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चमत्‍कार नहीं यह विज्ञान है, शरीर खुद करेगा कैंसर का इलाज

चिकित्सा विज्ञान ने शरीर को खुद अपना इलाज करना सिखा दिया है। इम्यूनोथेरेपी के अंतर्गत कैंसरग्रस्त कोशिकाओं की प्राकृतिक रिपेयरिंग होगी।

By Taruna TayalEdited By: Published: Tue, 05 Feb 2019 05:18 PM (IST)Updated: Tue, 05 Feb 2019 05:18 PM (IST)
चमत्‍कार नहीं यह विज्ञान है, शरीर खुद करेगा कैंसर का इलाज
चमत्‍कार नहीं यह विज्ञान है, शरीर खुद करेगा कैंसर का इलाज
मेरठ, [जागरण स्‍पेशल]। अगर मरीज का शरीर ही कैंसर का इलाज करने लगे तो इसे चमत्कार मत मानिएगा। चिकित्सा विज्ञान ने शरीर को खुद अपना इलाज करना सिखा दिया है। इम्यूनोथेरेपी के अंतर्गत कैंसरग्रस्त कोशिकाओं की प्राकृतिक रिपेयरिंग होगी। शरीर की टी-सेल बीमार कोशिकाओं को मार देगी और मरीज के बाल भी नहीं झड़ेंगे। मेरठ में दर्जनभर मरीजों का इलाज चल रहा है। चिकित्सकों की मानें तो यह थेरेपी दशकभर में कैंसर के इलाज का परिदृश्य बदल देगी।
ऐसे होता है कैंसर
कोशिकाओं में विशेष रिसेप्टर होते हैं, जो नई कोशिकाओं के बनने एवं पुरानी को नष्ट करने के लिए सिग्नल देते हैं लेकिन कैंसर होने पर ये सिग्नल रिसेप्टर तक नहीं पहुंच पाते और कोशिकाएं लगातार बनती रहती हैं। यह अनियंत्रित विकास ही कैंसर होता है।
इलाज भी एक दर्द
इसके इलाज के लिए रेडियोथेरपी के जरिए हाई एनर्जी बीम से बीमार अंग को जलाते हैं, जिससे आसपास की स्वस्थ कोशिकाएं नष्ट हो सकती हैं। कीमो में भी मरीजों को उल्टी होती है। उनके बाल तक झड़ जाते हैं। पुरुष मरीज के शुक्राणु व महिला के अंडाणु नष्ट हो जाते हैं।
इम्यूनोथेरेपी बनेगी वरदान
इस थेरेपी के अंतर्गत चंद दवाएं देकर मरीज की बीमार कोशिकाओं को उत्तेजित किया जाता है। इससे शरीर की प्रतिरोधक प्रणाली कैंसर कोशिकाओं की पहचान करते हुए उन्हें खत्म करने लगती हैं। इस ग्रुप की करीब 10 दवाएं प्रचलन में हैं, जो लंग्स, पेट, रक्त एवं लीवर समेत तमाम प्रकार के कैंसर में प्रभावी मिली है। कई मरीजों की सफेद रक्त कणिकाओं को कैंसररोधी सेल के रूप में बदल दिया जाता है।
कीटनाशक के बढ़ते प्रयोग से बढ़ रहा कैंसर
पूरे विश्व में हर साल एक करोड़ 80 लाख लोग कैंसर की बीमारी से मर जाते हैं, यह भयावह आंकड़ा कई छोटे देश की कुल आबादी से भी अधिक है। यह कहना है मैक्स सुपरस्पेशियलिटी हॉस्पिटल दिल्ली की निदेशक और कैंसर रोग विशेषज्ञ डा. मीनू वालिया का। कैंसर दिवस पर राधा गोविंद इंस्टीट्यूट आफ नर्सिग साइंसेज में आयोजित गेस्ट लेक्चर में डा. वालिया ने बताया कि कृषि क्षेत्र में बढ़ते कीटनाशक के दुष्परिणाम इस तरह से आ रहे हैं कि पंजाब में भटिंडा से बीकानेर को चलने वाली रेलगाड़ी को कैंसर ट्रेन का नाम दिया जाने लगा है। हजारों लोग इस बीमारी को हराकर जीवन जी रहे हैं। पहले स्टेज में अगर इसके लक्षण पहचान लिए जाए तो कैंसर का इलाज आसानी से हो सकता है। डा. वालिया ने महिलाओं में होने वाले स्तन और गर्भाशय कैंसर के विषय में बताया। संस्था के चेयरमैन योगेश त्यागी, डा. पीके सिंह, प्रिंसिपल महेश कुमार आदि उपस्थित रहे।
इन्‍होंने कहा
दर्जनों दवाएं मरीजों को नुकसान पहुंचाती हैं। इम्यूनोथेरेपी में शरीर को नुकसान नहीं है। मरीज की प्रतिरोधकता बढ़ाने से कैंसर सेल खुद ही मरने लगती हैं। फिलहाल यह इलाज बेहद महंगा है, किंतु आने वाले दिनों में सस्ता होगा। मैं आधा दर्जन से ज्यादा मरीजों का इलाज कर चुका हूं।
- डा. उमंग मित्थल, वरिष्ठ कैंसर रोग विशेषज्ञ
सफेद रक्त कणिकाओं में टी और डी दो सेल होते हैं, जिसमें टी-सेल बेहद ताकतवर हैं। इम्यूनोथेरेपी में इसे जागृत कर कैंसर सेल को मार दिया जाता है। यह आने वाले दिनों में कैंसर के इलाज में बड़ी क्रांति है। ब्लड कैंसर के मरीजों पर मैंने बेहतर असर पाया।
- डा. राहुल भार्गव, ब्लड कैंसर विशेषज्ञ, वेलेंटिस अस्पताल 

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