मिलीभगत का आरोप, जांच टीम को लौटाया
भावनपुर : खुले में शौच मुक्त हो चुके गांव मोरना में शौचालयों की जांच करने पहुंची अधिकारि
भावनपुर : खुले में शौच मुक्त हो चुके गांव मोरना में शौचालयों की जांच करने पहुंची अधिकारियों की टीम को ग्रामीणों ने विरोध करते हुए बैरंग लौटा दिया। शिकायतकर्ता और ग्रामीणों ने जांच टीम पर ग्राम प्रधान से मिलीभगत करने का आरोप लगाया है।
रजपुरा ब्लॉक अंतर्गत ग्राम मोरना निवासी निशांत शर्मा, राजकुमार व अतुल काम्बोज ने गांव में बन रहे 232 शौचालयों में धांधली व भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए 25 जुलाई को सीडीओ से शिकायत की थी। 7 दिसंबर को उप निदेशक कृषि सुरेन्द्र सिंह चौधरी के नेतृत्व में आधा दर्जन अफसरों की टीम शौचालयों समेत विकास कार्यों की जांच करने पहुंची। ग्रामीणों ने मौके पर शौचालयों की हालत दिखाते हुए अनियमितता बरतने के आरोप लगाए। उप निदेशक कृषि ने उच्चाधिकारियों को जांच रिपोर्ट सौंपने की बात कही थी। अगले दिन पूरे मामले की शिकायत सीएम व पीएम के ट्वीटर अकाउंट पर भी की गई। मोरना गांव को ओडीएफ (ओपन डेफिकेशन फ्री) घोषित कर ग्राम प्रधान शहजाद को पूर्व डीएम चन्द्रकला सम्मानित भी कर चुकी हैं। उधर, ग्रामीणों ने गड़बड़ी की जांच आयुक्त द्वारा कराए जाने की मांग की। साथ ही शुक्रवार को प्रकरण को कमिश्नर के समक्ष रखकर कार्रवाई की मांग करने की बात भी कही है।
गलत को सही लिखने पर भड़के
शिकायतकर्ताओं का कहना है कि गुरुवार को कृषि विभाग के टेक्नीकल असिस्टेंट महेश कुमार के साथ चार सदस्यीय टीम फिर से जांच करने पहुंची। आरोप लगाया कि जिन शौचालय मौके पर निर्माण ही नहीं था, उनकी एंट्री जांच टीम ने अपने रजिस्टर में सही सही नोट कर ली। जानकारी लगने पर शिकायतकर्ता व ग्रामीण भड़क गए और उन्होंने टीम को घेर लिया। घेराव करते हुए ग्रामीणों ने नारेबाजी की और जमकर हंगामा किया।
इन शौचालयों में मिली गड़बड़ी
कुछ शौचालय मौके पर चालू हालत में नहीं मिले। लेकिन अधिकारियों ने अपनी जांच में सही पाया। गड़बड़ी वालों में लक्ष्मी पत्नी सुरेन्द्र, रिचा पत्नी मुनेश, दयावती पत्नी छतरपाल, तेजपाल, छाया पत्नी सोनू, सुरेन्द्र पुत्र रामानंद, सुक्खे बाल्मीकि, दयावती पत्नी मामचंद, मुनेश पत्नी कर्म ¨सह, रेखा पत्नी विनोद, बबीता पत्नी शिव कुमार, मेहरवती पत्नी वेदप्रकाश, मनीराम पुत्र सिरिया, धनीराम आदि शामिल हैं।
इनसेट
तस्वीर खोल रही ओडीएफ की पोल
गांव मोरना खुले में शौच मुक्त होने वाले गांवों की सूची में काफी पहले ही दर्ज हो चुका है, लेकिन में शौचालय निर्माण की तस्वीरें गांव में स्वच्छ भारत अभियान की पोल खुल रही है। जांच टीम की सूची में जिन शौचालयों को बेहतर बताया गया है, असल में वहां शौचालय का निर्माण ही नहीं हो सका है। ऐसे कई ग्रामीण सामने आए, जिनका नाम शौचालय निर्माण की सूची में दर्ज था, लेकिन उनके घर में शौचालय का निर्माण नहीं हो सका।
इन्होंने कहा--
शौचालय निर्माण को लेकर की गई शिकायत की जांच निष्पक्ष रूप से की जा रही है, ग्रामीणों के आरोप गलत है। शीघ्र ही रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को सौंप दी जाएगी।
- एससी चौधरी, उप निदेशक कृषि