विकास के लिए केंद्र और राज्य पर निर्भर है नगर निगम
आय के मामले में नगर निगमों को आत्मनिर्भर बनाने की बातें हो रही हैं लेकिन मेरठ नगर निगम इस मामले में फिसड्डी है। निगम की खुद की आय इतनी नहीं। शहर के विकास के लिए वह केंद्र और राज्य पर निर्भर है।
मेरठ, जेएनएन। आय के मामले में नगर निगमों को आत्मनिर्भर बनाने की बातें हो रही हैं लेकिन मेरठ नगर निगम इस मामले में फिसड्डी है। निगम की खुद की आय इतनी नहीं। शहर के विकास के लिए वह केंद्र और राज्य पर निर्भर है। निगम की खुद के स्त्रोतों से सलाना आय 60 करोड़ है, लेकिन केंद्र और राज्य वित्त आयोग से मिलने वाली धनराशि के दम पर इस वित्तीय वर्ष का मूल बजट 671 करोड़ प्रस्तावित किया है।
निगम को सरकार राज्य वित्त आयोग से वेतन, पेंशन और विकास मद में सालाना लगभग 210 करोड़ रुपये तक देती है। ज्यादा राशि वेतन और पेंशन में खर्च हो जाती है। कुछ ही धनराशि का उपयोग विकास में हो पाता है। केंद्र सरकार से 15वें वित्त आयोग के मद से लगभग 144 करोड़ रुपये प्राप्त हुए हैं, जिसमें 72 करोड़ कूड़ा प्रबंधन व निस्तारण के लिए है। इतनी धनराशि वायु गुणवत्ता सुधार के लिए है। इसी धनराशि से कूड़ा निस्तारण प्लांट से लेकर शहर की सड़कों के निर्माण, मरम्मत व इंटरलाकिग के काम भी होंगे जबकि नगर निगम की गृहकर समेत विभिन्न मदों से सालभर में होने वाली 60 करोड़ की आय से बामुश्किल 20 करोड़ के ही निर्माण कार्य हो पाते हैं।
विभिन्न स्त्रोतों से निगम की सलाना आय
-गृहकर, सीवर कर और जल कर से 37.55 करोड़ रुपये।
-लाइसेंस मद में 38 लाख रुपये।
-पार्किंग ठेके से 53.15 लाख रुपये।
-रोड कटिग से 6.57 करोड़ रुपये।
-जल मूल्य से 2.14 करोड़ रुपये।
-टेंडर आदि मद से 48.37 लाख रुपये।
-दुकानों के किराये से 83.31 लाख रुपये।
-विज्ञापन मद से 1.62 करोड़ रुपये।
-नाम परिवर्तन मद से 1.56 करोड़ रुपये।
निगम का प्रमुख कार्यों में सलाना व्यय
-डीजल, पेट्रोल व अन्य ईधन पर 15 करोड़ रुपये।
-कर्मचारियों के वेतन-पेंशन आदि में 176 करोड़ रुपये।
-प्रशासनिक व्यय में पांच करोड़ रुपये।
-सड़क मद में 25 करोड़ रुपये।
-पार्क मद में पांच करोड़ रुपये।
-नाला सफाई में तीन करोड़ रुपये।
-स्ट्रीट लाइट समेत बिजली मद में 20 करोड़ रुपये।
-कान्हा उपवन गोशाला पर दो करोड़ रुपये।
-जलकल का व्यय सात करोड़ रुपये।
-रसायन आदि का व्यय पांच करोड़ रुपये।
आय बढ़ने में अड़चनें
-शहरी क्षेत्र में कूड़ा कलेक्शन पर यूजर चार्ज नहीं वसूला जा रहा है। इसकी वजह शत-प्रतिशत घरों तक कूड़ा गाड़ियों का न पहुंचना है।
-2.44 लाख भवन ही कर के दायरे में। शहर में अनुमानित 3.50 लाख से ज्यादा भवन। छूटे भवन कर के दायरे में इसलिए नहीं आ सके क्योंकि जीआइएस सर्वे पूरा नहीं हुआ है।
-नगर निगम क्षेत्र में भवनों की संख्या के अनुपात में 50 फीसद ही जल कनेक्शन हैं, जिससे जल कर व जल मूल्य की आय सीमित हो गई है।
-नगर निगम क्षेत्र में सीवरेज नेटवर्क 45 फीसद हिस्से से भी कम में है। इसमें भी एमडीए का क्षेत्र शामिल है, जिससे सीवर कर के रूप में आय भी सीमित है।
- 17 में से 14 पार्किंग ठेके रद हो चुके हैं। तीन पार्किंग ठेके पर हैं। पार्किंग के विकल्प निगम तलाश नहीं पा रहा है।
-विज्ञापन आय का बड़ा स्त्रोत है लेकिन विज्ञापन नियंत्रक उपनियम 2012 में संशोधन नहीं हुआ है। अवैध विज्ञापन के खिलाफ अभियान में खानापूर्ति हो रही है।
-नाम परिवर्तन भी आय का स्त्रोत है। नई दरें लागू होने के बाद आय में वृद्धि हुई है। अब कुछ पार्षदों के विरोध के कारण अस्थिरता बनी हुई है।
-नगर निगम की दुकानों का किराया लंबे समय से रिवाइज नहीं होने से नुकसान उठाना पड़ रहा है।
-सबसे खराब स्थिति लाइसेंस शुल्क वसूली की है। इस मद में नर्सिंग होम, क्लीनिक से लेकर किराना स्टोर तक पर शुल्क निर्धारित है लेकिन शत-प्रतिशत वसूली नहीं होती।
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शहरी विकास की प्रमुख जिम्मेदारी निगम की
नगर पालिका के सबसे ऊपर के शासन को नगर निगम कहते हैं। यह शहरी स्थानीय शासन का एक कानूनी नाम है। नगर निगम एक्ट 1959 के अनुसार नगर निगम की जिम्मेदारी है कि वह नागरिकों को मूलभुत सुविधाएं मुहैया कराए। 74वें संशोधन के अनुसार नगर निगम अपनी जिम्मेदारियों को बढ़ा भी सकता है लेकिन यह संशोधन अभी लागू नहीं है।
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नगर निगम की जिम्मेदारी
जलापूर्ति, जल निकासी, बाजार के लिए स्थान व पार्किंग व्यवस्था, सड़क निर्माण व मरम्मत, नाला-नाली निर्माण व मरम्मत, डिवाइडर निर्माण व मरम्मत, स्ट्रीट लाइट, पार्कों का रखरखाव, ग्रीन बेल्ट विकसित करना, कूड़ा उठान व निस्तारण, जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करना, सफाई व्यवस्था, मृत मवेशियों का निस्तारण, अतिक्रमण हटाने, प्रतिबंधित पालीथिन पर रोक लगाना, आवारा कुत्तों की नसबंदी व एंटी रैबीज वैक्सीनेशन, बेसहारा पशुओं को पकड़कर गोशाला में संरक्षण करना, सामुदायिक, सार्वजनिक शौचालय व यूरिनल की सुविधा देना, एंटी लार्वा छिड़काव व फागिग आदि।
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इतने हैं निगम में कर्मचारी
नगर निगम मेरठ में स्थाई व आउटसोर्स कर्मचारी मिलाकर 3887 है। इसमें प्रशासनिक अधिकारी भी शामिल हैं। इसमें स्थाई 1465 और आउटसोर्स कर्मचारी 2422 हैं।
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नगर निगम को आय के मामले में आत्मनिर्भर बनाने के लिए सभी अनुभागों को शत-प्रतिशत योगदान देना पड़ेगा। तय लक्ष्य की प्राप्ति शत-प्रतिशत करनी होगी। शहर का दायरा बढ़ने के साथ निगम को जन-सुविधाएं भी मुहैया करानी हैं। यूजर चार्ज समेत अन्य मदों से आने वाले समय में आय शुरू होगी। इसकी प्लानिग बन रही हैं।
-संतोष कुमार शर्मा, मुख्य वित्त एवं लेखाधिकारी, नगर निगम।