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Triple Talaq Bill : अभी एक दीपक भर जला है, असल रोशनी तो बाकी है Meerut News

Triple Talaq Bill पास होने पर मुस्लिम महिलाओं ही नहीं छात्र और छात्राओं ने भी इसका स्वागत किया है। सभी का मानना है कि इससे महिलाओं का उत्‍पीड़न का खत्‍म होगा।

By Ashu SinghEdited By: Published: Thu, 01 Aug 2019 10:53 AM (IST)Updated: Thu, 01 Aug 2019 10:53 AM (IST)
Triple Talaq Bill : अभी एक दीपक भर जला है, असल रोशनी तो बाकी है Meerut News
Triple Talaq Bill : अभी एक दीपक भर जला है, असल रोशनी तो बाकी है Meerut News
मेरठ, जेएनएन। उच्च सदन में तीन तलाक बिल पास होने के मुस्लिम महिलाओं में खुशी की लहर है। सालों से अमानवीय तरीके से शोषण की शिकार महिलाओं को सुरक्षा के लिए नया हथियार मिल गया है। मुस्लिम महिलाओं ही नहीं छात्रों ने इसका स्वागत किया है। दैनिक जागरण ने कुछ युवाओं से बात की तो उन्होंने बेबाकी से अपनी बात रखी। हालांकि कुछ शिक्षाविद इसे लेकर अभी संशय जता रहे हैं।
औरत को मिलेगी ताकत
तलाक के डर से कई बार महिलाएं शौहर और ससुराल वाले के अत्याचार सहन करती थी। ऐसे में पत्नी के साथ मारपीट करना शौहर हक समझते थे। औरत बेचारी तीन तलाक के डर से सब कुछ सहन करती थी। अब ऐसा नहीं होगा इस विधेयक के पास होने से महिलाओं को पुरुषों का सामना करने की ताकत मिलेगी।
- आयशा वजीर, छात्रा
एक दीपक से होता है उजियारा
महिलाओं की आजादी की यह एक शुरुआत है। इससे महिलाओं को शक्ति मिलेगी और पुरुषों का अत्याचार कम होगा। अभी तो एक दीपक भर जला है असल रोशनी तो बाकी है। पुरुष खुद को ताकतवर समझकर महिलाओं पर अत्याचार करते हैं, लेकिन अब उन्हें एक औरत की ताकत का अंदाजा भी हो जाएगा।
- परिशा, छात्रा
दस बार सोचकर देंगे तलाक
छोटी-छोटी बातों पर बीवी को तलाक दिया जाता था। खाना अच्छा नहीं बना या फिर पत्नी ने ससुराल वालों का ख्याल नहीं रखा। बिना सोचे समङो एक औरत को तलाक देकर उनकी जिंदगी खराब करना, यह कहां का इंसाफ था। अब ऐसा नहीं हो सकेगा। बीवी को तलाक देने से पहले शौहर कम से कम दस बार सोचेगा।
- जहेरा खान, छात्रा
अब पुरुषों को भी होगा डर
माना कि यह शरीयत के हिसाब से गलत है, लेकिन यह कहां लिखा है कि एक छोटी से गलती के लिए पुरुष एक औरत की जिंदगी खराब कर दे। यह तीन शब्द ऐसे हैं, जिसे सुनने के बाद किसी भी औरत की जिंदगी जहननुम हो जाती है। अब तलाक का डर पुरुषों में भी होगा।
- अरीबा, छात्रा
दंड के साथ जागरूकता भी जरूरी
तीन तलाक को संज्ञेय अपराध घोषित किया गया है, लेकिन यह त्वरित तीन तलाक में किया गया है। इसमें ध्यान देने की जरूरत है कि यदि पुरुष एक निश्चित अवधि के अंतराल पर इस प्रक्रिया को पूरा करता है तो तीन तलाक अब भी मान्य है। त्वरित तीन तलाक एक सामाजिक कुप्रथा है। इसे कानून के बजाय सामाजिक स्तर पर सुलझाने का प्रयास अधिक कारगार होता। पुरुष पर जुर्माने की राशि कई गुना बढ़ाकर भी डर पैदा किया जा सकता था। इसमें महिलाओं की सुरक्षा अधिक महत्वपूर्ण है। जो पुरुष के जेल जाने से निश्चित नहीं किया जा सकता है। इसमें दो- राय नहीं है तीन तलाक मुस्लिम महिला शोषण का एक उपकरण रहा है। इसे रोकने के लिए कानून जरूरी था। अगर कोई पुरुष किसी महिला को साथ नहीं रखना चाहता तो उसके पास तलाक के अतिरिक्त भी कई उपाय हैं। इस कानून के साथ सामाजिक जागरूकता, सुशिक्षा, भारी आर्थिक दंड, महिलाओं की मदद के लिए विधिक सेल जैसे उपायों पर भी ध्यान देने की जरूरत है।
- डा. मो. रिजवान, एसोसिएट प्रोफेसर, रक्षा अध्ययन, मेरठ कॉलेज
हर रिश्ते की होगी कदर
समाज में नारी हमेशा से दोयम दर्जा रहा है। खासकर गरीब मुस्लिम परिवारों में महिलाओं की दशा और भी खराब है। तीन तलाक जैसी चीजें उन पर जुल्म की तरह थीं। इस बिल के पास होने से हर रिश्ते की कदर होगी।
- आदिल अंसारी, बीटेक सेकेंड ईयर
प्रधानमंत्री को धन्यवाद
तीन तलाक के लिए मैं प्रधानमंत्री को धन्यवाद प्रेषित करता हूं। मुस्लिम समाज में महिलाओं को आवाज उठाने का अधिकार मिला है। तीन तलाक जैसी कुरीतियों को पहले ही दूर किया जाना था।
- मो. अकमल, बीसीए फाइनल ईयर
तीन तलाक बिल जबरन थोपा गया: मदनी
देश में मुसलमानों की सबसे बड़ी जमात जमीयत उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय महासचिव मौलाना महमूद मदनी ने तीन तलाक बिल को मुसलमानों के धार्मिक और पारिवारिक मामलों में हस्तक्षेप करार दिया है। जारी बयान में मदनी ने कहा कि तीन तलाक बिल जबरन थोपा गया है। इस बाबत उलमा और रहनुमाओं से मशवरा नहीं किया गया। यह बिल मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ है। आरोप लगाया कि सरकार इंसाफ को ताकत के जरिये रौंदने पर आमादा है। बोले कि इस कानून के जरिये मुसलमानों पर यूनिफार्म सिविल कोड थोपने की कोशिश की जा रही है। मदनी ने अपील की कि मुसलमान घरेलू झगड़ों के निपटारे के लिए सरकारी अदालतों के बजाए केवल शरई अदालतों का रास्ता अख्तियार करें।
तीन तलाक बिल शरीयत में दखलअंदाजी : मुफ्ती अबुल
हुकुमत द्वारा पास कराया गया तीन तलाक बिल शरीयत में खुली दखलअंदाजी है। महज तादाद की बुनियाद पर यह गैरजरूरी बिल मंजूर कराया गया, जबकि मुल्क की करोड़ों मुस्लिम महिलाओं ने इस कानून के खिलाफ हस्ताक्षर मुहिम के जरिये राष्ट्रपति को मैमोरेंडम पेश किया था। कहा कि हम राष्ट्रपति से मांग करते हैं कि भारतीय संविधान में दी गई मजहबी आजादी और लोकतंत्र की सुरक्षा के मद्देनजर इस बिल पर हस्ताक्षर करने के बजाए पुनर्विचार के लिए वापस संसद भेज दिया जाए। दारुल उलूम ने इस संबंध में देशभर की मुस्लिम तंजीमों से भी आवाज बुलंद करने का आह्वान किया है। 

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