स्टेडियम पहुंचे। उनके बाद एसीएम ब्रम्हपुरी कमलेश कुमार गोयल भी मौके पर पहुंचे और सचिन से मांगपत्र लेकर शासन को भेजने का अश्वासन दिया।


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