नालानामा : गोबर और कूड़े से पाट दिया ओडियन नाला
अगर नाला सफाई की हकीकत देखनी हो तो जरा ओडियन नाले के दर्शन कर आइए..। कहने को नाला है पर पानी कहीं कहीं ही दिखेगा। सूखी सिल्ट नजर आएगी। दरअसल पूरे नाले को गोबर और कूड़े से पाट दिया गया।
मेरठ। अगर नाला सफाई की हकीकत देखनी हो तो जरा ओडियन नाले के दर्शन कर आइए..। कहने को नाला है, पर पानी कहीं, कहीं ही दिखेगा। सूखी सिल्ट नजर आएगी। दरअसल, पूरे नाले को गोबर और कूड़े से पाट दिया गया। यह कारनामा नगर निगम के अधिकारियों और डेयरी संचालकों की मिलीभगत से हुआ है। डेयरियों का गोबर इस कदर बहाया गया कि 10 फीट गहरे नाले में जगह-जगह गोबर के टीले नजर आने लगे हैं। उधर, नगर निगम हर दिन पोर्कलेन और जेसीबी से सफाई के दावे कर रहा है।
पुराने शहर की है लाइफलाइन
ओडियन नाले की बात करें तो यह पुराने शहर की जान है। करीब पांच लाख आबादी की जल निकासी इस नाले पर निर्भर है। अर्थात यह नाला डूबेगा तो पुराने शहर को डुबोएगा। यह जानते हुए भी नगर निगम के अधिकारी इस नाले को लेकर गंभीर नहीं हैं। घंटाघर का कोटला नाला ब्रह्मापुरी में आकर ओडियन नाला हो जाता है। ईदगाह, ओडियन सिनेमा, भुमिया का पुल, कांच का पुल, पिलोखड़ी, हापुड़ रोड स्थित कमेला पुल, एल ब्लॉक तिराहा होते हुए काली नदी में जाकर गिरता है। वार्ड 44, 35, 51,59,72,73 और 74 आदि वार्डो से यह नाला गुजरता है। वैसे तो इस नाले की लंबाई 15 किमी. के करीब है, लेकिन आबादी के बीच का हिस्सा लगभग आठ किमी. का है।
500 डेयरियों का गोबर इसी नाले में
ओडियन नाले में पानी से ज्यादा तो गोबर बहाया जाता है। नगर निगम के कर्मचारियों की मानें तो इस नाले में शहर में संचालित 500 डेयरियों का गोबर रोजाना बहाया जाता है। घंटाघर से लेकर हापुड़ रोड तक कई बाजार का और दुकानों का कूड़ा-कचरा भी इसी नाले में फेंका जाता है।
वर्तमान स्थिति भयावह
हालात ये हैं कि 10 फीट गहरा और आठ फीट चौड़ा ओडियन नाला गोबर और कूड़े से अटा पड़ा है। ओडियन सिनेमा के पास तो गोबर नाले में सूख गया है। 10 फीट गहराई में आठ फीट तो सिल्ट ही जमा है। हजारों टन गोबर नाले में भरा हुआ है। जिस हिस्से में पानी है, वहां कूड़ा जमा है। नाला अधिकांश स्थानों पर दलदल में तब्दील है। वर्तमान में नाले की स्थिति बारिश का पानी बहाकर ले जाने की नहीं है।
हर रोज सफाई, फिर भी भरा-भरा
नाला सफाई की बात करें तो दिल्ली वाहन डिपो और सूरजकुंड वाहन डिपो के क्षेत्र में आने वाले नाले की हर रोज मशीन से सफाई कराने का दावा नगर निगम का है। एक मशीन पिलोखड़ी में तो दूसरी मशीन कमेला पुल के पास लगाई जाती है। सालभर में अकेले इस नाले की सफाई में 30 लाख से अधिक रुपये खर्च होते हैं। फिर भी सफाई नजर नहीं आती।
..तो बारिश में बनेगा 'काल'
नगर निगम ने बीस दिन पहले क मेला पुल से नाले की सफाई शुरू की है। लेकिन अभी तक 300 मीटर नाला भी साफ नहीं हो पाया है। मानसून आने को 60 दिन भी नहीं बचे हैं। ऐसे में नाले में जमा आठ फीट गहरी सिल्ट देखकर आसपास बसे लोग दहशत में हैं। अगर समय पर तलीझाड़ सफाई न की गई तो यह नाला बारिश में काल बनेगा। उफनने के साथ मोहल्लों में पानी भरेगा। हालांकि नगर निगम का दावा है कि मई के दूसरे पखवाड़े तक नाले की सफाई कर ली जाएगी। उल्लेखनीय है कि पिछले साल 27 जुलाई को भीषण बारिश में नाले का पानी अपनी सरहद पार कर मोहल्लों में घुस गया था। सड़कें लबालब हो गई थीं।
नाले पर बन गए पक्के रैंप
ओडियन नाले पर जगह-जगह अतिक्रमण हो गया है। दुकानदारों में लोहे के रैंप बना लिए हैं। भुमिया के पुल के समीप हॉस्पिटल के सामने पक्के रैंप बन गए हैं। कई रैंपों का निर्माण जारी है। गाड़ी पार्किंग बन गई है। मकान की दीवारे बनाई जा रही हैं। लेकिन नए अतिक्रमण को न तो रोका जा रहा है और न ही पुराने अतिक्रमण समाप्त किए जा रहे हैं। जिससे नाले की सफाई भी नहीं हो पा रही है।
इनकी है जिम्मेदारी
ओडियन नाला दिल्ली रोड के अंतर्गत आता है। मुख्य सफाई निरीक्षक व वाहन डिपो प्रभारी गजेंद्र सिंह, सफाई निरीक्षकों में कुलदीप, गंभीर सिंह, मलखान सिंह, प्रमोद सैनी के क्षेत्र में अधिकांश हिस्सा आता है। इन पर नाला सफाई की प्रमुख जिम्मेदारी है।
इन्होंने कहा-
वाहन डिपो प्रभारी और सफाई निरीक्षकों को ओडियन नाले की तलीझाड़ सफाई का निर्देश दिया गया है। डेयरियों का गोबर नाले की सफाई में बड़ी चुनौती है। डेयरियों को बाहर करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। बारिश के सीजन से पहले नाले की व्यवस्थित सफाई कर दी जाएगी।
-डॉ. गजेंद्र सिंह, नगर स्वास्थ्य अधिकारी