लापरवाही : किसानों के कार्यक्रम में किसानों को ही भूले साहब, फिर 'वैज्ञानिकों की बात किसानों के साथ' शीर्षक क्यों ?
किसानों के लिए कार्यक्रम रखा गया था जिसमे प्रदेश कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही मैजूद थे साथ ही वैज्ञानिक और अधिकारी भी थे पर न तो किसान था और न ही किसानों का प्रतिनिधि।
मेरठ, जेएनएन। कलक्ट्रेट परिसर स्थित एनआइसी भवन में मंगलवार को कृषि विभाग की ओर से वीडियो कांफ्रेंसिंग की गई। वीडियो कांफ्रेंसिंग का शीर्षक था ‘वैज्ञानिकों की बात-किसानों के साथ’,लेकिन कार्यक्रम की सूचना किसानों को ही नहीं दी गई। सभागार में केवल कृषि अधिकारी ही मौजूद रहे। कार्यक्रम में लखनऊ से कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही, कृषि राज्य मंत्री रामलखन सिंह राजपूत, अपर मुख्य सचिव कृषि डा. देवेश चतुर्वेदी व कृषि निदेशक श्योराज सिंह ने कई मंडलों के किसानों से जैविक खेती, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना आदि विषयों पर वैज्ञानिकों के साथ चर्चा की। मेरठ में कृषि विभाग द्वारा कार्यक्रम की सूचना किसानों को नहीं दी गई। जिस पर किसान संगठनों व किसानों ने नाराजगी व्यक्त की है।
सम्मान निधि में लापरवाही न बरतें अधिकारी : सूर्य प्रताप शाही
कार्यक्रम में कृषि मंत्री ने किसानों से पराली न जलाने की अपील की। उन्होंने कहा कि किसानों को जैविक खेती की तरफ रूख करना चाहिए। शाही ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के लाभार्थी किसानों को धनराशि न पहुंचना अफसरों की लापरवाही का नतीजा बताया। उन्होंने साफ कहा कि वह अफसरों पर न्यूनतम कार्रवाई करना चाहते हैं। इसलिए सभी कृषि अधिकारी प्रधानमंत्री सम्मान निधि के डाटा को संशोधित करते हुए किसानों के खाते में शीघ्र योजना का लाभ पहुंचाने में शिथिलता न बरतें।
मेरठ से बासमती निर्यात विकास प्रतिष्ठान के डा. रितेश शर्मा ने बासमती की खेती पर विस्तारपूर्वक जानकारी दी। इसके अलावा कृषि उप निदेशक ब्रजेश चंद्र, जिला कृषि अधिकारी प्रमोद सिरोही, प्रयोगशाला सहायक निदेशक प्रबोध कुमार, कृषि उप संभागीय प्रसार अधिकारी चमन सिंह आदि मौजूद रहे। भारतीय किसान आंदोलन के कुलदीप त्यागी ने कहा कि एनआइसी में आयोजित ऑनलाइन कार्यक्रम में मेरठ से किसी भी किसान को नहीं बुलाया गया। जो ठीक नहीं है। किसानों के कार्यक्रम में यदि उन्हें ही नहीं बुलाया जाएगा तो सरकारी योजनाओं का लाभ किसानों को कैसे मिलेगा।