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कैसे पढ़तीं बेटियां, पैसा मिलने के बाद भी अफसरों ने नहीं की कोशिश

गत वर्ष बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के तहत खास प्रयास नहीं हो सके थे। वर्तमान वित्तीय वर्ष के लिए बची राशि को आवंटित किया गया है। इस बार इसके लिए हर संभव प्रयास किए जाएंगे।

By Taruna TayalEdited By: Published: Sat, 02 Mar 2019 11:19 AM (IST)Updated: Sat, 02 Mar 2019 11:19 AM (IST)
कैसे पढ़तीं बेटियां, पैसा मिलने के बाद भी अफसरों ने नहीं की कोशिश
कैसे पढ़तीं बेटियां, पैसा मिलने के बाद भी अफसरों ने नहीं की कोशिश

मेरठ, जेएनएन। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना की मदद से लोगों को जागरूक करने के लिए केंद्र सरकार ने मेरठ जनपद को एक साल पहले 32.50 लाख रुपया जारी किया था, लेकिन संबंधित अफसरों ने कुछ नहीं किया। लिहाजा पैसा भी खर्च नहीं हुआ। मात्र 2.54 लाख रुपये ही खर्च हो सके। डीएम की मांग पर मंत्रालय ने इस बची राशि को वर्ष 2018-19 के लिए आवंटित कर दिया है।
32 लाख में से सिर्फ 2.54 लाख ही हुए खर्च
केंद्र सरकार कन्या भ्रूण हत्या को रोकने, जन्म लेने वाली बेटियों को बचाने और पढ़ाने के लिए हर संभव कोशिश कर रही है। केंद्र सरकार का महिला एवं बाल विकास मंत्रलय बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना संचालित कर रहा है। इसके तहत आमजन को जागरूक करने के लिए तमाम प्रयास किए जा रहे हैं। धनराशि की कोई कमी केंद्र की ओर से नहीं है, लेकिन स्थानीय अफसर हैं कि उन्हें न बेटी बचाने की फिक्र है और न ही बेटी पढ़ाने की। मंत्रलय ने मेरठ जनपद को इस कार्य के लिए वित्तीय वर्ष 2017-18 के लिए 32.50 लाख रुपया जारी किया था, लेकिन अफसरों ने इस दिशा में कोई काम नहीं किया। साल बीत गया और मात्र 2.54 लाख रुपया ही खर्च किया जा सका। 29.95 लाख रुपया बच गया। डीएम ने मंत्रालय के उप निदेशक अशोक कुमार जायसवाल को पत्र भेजकर इस बची राशि को वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए जारी करने की मांग की। इसे मंत्रालय ने स्वीकार कर लिया। उप निदेशक ने हाल ही में जिलाधिकारी को पत्र भेजकर उक्त राशि को वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए जारी करने की जानकारी दी है।
एक महीने में कुछ खास उम्मीद न करें
मंत्रालय द्वारा जारी की गई राशि से योजना के प्रचार प्रसार और जागरूकता संबंधी कार्यो की जिम्मेदारी जिला प्रोबेशन विभाग की होती है। मंत्रालय ने भले ही वर्तमान वित्तीय वर्ष के लिए 29.95 लाख रुपये की भारी भरकम राशि स्वीकृत कर दी हो, लेकिन वित्तीय वर्ष में अब मात्र मार्च बचा है। एक महीने में 30 लाख रुपये का खर्च होना तथा योजना के लक्ष्यों को प्राप्त कर पाना मुश्किल होगा।
महिला एवं बाल विकास मंत्रलय ने दिए थे 32.50 लाख, खर्च हुए 2.54 लाख

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  • बैठक, प्रशिक्षण और क्षमता विकास के लिए 4.79 लाख।
  • नवप्रयोग, जागरूकता पैदा करना, गतिविधियां और सामग्री के लिए 14.97 लाख।
  • देखरेख, मूल्यांकन और दस्तावेज तैयार कराने के लिए 1.79 लाख।
  • मानव संसाधन और विकास मंत्रलय के मुताबिक गतिविधियों के लिए 2.99 लाख।
  • फ्लेक्सी फंड को 2.39 लाख।
    इन्होंने कहा

गत वर्ष बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के तहत खास प्रयास नहीं हो सके थे। वर्तमान वित्तीय वर्ष के लिए बची राशि को आवंटित किया गया है। इस बार इसके लिए हर संभव प्रयास किए जाएंगे।
- रामचंद्र, एडीएम प्रशासन 


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