Move to Jagran APP

मोबाइल बताएगा भूजल का स्तर, कम हो तो कर लें रिचार्ज

भूजल स्तर में गिरावट की जानकारी अब आपके मोबाइल फोन पर भी उपलब्ध होगी। भूजल विभाग मंडल में ढाई सौ स्थानों पर आटोमेटिक वाटर लेवल रीडर लगवा रहा है।

By Ashu SinghEdited By: Published: Sun, 16 Dec 2018 11:13 AM (IST)Updated: Sun, 16 Dec 2018 11:13 AM (IST)
मोबाइल बताएगा भूजल का स्तर, कम हो तो कर लें रिचार्ज
मोबाइल बताएगा भूजल का स्तर, कम हो तो कर लें रिचार्ज

मेरठ, [संतोष शुक्ल]। अगर आप अपने मोहल्ले के भूजल स्तर की सटीक जानकारी चाहते हैं, तो जल्द ही रिपोर्ट आपके मोबाइल पर उपलब्ध होगी। विश्व बैंक की मदद से भूजल विभाग मेरठ मंडल में ढाई सौ स्थानों पर आटोमेटिक वाटर लेवल रीडर लगाएगा। सेंसर को सेटेलाइट से लिंक किया जाएगा, जिसका आंकड़ा ब्लूटूथ से भी ट्रांसफर हो सकेगा। मेरठ में पहले चरण में चार स्थानों पर इसे लगाया गया है। भूजल स्तर की रिपोर्ट विभागीय वेबसाइट पर भी उपलब्ध होगी।
आगरा में सौ स्थानों पर सफल
मेरठ में भूजल स्तर 97 सेमी प्रति वर्ष की दर से गिर रहा, जो प्रदेश में सर्वाधिक है। भूजल की थाह लेने के लिए विभाग ने पायलट प्रोजेक्ट के तहत आटोमेटिक वाटर लेवल रिकार्डर लगाने की प्रक्रिया शुरू की। पहले चरण में आगरा में सौ पीजोमीटर पर रिकार्डर लगाया गया, जिसके बाद सेंट्रल सर्वर पर रोजाना भूजल स्तर की रिपोर्ट मिल रही है। इसी कड़ी में मेरठ मंडल में हापुड़, मेरठ और बागपत में करीब ढाई सौ रिकार्डर लगाने की योजना बनाई गई है। पहले भूजल स्तर की रिपोर्ट सिर्फ विभाग के सर्वर पर डिस्प्ले होती थी, लेकिन अब वेबसाइट पर भी नजर आएगी। सेटेलाइट लिंक के जरिए इसे मोबाइल पर भी देखा जा सकेगा।
भूजल स्तर मापता है पीजोमीटर
पहले कुएं से भूजल मापा जाता था। अब चार इंच की बोरिंग कर ऊपर एक कैप के साथ पीजोमीटर लगाते हैं। कई बार इस कैप को खोलकर लोगों ने कंकड़ डाल दिया या भूजल ज्यादा नीचे पहुंच गया। अब डीप पीजोमीटर की बोरिंग 200 मीटर तक की जाती है। नई तकनीक के तहत इसमें डिजिटल वाटर लेवल रिकार्डर लगा देते हैं। यह दिन में कई बार भूजल स्तर की रिपोर्ट केंद्रीय सर्वर को भेजेगा। अधिकारी इसे मोबाइल से लिंक कर सकेंगे। वेबसाइट के जरिए भी मंडल के हर क्षेत्र के भूजल की रिपोर्ट मिलेगी।
10 साल में 26 मीटर गिरा मेरठ का भूजल
भूजल स्तर 91 से बढ़कर 100 सेमी प्रति वर्ष तक पहुंच गया। पीजोमीटर की रिपोर्ट के मुताबिक 80 फीसद स्थानों पर भूजल में गिरावट दर्ज की गई है। बारिश के बाद भूजल स्तर में इजाफा के बजाय गिरावट आई। सड़क, फुटपाथ, फर्श एवं पार्क तक कंकरीट की वजह से 90 फीसद वर्षाजल बह गया।
भूजल स्तर कम हो तो रिचार्ज करें
भूजल स्तर की जानकारी मिलने पर लोग रेन वाटर हारवेस्टिंग के जरिए रिचार्ज कर सकेंगे। इसके लिए भूजल विभाग एवं निजी संगठन भी तकनीकी मदद करेंगे। भूजल दोहन के प्रति जागरूकता बढ़ेगी। जल संरक्षण के लिए अन्य उपाय अपनाए जाएंगे। उधर, विभाग भी गिरते भूजल के कारणों की सटीकता से पड़ताल कर सकेगा।
इनका कहना है
आगरा में सफल प्रयोग के बाद मेरठ में साकेत समेत चार स्थानों पर डिजिटल वाटर लेवल रिकार्डर लगाए गए हैं। इस सेंट्रल सर्वर से लिंक करने के साथ ही वेबसाइट पर भी देखा जा सकेगा। मोबाइल पर भी भूजल स्तर की रिपोर्ट मिलेगी।
-राजीव यादव, पूर्व अभियंता भूजल विभाग

loksabha election banner

10 साल में इस तरह से गिरा भूजल स्तर

  • गढ़ रोड, विवि रोड :  9.45 मीटर
  • टेंपल कैंपस कलक्ट्रेट : 8.00 मीटर
  • कसेरूबक्सर : 8.43 मीटर
  • माल रोड : 5.8 मीटर
  • कृष्णा मंदिर नौचंदी : 9.03 मीटर
  • जयभीमनगर : 9.34 मीटर
  • ब्रह्मपुरी : 6.05 मीटर
  • पावर हाउस जेलचुंगी : 7.45 मीटर
  • हापुड़ रोड काजीपुर : 8.81 मीटर

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.