रेन वाटर नहीं, कूड़े की हार्वेस्टिंग..यही तो रोना है
मेरठ। 250 वर्ग मीटर की छत पर एकत्र हुए बारिश के जल को हार्वेस्ट कर पांच लोगों को एक सा
मेरठ। 250 वर्ग मीटर की छत पर एकत्र हुए बारिश के जल को हार्वेस्ट कर पांच लोगों को एक साल तक पानी मुहैया कराने के भविष्य के जिस सपने को साकार करने के लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनवाए गए थे, वे शायद उसे दिवास्वप्न बना देंगे।
कमिश्नर कार्यालय को छोड़कर बाकी स्थानों पर बनाए गए इन सिस्टम को कूड़े ने ठप कर दिया है। बारिश का पानी हार्वेस्ट हो या न हो, मगर यहां कूड़ा जरूर हार्वेस्ट हो रहा है। एक यूनिट को बनाने में डेढ़ लाख रुपये खर्च हुए थे। कमिश्नर के आदेश पर पिछले साल जुलाई में 10 सरकारी भवनों के परिसर में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनवाए गए थे।
हजारों लीटर पानी भरने की क्षमता
इनकी लंबाई तीन मीटर, चौड़ाई 2.4 मीटर और गहराई 2.4 मीटर है। 100 फिट की दो बो¨रग की गई हैं। इन पिटों में एक दिन में हजारो लीटर पानी एकत्र होकर बो¨रग की पाइप से नीचे जाता रहता है। पिट में कई स्थान पर फिल्टर लगाया गए हैं ताकि कूड़ा-कचरा अंदर न जाए। हालांकि यदि नाली पर ही कूड़ा जमा हो जाएगा तो पानी आसानी से अंदर नहीं जा पाएगा और पानी अन्यत्र बह जाएगा।
कलक्ट्रेट परिसर में दो स्थानों पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनवाया गया था। इनमें एक पिट में कूड़ा भरा हुआ है। नाली चोक है, जिससे बारिश का पानी पिट में जाने के बजाय आसपास बहता रहेगा। दूसरे पिट की नाली भी गंदगी से अटी हुई है। यहां पिट में पानी भेजने के लिए नाली अच्छे तरीके से नहीं बनाई गई है। बारिश का पानी पिट के अंदर भेजने के लिए जो नाली बनवाई गई थी, वह टूट गई है। यही नहीं उसमें कूड़ा पटा हुआ है। पिट में बारिश का पानी भेजने के लिए बेहतर नाली की व्यवस्था भी नहीं की गई है। कमिश्नर कार्यालय में पार्किंग के पास रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनवाया गया था। इस सिस्टम को ही अच्छा कहा जा सकता है, क्योंकि नाली के पास सफाई है और जो नाली बनाई गई है वह ढलान लिए है। इससे परिसर में बारिश का पानी एकत्र होते ही इसके जरिए पिट में पहुंच जाएगा।
1000 हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाने की थी योजना
कमिश्नर ने जब प्रयोग के तौर पर शहर के चुनिंदा भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनवाए थे तभी उन्होंने यह योजना बनाई थी कि यदि ये सिस्टम सफल हुए तो वह निकायों की अवस्थापना निधि से हार्वेस्टिंग सिस्टम की एक हजार यूनिट बनवाएंगे। अब देखना यह होगा कि यह यूनिट उस मकसद में सफल हो पाती हैं या नहीं?
..तो अगली पीढ़ी को नहीं होगी जल की कमी
सिंचाई विभाग के सेवानिवृत्त इंजीनियर बीडी शर्मा बताते हैं कि वैसे तो रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाने में 10 लाख रुपये तक खर्च हो जाते हैं, मगर पिछली जुलाई में जिन 10 सरकारी परिसरों में सिस्टम बनाए गए थे, उनमें महज डेढ़ लाख रुपये ही खर्च हुए थे। इसमें जो तकनीक इस्तेमाल की गई है, उससे कहीं अधिक मात्रा में वाटर हार्वेस्ट किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि एक अध्ययन के अनुसार एनसीआर में 250 वर्ग मीटर की छत पर जितना बारिश का पानी एकत्र होता है यदि उसे हार्वेस्ट कर लिया जाए तो 100 लीटर प्रतिदिन के हिसाब से एक परिवार के पांच सदस्यों को एक साल तक के लिए पानी संरक्षित हो जाएगा।
मंडलायुक्त मेरठ मंडल डॉ प्रभात कुमार का कहना है कि बारिश के पानी को संचित करने के लिए सरकारी भवनों में 10 रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम का निर्माण कराया था। साथ ही संबंधित विभागों को इनके देखरेख के लिए निर्देशित किया हुआ है। कमिश्नरी में लगा सिस्टम बेहतर है और काम कर रहा है। अन्य विभागों से भी सिस्टम की स्थिति को लेकर रिपोर्ट तलब की जाएगी।