Nirbhaya Case: चैन की सांस लेकर बोलींं महिलाएं, दरिंदगी की सजा मिलना ही सबसे बड़ा संदेश
Nirbhaya Case निर्भया के दोषियों को फांसी की सजा पर महिलाओं में खुशी। खबर सुनकर बोली महिलाएं दरिंदगी की सजा ऐसी ही मिलनी चाहिए।
मेरठ, जेएनएन। 16 दिसंबर 2012 की उस काली रात को देश के माथे पर कलंक का टीका लगाने वाले निर्भया के दोषियों को सजा मिलने पर मेरठ की महिलाओं में खुशी है। देर रात न्यायालय के गलियारों में चली चहलकदमी देख जब सुबह उठे तो लोगों को फांसी हो ही जाने पर पूरा यकीन नहीं था, लेकिन जब पता चला तो लंबी सांस लेने के साथ महिलाओं ने अदालत का शुक्रिया अदा करते हुए निर्भया की मां को आखिरकार न्याय मिलने पर खुशी व्यक्त किया।
दिल्ली में शुक्रवार तड़के निर्भया के दोषियों को फांसी की सजा सुनाए जाने की सूचना लोगों में फैलते ही यह चर्चा का विषय बना रहा। जो लोग घर पर ही थे उनकी नजर सुबह उठते ही टीवी पर टिकी रही। जो सुबह सैर सपाटे पर निकले थे उनके लिए यह ब्रेकिंग न्यूज दिन की सबसे बड़ी खबर थी। सुबह गांधी बाग में टहलने पहुंची रजबन की रहने वाली मंजुला ने कहा कि बेटियों के साथ ऐसी दरिंदगी करने वाले गुनहगारों कड़ी सजा ही मिलनी चाहिए। इस घटना से जिस कदर देश को झकझोर कर रख दिया था, उतनी सुरक्षा अभी भी नहीं हो पाई है। अब थोड़ा सुरक्षा का माहौल जरूर बन रहा है लेकिन लोगों की मानसिकता में बदलाव जरूरी है। अभी भी ऐसी घटनाएं हो रही हैं। ऐसी घटनाओं में सुनवाई व सजा तेज होनी चाहिए। ठीक वैसी ही जिस तरह हैदराबाद में महिला चिकित्सक के साथ हुई घटना के बाद हुआ था।
इन्होंने बताया
इस मामले में मिली सजा के बाद फांसी का इंतजार था। अच्छा हुआ जो दोषियों को लटकाया गया। समाज में व्याप्त ऐसे दरिंदों को इसी तरह की सजा मिलनी चाहिए तभी कड़ा संदेश जाएगा।
- नेहा टुटेजा, रजबन
देर से ही सही पर निर्भया के मामले में मिली कड़ी सजा एक संदेश देती है कि जो भी इस तरह की घटना को अंजाम देगा उसे आज नहीं तो कल सजा हर हाल में मिलेगी। सजा का डर होना चाहिए तभी लोग अपराध करने से पहले दो बार सोचेंगे।
-सुनीता माहेश्वरी, आबूलेन
निर्भया के माता-पिता का संघर्ष देख समाज विरोधियों के खिलाफ आवाज उठाने की हिम्मत बढ़ती है। ऐसे मामलों में सजा दिलाने में तत्परता दिखेगी तभी लोग शिकायतें लेकर सामने आएंगे। जब तक सजा नहीं मिलती है तब तक परिवार जनों के लिए न्याय के लिए लडऩा भी एक सजा जैसा ही होता है। कड़ा संदेश जाएगा तभी बेटियों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सकेगी।
-रजनी गुप्ता, सदर