निर्जला एकादशी व्रत 2020: भक्तों को मानसिक, शारीरिक और आध्यत्मिक ताकत देता है यह व्रत, जाने इसका पूरा महात्मय
Nirjala Ekadashi fast 2020 दो जून को होने वाले निर्जला एकादशी व्रत का बड़ा महत्व है। शहर के कई भक्त ऐसे हैं जो पूरे दिन अन्न और जल नहीं ग्रहण करते।
मेरठ, जेएनएन। त्योहारों के देश में निर्जला एकादशी व्रत को लेकर सनातन धर्म के मानने वालों में गहरी आस्था है। दो जून को होने वाले निर्जला एकादशी के दिन शहर के कई भक्त ऐसे हैं जो पूरे दिन अन्न और जल नहीं ग्रहण करते। भगवान विष्णु का पूजन करते हैं। अगले दिन अन्न आदि दान करने के बाद ही व्रत खोलते हैं।
ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की में होने वाली निर्जला एकादशी के दिन सूर्योदय के पूर्व से लेकर द्वादशी को सूर्योदय के बाद जल ग्रहण करने की परंपरा है। गरमी के दिनों में कठिन नियम होने के कारण हर भक्त इसको करने से परहेज करता है। मान्यता है कि इस दिन जल भरा हुआ घड़ा, घी, चीनी, फल आदि दान करना चाहिए। ज्योतिष विद विभोर इंदुसुत ने बताया कि रसीले फल जैसे तरबूज, खरबूज और शर्बत आदि के दान का महत्व है। एक मान्यता यह भी है कि महर्षि वेद व्यास ने भीम को इस व्रत के बारे में बताया था तभी से इसका नाम भीम सैनी एकादशी पड़ा।
यह व्रत के पीछे का विज्ञान
व्रत करने का विधान हर धर्म में है। एक निश्चित दिनों के अंतराल पर अगर हम अन्न नहीं ग्रहण करते हैं तो इससे लगातार काम करने वाले हमारे अमाशय को आराम मिलता है। वरिष्ठ फिजीशयन डा. अनिल कुमार ने बताया कि व्रत हमारे शरीर के लिए क्लीनजिंग का काम करते हैं। जो दूषित रसायन शरीर में जमा हो जाते हैं भोजन न करने से उन्हें शरीर से बाहर निकलने में सिस्टम सक्षम हो पता है। जहां तक निर्जला एकदशी की बात है तो इस प्रकार के व्रत हंिदूू धर्म में हठ योग की श्रेणी में आते हैं।
इन्होंने बताया
लंबे समय से व्रत कर रही हूं। पहले पति भी करते थे लेकिन अब वह फलहार ले लेते हैं। सुबह के समय ठाकुर जी पूजन करने के बाद सुराही आदि का दान करती हूं। अगले दिन अन्न का दान करने के बाद व्रत खोलती हूं।
- अंजना शर्मा, मलियाना
प्रत्येक माह में दो एकादशी होती हैं, शास्त्रों में दोनो में व्रत रखने महात्मय बताया गया है। लेकिन अगर माह में दो एकादशी का व्रत न रख पाएं तो वर्ष में एक बार आने वाली निर्जला एकादशी का व्रत करने समस्त पुण्य प्राप्त हो जाते हैं। स्कंद पुराण में इस दिन किए जाने दान पुण्य और उसके महत्व का उल्लेख मिलता है।
-राधिकानंद ब्रह्मचारी, राजराजेश्वरी मंदिर सम्राट पैलेस
मैं इस व्रत को पिछले सात वर्ष से रह रही हूं। घर में कई तरह की परेशानियां थी। व्रत रखने के बाद काफी हद तक उनसे मुक्ति मिली है। भगवान कृष्ण को मानती हूं वह विष्णु का अवतार हैं इसलिए भी व्रत रखने की प्रेरणा मिली थी।
- संतोष गोयल, सुभाष नगर
विशेषज्ञ की राय
निर्जला एकादशी का व्रत करने के दौरान जहां तो हो सके मौन रहें। इस दौरान शारीरिक श्रम नहीं करना चाहिए और आरमदायक महौल में रहना चाहिए। हार्ट, डायबटीज या ऐसे रोगी जो नियमित दवाओं का सेवन करते हैं उन्हें इस व्रत को नहीं रखना चाहिए।
- डा. अनिल कुमार, वरिष्ठ फिजीशियन