Nirbhaya case: पहली बार बोले पवन जल्लाद-फांसी से पहले निर्भया के चारों दोषियों की कैसी थी हालत
फांसी देकर शुक्रवार आधी रात को घर आए पवन जल्लाद ने कहा कि वे रात भर गिड़गिडाते रहे उनकी आंखों में खौफ का दिख रहा था। अब येसी घटनाएं करने से पहले दंरिंदे सौ बार सोचेंगे।
मेरठ, जेएनएन। निर्भया के गुनहगारों को फांसी देकर शुक्रवार आधी रात मेरठ लौटे पवन जल्लाद ने मेरठ जिला कारागार में उपस्थिति दर्ज कराई। बताया कि हर बुरे काम का अंजाम बुरा होता है। मैंने अपनी आंखों से एक बार फिर देखा। फांसी के बाद बुरा काम करने वालों के मन में खौफ पैदा होगा। कोई भी दरिंदगी करने से पहले कई बार सोचेगा। वहीं, पवन जल्लाद के बेटे का कहना था कि हमें पिता पर गर्व है, गुनहगारों को फांसी ही निर्भया को सच्ची श्रद्धांजलि है। पवन जल्लाद ने चार गुनहगारों को एक साथ फांसी पर लटकाने का रिकॉर्ड भी अपने नाम कर लिया है।
पवन जल्लाद ने बताया कि गुरुवार की रात को वह ठीक से सो भी नहीं पाए थे। तीन बजे ही उठ गए थे। इसके बाद उन्होंने फांसी की तैयारी की। चार बजे फांसी घर पहुंच गए थे। साढ़े पांच बजे पहले दो दरिंदों को फांसी दी थी। इससे पहले दोनों खूब गिड़गिड़ा रहे थे। दोनों के चेहरे काले कपड़े से ढके हुए थे। इसके बाद अन्य दो को फांसी दी। इस दौरान जेल में सन्नाटा पसरा हुआ था।
पवन ने बताया कि गुनहगारों को फांसी मिलने से निर्भया के साथ मुङो भी सुकून मिला। फांसी की सजा जरूरी थी, तभी समाज में बुरा काम करने वालों के मन में खौफ पैदा होगा।
सुरक्षा में आया पवन, 60 हजार का मिला चेक
पवन ने बताया कि उसे तिहाड़ जेल से तीन पुलिसकर्मी लेकर आए थे। चलने से पहले 60 हजार रुपये का चेक भी तिहाड़ जेल प्रशासन की ओर से दिया गया था। पुलिसकर्मी मेरठ में उसे जिला कारागार छोड़कर चले गए थे। यहां जेल अधीक्षक ने फांसी के बारे में जानकारी की। इसके बाद जेल के सुरक्षाकर्मी कांशीराम आवासीय कालोनी में घर छोड़ गए थे।
आने पर ही हुई पिता से बात
निर्भया के गुनहगारों को फांसी देने के लिए पवन जल्लाद 17 मार्च को ही तिहाड़ जेल पहुंच गए थे। दो दिन उन्होंने जेल में फांसी देने का ट्रायल किया था। शुक्रवार सुबह चारों गुनहगारों को फांसी दे दी गई। पवन के बड़े बेटे अमन ने बताया कि जाने के बाद जब वह देर रात घर पहुंचे तभी उनसे बात हुई। इस बीच उनका फोन बंद था। किसी की भी उनसे बात नहीं हो रही थी।
फोन पर परिचित ने दी जानकारी
अमन ने बताया कि सुबह परिचित ने फोन कर बताया कि तुम्हारे पिता ने दरिंदों को फांसी पर लटका दिया। उस वक्त वह घर पर नहीं थे, जब लौटे तो आसपास के लोग घर के बाहर मौजूद थे। रिश्तेदारों के भी फोन आने लगे थे। उसने बताया कि छोटा भाई वासु पिता की विरासत को संभालेगा। वह घर में भी फंदा तैयार करता रहता है।
पहले फांसी दूंगा, फिर कुछ खाऊंगा
पवन ने बताया कि उठने के बाद जेल प्रशासन ने उससे कुछ खाने-पीने के लिए कहा था। उसने अधिकारियों से साफ कह दिया कि पहले गुनहगारों को फांसी के फंदे पर लटकाऊंगा, उसके बाद ही कुछ खाना-पीना करूंगा।
मां ने सुना तो ली सुकून भरी सांस
अमन ने बताया कि जब उसने मां को फांसी दिए जाने की जानकारी दी तो उन्होंने भी सुकून भरी सांस ली। उनका कहना था कि दरिंदों को अब से काफी पहले ही फांसी पर लटका देना चाहिए थे। जितनी जल्दी बुरा काम करने वालों को सजा मिलेगी, उतना ही डर बढ़ेगा।