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मेरठ में फर्जी किताब प्रकरण : NCERT के अधिकृत 300 पुस्तक विक्रेता होंगे ब्लैकलिस्ट, 55 फीसद तक था कमीशन

सचिन के गोदाम से मिले बिल बुक में पता चला कि अवैध किताबों का धंधा 55 फीसद कमीशन पर चल रहा था। एनसीईआरटी अधिकृत तीन सौ विक्रेताओं को अवैध किताबों की सप्लाई की जा रही थी।

By Prem BhattEdited By: Published: Tue, 25 Aug 2020 08:30 AM (IST)Updated: Tue, 25 Aug 2020 08:30 AM (IST)
मेरठ में फर्जी किताब प्रकरण : NCERT के अधिकृत 300 पुस्तक विक्रेता होंगे ब्लैकलिस्ट, 55 फीसद तक था कमीशन
मेरठ में फर्जी किताब प्रकरण : NCERT के अधिकृत 300 पुस्तक विक्रेता होंगे ब्लैकलिस्ट, 55 फीसद तक था कमीशन

मेरठ, [सुशील कुमार]। भाजपा से निलंबित महानगर उपाध्यक्ष संजीव गुप्ता और सचिन गुप्ता आठ साल से अवैध किताबों का धंधा कर रहे थे। एनसीईआरटी और पुलिस को जानकारी होने के बाद भी सत्ता में पहुंच के चलते इन पर हाथ नहीं डाला जा रहा था। सेना के स्कूलों में अवैध किताब पहुंचने के बाद इंटेलीजेंस ने गोपनीय जानकारी ली। तब पता चला कि मेरठ और जालंधर में बड़े पैमाने पर एनसीईआरटी की अवैध किताबों की छपाई होती है। इस इनपुट के बाद आइजी एसटीएफ को छापामारी की कमान दी गई।

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55 फीसद कमीशन पर धंधा

सचिन के गोदाम से मिले बिल बुक में पता चला कि अवैध किताबों का धंधा 55 फीसद कमीशन पर चल रहा था। एनसीईआरटी अधिकृत तकरीबन तीन सौ विक्रेताओं को अवैध किताबों की सप्लाई की जा रही थी। एनसीईआरटी अब पुलिस से इन दुकानदारों की सूची लेकर इन्हें काली सूची में डालने जा रही है। भविष्य में उन्हें एनसीईआरटी का अधिकृत विक्रेता भी नहीं बनाया जाएगा। पुलिस और एनसीईआरटी की जांच में सामने आया कि संजीव गुप्ता और सचिन गुप्ता का सालाना टर्न ओवर 100 करोड़ के आसपास है।

पेपर मिल की भी हो रही जांच

ऐसे में साफ है कि हर वर्ष 40 से 50 करोड़ के कागज की भी खरीदारी होती थी। कागज किस पेपर मिल से खरीदा जाता था, इसकी भी जांच हो रही है। अभी तक जांच में आया है कि कागज उन्हीं पेपर मिलों से खरीदा गया है, जिन्हें एनसीईआरटी ने टेंडर दे रखा है। क्योंकि मौके से मिली एनसीईआरटी की जिन किताबों पर वाटर मार्क है उनका कागज 50 जीएसएम (ग्राम्स पर स्क्वॉयर मीटर) का है, जबकि एनसीईआरटी 80 जीएसएम के कागज पर किताब छापती है। पुलिस विवेचना में देख रही है कि 50 जीएसएम का पेपर किस मिल से खरीदा गया है।

किताबों की छपाई को साफ्ट कॉपी कहां से आती है?

सचिन गुप्ता के गोदाम से मिली किताबों से लग रहा है कि वह स्कैन कर नहीं छापी गई हैं। किताबों की छपाई एनसीईआरटी की असली किताबों की तरह ही है। ऐसे में संभव है कि एनसीईआरटी प्रेस से ही साफ्ट कॉपी ली जाती हो। पुलिस इस प्वाइंट की भी जांच कर रही है कि किसी प्रेस से साफ्ट कॉपी तो नहीं खरीदी जाती थी। पुलिस टीम जल्द ही एनसीईआरटी के प्रेस से संपर्क करने जा रही है। इंस्पेक्टर आनंद मिश्रा ने बताया कि संजीव और सचिन से पूछताछ के बाद ही राज उजागर होंगे।

कर चोरी कर बेची जाती थीं किताबें

एनसीईआरटी की किताबों को बेचकर नकदी में वसूली की जाती थी। प्रत्येक साल करीब 100 करोड़ के टर्न ओवर में करीब 40 करोड़ की काली कमाई होती थी। हालांकि दुकानदार कुछ रकम अपने प्रकाशन के एकाउंट में डालकर नंबर एक में बदल लेते हैं। पुलिस और आयकर की टीम इस प्वाइंट पर जांच कर रही हैं।

इनका कहना है

पुलिस और एनसीईआरटी की टीम सभी तथ्यों पर काम कर रही है। मौके से मिले बिल बुक से कुछ दुकानदारों के नाम सामने आए हैं, जिनकी सूची एनसीईआरटी को दे दी जाएगी। ताकि उक्त दुकानदारों के खिलाफ ब्लैकलिस्ट की कार्रवाई हो सके।

- अखिलेश नारायण सिंह, एसपी सिटी


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