उच्च शिक्षा की आधारशिला मजबूत करेगी नई शिक्षा नीति
देश के कई विश्वविद्यालयों में शिक्षा का स्तर निम्न है। शोध कार्य भी गुणवत्तापरक नहीं होते हैं।
जेएनएन, मेरठ। देश के कई विश्वविद्यालयों में शिक्षा का स्तर निम्न है। शोध कार्य भी गुणवत्तापरक नहीं होते हैं। ऐसे में नई शिक्षा नीति लागू होने के बाद ज्ञान आधारित शिक्षा होगी। शिक्षा नीति में लचीलापन होने से युवाओं को साल नहीं खराब होगा। नई शिक्षा नीति पर यह बात चौ. चरणसिंह विवि के कुलपति प्रो. एनके तनेजा ने कहीं। वे गुरुवार को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की ओर से आयोजित ऑनलाइन गोष्ठी को संबोधित कर रहे थे।
प्रो. एनके तनेजा ने कहा कि शिक्षा नीति देश के एक लाख गांव और ढाई लाख लोगों से संपर्क कर तैयार की गई है। यह शिक्षा नीति विद्यालयी शिक्षा के द्वारा उच्च शिक्षा की आधारशिला को मजबूत करेगी। इसमें शिक्षक सम्मान और क्वालिटी एजुकेशन का विशेष ध्यान रखा गया है। स्कूली शिक्षा में बच्चे अपनी भाषा में शिक्षा ग्रहण करेंगे। विवि में अलग से ट्रांसलेशन विभाग होने से श्रेष्ठ चीजें अपनी भाषा में छात्र पढ़ सकेंगे। विदेशी विवि आने से शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ेगी।
विवि की प्रति कुलपति प्रो. वाई विमला ने कहा कि इस शिक्षा नीति में सबसे अच्छी बात यह है कि यह भारत केंद्रित रोजगार पलक सर्वसुलभ शिक्षा की व्यवस्था है। विदेशी विवि खुलने से देश के बाहर जाने वाले छात्रों को अपने देश में विकल्प मिल जाएगा। परिषद के राष्ट्रीय सहसंगठन मंत्री श्रीनिवास ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति आत्मनिर्भर भारत को गढ़ने में महत्वपूर्ण भूमिका होगी।
प्रो. पवन शर्मा ने कहा कि 1948 से आज तक इतने विस्तार से प्राचीन भारतीयता को समेटे हुए पहली बार पाठ्यक्रम बनाया गया है। प्रो. पीके शर्मा व सचिन चौधरी ने भी नई शिक्षा पर अपने विचार रखे। संचालन सर छोटूराम के डिप्टी डायरेक्टर डा. राजीव सिजेरिया ने किया। मनोज नीखरा, महेश राठौर, प्रो. जयमाला, डा. योगेंद्र शर्मा, उत्तम सैनी, राहुल विकल डा. त्रिलोचन शर्मा आदि अन्य गोष्ठी में रहे।