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Traffic rules violations : बढ़े जुर्माने से भी बेखौफ मेरठ के लोग नहीं लगा रहे हैं सीट बेल्‍ट Meerut News

नए ट्रैफिक नियमों का खौफ लोगों के मन से गायब हो गया है। नए नियमों में हालांकि जुर्माने की राशि बढ़ाई गई है लेकिन लोग सीट बेल्‍ट का इस्‍तेमाल नहीं कर रहे हैं।

By Prem BhattEdited By: Published: Thu, 17 Oct 2019 12:42 PM (IST)Updated: Thu, 17 Oct 2019 12:42 PM (IST)
Traffic rules violations : बढ़े जुर्माने से भी बेखौफ मेरठ के लोग नहीं लगा रहे हैं सीट बेल्‍ट Meerut News
Traffic rules violations : बढ़े जुर्माने से भी बेखौफ मेरठ के लोग नहीं लगा रहे हैं सीट बेल्‍ट Meerut News

मेरठ, जेएनएन। बढ़े जुर्माने के डर से भी मेरठ के लोग सीट बेल्ट नहीं बांध रहे हैं। हालांकि पहले जहां दो सौ से ढाई सौ चालान प्रतिदिन होते थे, वहीं अब आंकड़ा पचास तक पहुंच गया है। यह पुलिस के जागरूकता कार्यक्रमों का भी असर कहा जा रहा है। किसी ने सही कहा है, डर जरूरी है। यातायात नियमों के उल्लंघन करने पर बढ़े जुर्माना का डर लोगों पर दिखाई दे रहा है, लेकिन पूरी तरह से नहीं। प्रदेश में सात जून से यातायात नियमों को तोड़ने पर जुर्माने की राशि बढ़ गई है। सात जून से पहले सीट बेल्ट नहीं बांधने पर जहां सौ रुपये का जुर्माना था, वहीं अब पांच सौ रुपये का है।

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घट गई चालान की संख्‍या

इसका असर यह है कि पहले जहां रोजाना करीब दो सौ से ढाई सौ चालान होते थे। अब आंकड़ा पचास तक पहुंच गया है। बुधवार को यातायात पुलिस ने 31 चालान किए। इनमें से 14 ई-चालान तो 17 सामान्य चालान थे। अभी केंद्र सरकार के हिसाब से चालान नहीं कट रहे हैं। केंद्र सरकार के संशोधित मोटर एक्ट के मुताबिक सीट बेल्ट नहीं बांधने पर एक हजार रुपये का जुर्माना है। प्रदेश में सात जून को ही नया नियम लागू किया गया है। अभी केंद्र के अनुसार चालान नहीं काटा जा रहा है।

जागरूकता का भी पड़ा असर

ट्रैफिक इंस्पेक्टर दीनदयाल दीक्षित ने बताया कि बढ़े जुर्माने के बाद से लोग नियमों का पालन करने लगे हैं। साथ ही पुलिस ने लोगों को काफी जागरूक भी किया है। इसका भी असर दिखाई दे रहा है।

हादसों में मरने वालों का प्रतिशत बढ़ा

सीट बेल्ट पहनने को लेकर चालकों की उदासीनता सरकार की सड़क सुरक्षा की कवायद पर पानी फेर रही है। मृतकों की संख्या कम होने की बजाए बढ़ रही है। सितंबर तक के आंकड़ों पर नजर डालें तो प्रदेश में सड़क हादसों में मरने वालों की संख्‍या 3.7 प्रतिशत बढ़ी है। मेरठ में भी इतनी बढ़ोत्तरी हुई है। नए मोटर व्हीकल एक्ट में सीट बेल्ट न पहनने पर मोटे जुर्माने का प्रावधान है राज्य सरकार ने फिलहाल इसे लागू नहीं किया है। परिवहन विभाग के अधिकारियों के अनुसार एक अप्रैल से 30 सितंबर तक सीट बेल्ट के 1824 चालान किए गए हैं। इस वर्ष के नौ माह में हुई कुल 738 दुर्घटनाएं हुई हैं।

तो बच सकती है जीवन की डोर

सड़क हादसे में मरने वालों में अधिकांश मामले आमने सामने की टक्कर के होते हैं। दुर्घटनाओं का आकलन करने पर पाया गया है कि अगर सीट बेल्ट सामने की सीट पर बैठने वालों ने अगर सीट बेल्ट बांधी हुई है तो 45 प्रतिशत मौत की संभावना कम हो जाती है। वहीं गंभीर रूप से घायल होने की संभावना 50 प्रतिशत कम हो जाती है। वर्ष 2018 की तुलना में वर्ष 2019 के नौ माह में सड़क हादसों की संख्या बढ़ी हैं। मेरठ में दस मौतें अधिक हुई तो प्रदेश में 621 लोगों की ज्यादा जाने गई हैं।

उम्मीद की किरण बरकरार

मेरठ में ही नहीं पूरे प्रदेश स्तर पर सितंबर माह पर नजर डालें तो इस माह सड़क हादसों में काफी कमी आई है। मेरठ में सड़क हादसे इस माह गत वर्ष की तुलना में 32 प्रतिशत कम हुए हैं। मृतकों की संख्या वर्ष 2018 सितंबर की तुलना में 31 से घटकर 20 हुई है। एआरटीओ दिनेश कुमार ने बताया कि नया मोटर व्हीकल एक्ट भले ही प्रदेश में लागू न हो हुआ लेकिन इसमें भारी जुर्माने के प्रावधान का असर लोगों में देखने को मिला है। लोगों में सीट बेल्ट बांधने की प्रवृति बढ़ रही है।

अदालत के आदेशों की अवेहलना

कोर्ट के आदेशों की खुले आम अवेहलना जन प्रतिनिधि कर रहे हैं। वाहनों की नंबर प्लेट पर पद नाम आदि लिखना गैर कानूनी है। कोर्ट ने इस संबंध में कड़े निर्देश जारी किए थे। बावजूद इसके अक्सर रसूखदार लोग इस नियम का मखौल उड़ाते नजर आते हैं। बुधवार को जिला पंचायत अध्यक्ष की वीआइपी नंबर की पट्टिका पर पदनाम भी लिखा था, सार्वजनिक स्थानों पर नजर आई। किसी ट्रैफिक पुलिस वाले ने भी आपत्ति उठाने की जहमत नहीं उठायी। आरटीओ डा. विजय कुमार ने बताया कि वाहन की नंबर पट्टिका पर पदनाम लिखना नियम विरुद्ध है। ऐसे वाहनों के खिलाफ अभियान चलाया जाएगा।

डीएल के लिए एक और काउंटर खुला

ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए शास्त्रीनगर के परिवहन विभाग के कार्यालय में लंबी कतार लग रही है। बुधवार को डुप्लीकेट और नवीनीकरण के लिए अलग बायोमीटिक काउंटर खोला गया है। बतातें चलें कि सारथी भवन में बड़ी संख्या में लाइसेंस बनवाने के लिए लोग आ रहे हैं। अभी तक लर्निग और स्थाई लाइसेंस के लिए अलग-अलग काउंटर थे। उन्हीं काउंटरों पर डुप्लीकेट और नवीनीकरण का कार्य होता था। आरटीओ प्रशासन डॉ. विजय कुमार ने बताया कि अतिरिक्त काउंटर खुलने से आवेदकों को सुविधा होगी। उन्होंने बताया कि मौजूदा समय में भी जनवरी तक कोई स्लाट नहीं है। 


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