भ्रष्टाचार पर पर्दा, नगर निगम के अधिकारी नहीं सौंप रहे रिकॉर्ड
नगर निगम में भ्रष्टाचार की परतें आखिर कैसे खुलेंगी। स्थानीय निधि लेखा परीक्षा विभाग के आडिटर 11 महीने से रिकॉर्ड मांग रहे हैं लेकिन अफसर रिकॉर्ड नहीं दे रहे हैं।
By Ashu SinghEdited By: Published: Sat, 09 Mar 2019 04:46 PM (IST)Updated: Sat, 09 Mar 2019 04:46 PM (IST)
मेरठ,जेएनएन। सरकार योजनाओं में पारदर्शिता लाना और भ्रष्टाचार पर लगाम लगाना चाहती है लेकिन,नगर निगम अधिकारियों ने सरकार की इस मंशा पर पानी फेर दिया है। स्थानीय निधि लेखा परीक्षा विभाग के आडिटर 11 महीने से रिकॉर्ड मांग रहे हैं। सूत्रों की मानें तो दस्तावेजों में दफन भ्रष्टाचार का राजफाश न हो जाए,इस भय से ऑडिट को रिकॉर्ड मुहैया नहीं कराया जा रहा है।
कई विभागों के मांगे गए हैं रिकॉर्ड
सरकार की ओर से वर्ष 2017-18 की योजनाओं के कार्यो की वार्षिक ऑडिट स्थानीय निधि लेखा परीक्षा विभाग को सौंपी गई है। पिछले साल मई में ऑडीटर ने कार्य शुरू किया था। इस वित्तीय वर्ष के दो माह अक्टूबर और नंवबर माह के कायरे पर खर्च और वस्तुस्थिति का परीक्षण कर यह तय किया जाना है कि कहीं कोई गड़बड़ी तो नहीं हुई। इसके लिए ऑडिटर की ओर से निर्माण विभाग,स्वास्थ्य विभाग,जलकल विभाग से कार्यो से संबंधित रिकॉर्ड मांगे गए थे।
तीस से ज्यादा हो चुके हैं पत्राचार
निर्माण विभाग ने ही अभी तक कुछ पत्रवलियां मुहैया कराई हैं। शेष विभागों से स्थानीय निधि लेखा परीक्षा विभाग 30 से ज्यादा पत्रचार कर चुका है लेकिन संबंधित विभागों के अधिकारियों को कोई फर्क नहीं पड़ा। जिसके चलते अभी तक ऑडिट नहीं हो पाई। गौर करने वाली बात यह है कि ऑडिट के लिए चूना घोटाले और आउटसोर्स कर्मचारियों के पीएफ मामले में फंसी कंपनी अलकनंदा से जुड़े दस्तावेज भी नगर निगम के अधिकारियों ने मुहैया नहीं कराए हैं।
मांगा जा रहा है यह रिकॉर्ड
वित्तीय वर्ष 2017-18 के अक्टूबर में 25 करोड़ और नवंबर में 18 करोड़ रुपये अलग-अलग मदों में खर्च किए गए हैं। जिसमें स्वच्छ भारत मिशन,अमृत योजना,सफाई स्टोर,वाहन खरीदी और रिपेयरिंग पर आय-व्यय का ब्योरा, वेतन रिकॉर्ड,कर्मचारियों के आवास,सड़कों के निर्माण,सफाई स्टोर,जलकल स्टोर,13 वें और 14 वें वित्त के कायरे का आय-व्यय का ब्योरा, डीजल की लॉग बुक,सेवा पुस्तिकाएं, स्मार्ट सिटी मिशन, श्रद्धापुरी योजना, पल्लवपुरम योजना, अवस्थापना निधि के 32 कार्यो का दस्तावेज समेत अन्य रिकॉर्ड स्थानीय निधि लेखा परीक्षा विभाग मांग रहा है।
इनका कहना है
मामला गंभीर है, इसकी विभागीय अधिकारियों से जानकारी ली जाएगी। योजनाओं के क्रियान्वयन में पारदर्शिता सरकार की प्राथमिकता में है। इस मामले में कार्रवाई की जाएगी।
- अमित सिंह, अपर नगर आयुक्त
कई विभागों के मांगे गए हैं रिकॉर्ड
सरकार की ओर से वर्ष 2017-18 की योजनाओं के कार्यो की वार्षिक ऑडिट स्थानीय निधि लेखा परीक्षा विभाग को सौंपी गई है। पिछले साल मई में ऑडीटर ने कार्य शुरू किया था। इस वित्तीय वर्ष के दो माह अक्टूबर और नंवबर माह के कायरे पर खर्च और वस्तुस्थिति का परीक्षण कर यह तय किया जाना है कि कहीं कोई गड़बड़ी तो नहीं हुई। इसके लिए ऑडिटर की ओर से निर्माण विभाग,स्वास्थ्य विभाग,जलकल विभाग से कार्यो से संबंधित रिकॉर्ड मांगे गए थे।
तीस से ज्यादा हो चुके हैं पत्राचार
निर्माण विभाग ने ही अभी तक कुछ पत्रवलियां मुहैया कराई हैं। शेष विभागों से स्थानीय निधि लेखा परीक्षा विभाग 30 से ज्यादा पत्रचार कर चुका है लेकिन संबंधित विभागों के अधिकारियों को कोई फर्क नहीं पड़ा। जिसके चलते अभी तक ऑडिट नहीं हो पाई। गौर करने वाली बात यह है कि ऑडिट के लिए चूना घोटाले और आउटसोर्स कर्मचारियों के पीएफ मामले में फंसी कंपनी अलकनंदा से जुड़े दस्तावेज भी नगर निगम के अधिकारियों ने मुहैया नहीं कराए हैं।
मांगा जा रहा है यह रिकॉर्ड
वित्तीय वर्ष 2017-18 के अक्टूबर में 25 करोड़ और नवंबर में 18 करोड़ रुपये अलग-अलग मदों में खर्च किए गए हैं। जिसमें स्वच्छ भारत मिशन,अमृत योजना,सफाई स्टोर,वाहन खरीदी और रिपेयरिंग पर आय-व्यय का ब्योरा, वेतन रिकॉर्ड,कर्मचारियों के आवास,सड़कों के निर्माण,सफाई स्टोर,जलकल स्टोर,13 वें और 14 वें वित्त के कायरे का आय-व्यय का ब्योरा, डीजल की लॉग बुक,सेवा पुस्तिकाएं, स्मार्ट सिटी मिशन, श्रद्धापुरी योजना, पल्लवपुरम योजना, अवस्थापना निधि के 32 कार्यो का दस्तावेज समेत अन्य रिकॉर्ड स्थानीय निधि लेखा परीक्षा विभाग मांग रहा है।
इनका कहना है
मामला गंभीर है, इसकी विभागीय अधिकारियों से जानकारी ली जाएगी। योजनाओं के क्रियान्वयन में पारदर्शिता सरकार की प्राथमिकता में है। इस मामले में कार्रवाई की जाएगी।
- अमित सिंह, अपर नगर आयुक्त
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