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नौ साल पहले मां और अब पिता ने गुर्दे देकर बचाई जिगर के टुकड़े की जान

नौ साल पूर्व माता और अब पिता ने अपना गुर्दा देकर अपने बेटे की जान बचा ली है। डाक्‍टरों ने सफल गुर्दे को प्रत्‍यारोपण कर प्रोफेसर को घर भेज दिया है।

By Prem BhattEdited By: Published: Fri, 03 Jul 2020 01:20 AM (IST)Updated: Fri, 03 Jul 2020 01:20 AM (IST)
नौ साल पहले मां और अब पिता ने गुर्दे देकर बचाई जिगर के टुकड़े की जान
नौ साल पहले मां और अब पिता ने गुर्दे देकर बचाई जिगर के टुकड़े की जान

कपिल कुमार, बागपत। मां-बाप के त्‍याग की कहानियां तो हमने बहुत ही सुनी होगी पर हममे से कुछ ने ही ऐसा होता हुआ देखा होगा। ऐसा ही मामला बागपत में हुआ, जहां एक बुजुर्ग दंपती ने अपने जिगर के टुकड़े की जान बचाने के लिए अपना एक-एक गुर्दा दे दिया। माता ने नौ साल पूर्व गुर्दा दिया था तथा पिता ने अब गुर्दा दे दिया है। गुर्दा प्रत्यारोपण होने पर बेटा असिस्टेंट प्रोफेसर स्वस्थ होकर हॉस्पिटल से घर लौटा आया।

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मां ने नौ साल पहले ही दे दिया था गुर्दा

ग्राम ढि़कौली निवासी डॉ. प्रदीप ढाका (44) सम्राट पृथ्वीराज चौहान डिग्री कालेज में खेल विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर हैं। डॉ. प्रदीप के तहेरे भाई एडवोकेट सोमेंद्र ढाका के मुताबिक डॉ. प्रदीप ढाका को वर्ष 2010 में सिर दर्द और ब्लड प्रेशर की दिक्कत हुई थी। डॉक्टरों ने जांच की तो पता चला कि डॉ. प्रदीप ढाका का गुर्दा खराब हो गया है। कुछ समय तक डायलिसिस कराई गई, लेकिन हालत में सुधार नहीं हुआ। उनको सर गंगाराम हॉस्पिटल दिल्ली में भर्ती करा दिया गया। चाची चंद्रवती ढाका (प्रदीप की माता) ने 25 अगस्त 2011 को अपना एक गुर्दा दान कर दिया था। डॉक्टरों ने गुर्दे का प्रत्यारोपण कर दिया था। अगस्त 2019 तक प्रदीप पूरी तरह से स्वस्थ रहे। इसके बाद प्रदीप ढाका की हालत बिगडऩे लगी थी। हॉस्पिटल में मेडिकल जांच कराई तो पता चला कि प्रत्यारोपण किया गया गुर्दा खराब हो गया। 25 जून 2020 को चाचा रामवीर सिंह ढाका (प्रदीप के पिता) ने अपना एक गुर्दा बेटे को दान कर दिया। दिल्ली के मैक्स हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने गुर्दे को प्रत्यारोपण किया। गुरुवार को हॉस्पिटल से छुट्टी मिलने पर प्रदीप ढाका को घर पर लेकर पहुंचे।

गुर्दा देने से नहीं होती कोई दिक्कत

दूर संचार विभाग के डीटीओ के पद से रिटायर्ड रामवीर सिंह ढाका (66) और उनकी पत्नी चंद्रवती ढाका (65) का कहना है कि गुर्दा देने से कोई दिक्कत नहीं होती है। इसको लेकर लोगों में तरह-तरह की भ्रांति है। जरूरी है कि जरूरतमंदों को गुर्दा देने के लिए हम सबको आगे आना चाहिए। 


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