लेखक और प्रसिद्ध अभिनेता अनंत महादेवन बोले-नई पीढ़ी तेज है, संवरेगा साहित्य-रंगमंच
रंगमंच और साहित्य से लेकर फिल्म के पर्दे तक समान रूप से प्रभावशाली भूमिका अदा करने वाले अनंत महादेवन बेहद सधी सोच के साथ अपनी बात रखते हैं। वे मानते हैं कि नई पीढ़ी ज्यादा प्रतिभाशाली है हालाकि ठहराव कम है।
मेरठ, जेएनएन। रंगमंच और साहित्य से लेकर फिल्म के पर्दे तक समान रूप से प्रभावशाली भूमिका अदा करने वाले अनंत महादेवन बेहद सधी सोच के साथ अपनी बात रखते हैं। वे मानते हैं कि नई पीढ़ी ज्यादा प्रतिभाशाली है, हालाकि ठहराव कम है। यह पीढ़ी अगर साहित्य में अनुराग और रंगमंच पर हुनर दिखाए तो कला की दुनिया को नए छोर मिलेंगे। प्रभा खेतान फाउंडेशन की ओर से गुरुवार को आयोजित कार्यक्रम कलम में लेखक, पटकथा लेखक और प्रसिद्ध अभिनेता अनंत महादेवन ने अपनी साहित्य यात्रा के अनुभवों को साझा किया।
कहा कि नई पीढ़ी तेजी से चीजों को सीख रही है, लेकिन उसमें साधना का अभाव है। अगले साल दो स्क्रिप्ट पर काम करेंगे, जबकि नए टीवी शो भी आएंगे। उन्होंने मेरठ के लोगों के सवालों का जवाब दिया। दैनिक जागरण इस कार्यक्रम का मीडिया पार्टनर रहा। वेबिनार पर जुड़े अनंत महादेवन ने बताया कि उन्हें साहित्य व रंगमंच से जुड़ाव बचपन से हुआ। केरल की सास्कृतिक राजधानी त्रिशूर में पैदा हुए और शिक्षा भी बेहतर मिली। सन् 1983 से ड्रामा, थिएटर, टीवी की दुनिया में कदम रखा। कला के हर पहलू में रची-बसी संवेदनाओं को छुआ। पटकथा लेखन की कहानी भी कुछ आसान नहीं रही। अनंत ने भाषाओं में की गई अमर रचनाओं को पढ़ा। इनमें से कई कथानक रंगमंच की दुनिया में मशहूर हो गए।
लोक भाषाएं बेहद संमृद्ध प्रभा खेतान फाउंडेशन के कलम कार्यक्रम में अनंत ने कहा कि भारत में स्थानीय भाषाओं के साहित्य में अपार गहराई है। लोक जीवन की झाकिया हैं तो रिश्तों का रेशमी संसार भी। बाग्ला समेत कई भाषाओं में अंतरराष्ट्रीय स्तर की रचनाएं लिखी गईं, लेकिन ज्यादातर कृतियों को वह सम्मान नहीं मिला। महाभारत एवं रामायण जैसी रचनाओं का दुनिया में कोई विकल्प नहीं। हालाकि विदेशों की मशहूर रचनाओं का कई भाषाओं में अनुवाद कर लिया जाता है। उन्होंने अपने टीवी और फिल्मी सफर पर भी खूब चर्चा की। टीपू सुल्तान धारावाहिक की प्रसिद्धी पर कहा कि यह वक्त पर लोगों के बीच पेश हुआ। खुद के बारे में कहा कि वो किसी विधा के किंग नहीं हो सकते, लेकिन इमोशन और कामेडी में सहज पाते हैं। कहा कि एक्शन में अक्षय कुमार और ट्रेजिडी में दिलीप कुमार, जैसे शब्दों को हर अभिनेता पर नहीं गढ़ा जा सकता। माना कि पटकथा हो या रंगमंच की दुनिया, यह धीमी नहीं पड़ सकती। बस, स्वरूप बदलता रहता है। अनंत बाजीगर, गíदश और खिलाड़ी जैसी कई हिट फिल्मों में काम कर चुके हैं। 75 टेलीविजन शो व वेब सीरीज, 35 स्टेज प्ले कर चुके हैं।
वन्स अपान ए प्राइम जैसी बेस्टसेलर किताब के लेखन से उन्हें सुíखया मिल चुकी हैं। धर्म अब हथियार बन रहा संचालन करते हुए मोनिका ने अनंत से उनकी पसंदीदा महिला राजनीतिज्ञ के बारे में पूछा। उन्होंने इंदिरा गाधी का नाम बताया। कहा कि अगर राजनीति में आतीं तो सरोजिनी नायडू सबसे ऊपर होतीं। धर्म के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि अब इसे हथियार बनाया जा रहा है, जबकि यह लोगों को खुद से मिलाता है। यह जीवन के बारे में सब कुछ सिखाता है। नए कलाकारों में आत्महत्या की घटनाएं बढ़ने को लेकर कहा कि मानसिक ताकत सर्वश्रेष्ठ पूंजी है, जिसे गंवाना नहीं है।
ज्यादा महत्वाकाक्षी होने और विचारों में अस्थिरता से ऐसे हादसे बढ़ रहे हैं। अनंत ने कहा कि हमारा मूल्याकन समाज कैसे कर सकता है, सबसे पहले हम अपने बारे में जानें तो बेहतर। कार्यक्रम का उद्घाटन उद्बोधन श्वेता अग्रवाल ने किया। अनंत नारायण महादेवन से बातचीत नागपुर एहसास वुमन आफ नागपुर की मोनिका भगवागर ने किया। अंशु अग्रवाल, शिल्पा अग्रवाल, मनीष जैन, अंशु मेहरा, श्वेता अग्रवाल, गरिमा मित्तल आदि मौजूद रहे। होटल क्रिस्टल पैलेस हास्पिटेलिटी पार्टनर रहा। अनिंदिता चटर्जी ने सभी का आभार जताया।