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बागपत में बेसहारा गोवंश का सहारा बने मां-बेटा, उपचार के साथ उगाते हैं चारा

बागपत के ये मां व पुत्र बेसहारा गोवंश का सहारा बने हुए हैं। बीमार गोवंश के उपचार के साथ चारा-पानी की व्यवस्था भी करते हैं। पांच बीघा जमीन पर बेसहारा पशुओं के लिए चारा पैदा करते हैं।दोनों ने जिंदगी इन्हीं गोवंश की सेवा के लिए अर्पित कर दी है।

By Taruna TayalEdited By: Published: Wed, 30 Sep 2020 09:00 AM (IST)Updated: Wed, 30 Sep 2020 09:51 AM (IST)
बागपत में बेसहारा गोवंश का सहारा बने मां-बेटा, उपचार के साथ उगाते हैं चारा
बागपत में बेसहारा गोवंश का सहारा बने मां-बेटा।

बागपत, [वीरपाल सिंह]। हर कोई यदि पलड़ी की बिमला देवी व उनके पुत्र मनोज कुमार जैसा गोवंश प्रेमी हो जाएं, तो सड़कों व खेतों में घूम रहे बेसहारा गोवंश की दुर्गति न हो। समाज में ऐसे लोग विरले ही मिलते है। मां व पुत्र बेसहारा गोवंश का सहारा बने हुए हैं। बेसहारा गोवंश के लिए अपनी पांच में से चार बीघा जमीन में चारा की बुआई करते है। दोनों ने जिंदगी इन्हीं गोवंश की सेवा के लिए अर्पित कर दी है। सड़कों व खेतों में जख्मी गोवंश की सुध लेने वाला कोई नहीं है। सरकार ने गो आश्रय स्थल जरूर खुलवाएं है, लेकिन अधिकांश में क्षमता से अधिक गोवंश है। यहीं कारण है कि बेसहारा गोवंश की देखभाल नहीं हो पा रही है। बेसहारा गोवंश के लिए गांव पलड़ी निवासी विधवा बिमला देवी और उनका बेटा मनोज कुमार सहारा बने हुए हैं।

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25 गायों की कर रहे सेवा

मनोज कुमार ने बताया कि उनके पास मात्र पांच बीघा जमीन हैं, उसमें से चार बीघा पर गोवंशों के लिए चारा बुआई करते है। एक बीघा में अपने खर्च के लिए गेंहू बुआई करते है। यही नहीं गोवंशों को चारा तो खिलाते ही है साथ ही उन्हें खल, चूरी, अनाज आदि भी खिलाते हैं, ताकि गोवंश स्वस्थ रहे।अब इनके पास 25 गायें हैं, जिनमें से पांच छह गाय लगभग 15 किग्रा दूध देती है। इस दूध को बेचकर उन्हीं की सेवा में लगाते हैं। जब कभी चारा खेत में कम पड़ जाता है, तो खरीदकर चारा खिलाते है।

घायल गोवंश का कराते हैं उपचार

बिमला देवी बताती है कि उनके तीन पुत्र है। दो पुत्र अपने परिवार के साथ अलग रहते है। छोटा पुत्र मनोज अविवाहित है और उनके साथ गोवंश की सेवा करता है। दोनों ही बेसहारा गोवंशों को अपने घर लाते हैं, जो बीमार है, घायल हैं या चलने फिरने में असमर्थ है उनका उपचार अपने खर्च से कराते हैं।


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