शुकतीर्थ नगरी में श्रीराम कथा का पांचवा दिवस : मोरारी बापू ने कहा- न करें निंदा और न ही सुने, ऐसा करना है गुनाह
तीर्थ नगरी शुकतीर्थ स्थित गंगा किनारे चल रही श्रीराम कथा के पांचवें दिन बुधवार को विश्वविख्यात कथा वाचक मोरारी बापू ने कहा कि निंदा करना व सुनना दोनों गुनाह है इसलिए मनुष्य को किसी की निंदा नही करनी चाहिए।
मुजफ्फरनगर, जेएनएन। तीर्थ नगरी शुकतीर्थ स्थित गंगा किनारे चल रही श्रीराम कथा के पांचवें दिन बुधवार को विश्वविख्यात कथा वाचक मोरारी बापू ने कहा कि निंदा करना व सुनना दोनों गुनाह है इसलिए मनुष्य को किसी की निंदा नही करनी चाहिए। हां यदि आपके सामने किसी की निंदा हो रही हो तो वहां से मुस्कराकर निकल जाओ। मेरे श्रोताओं व मेरे फ्लावर किसी से ईष्या मत करो, कोई आगे बढ़ रहा है तो उसे बढऩे दो, उसकी निंदा मत करो, उससे द्वेष मत करो। सत्य का निर्वहन करो, एक दूसरे से प्रेम करो और करुणा करो। सबसे उंचा धर्म ही परोपकार है। कथा में जो ग्रहणशील लगता है उसे ग्रहण कर लो, लेकिन भार नही बनाना है।
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मनुष्य का अंतिम कर्तव्य कृष्ण नाम ही है। मनुष्य को अंत समय में भी भगवान श्रीकृष्ण का ध्यान करना चाहिए। बापू ने कहा कि विचरण करने वाले महापुरुषों में अवधूत सर्वोपरि है और इनमें भी एक गुरुदत्त व दूसरे शुकदेव मुनि जी है। श्रवण करने विधा बताते हुए बापू ने कहा कि श्रोता विनयी होना चाहिए, संयमी होना चाहिए, धर्मी होना चाहिए, दयनीय होना चाहिए, विनर्मी होना, भ्रमी नही होना चाहिए। सत्संग से विवेक प्राप्त होता है इसलिए सत्संग सुनना चाहिए।
राम कृष्ण के उच्चारण से परमानंद की प्राप्ति होगी। विमूढ़ से विमूढ आदमी भी राम कृष्ण का नाम ले सकता है। नाम कीर्तन में कोई पाबंदी नही है। हरि नाम ही संसार है इसलिए हरि नाम का संकीर्तन किया जाए। माता-पिता, गुरु व मित्र के यहां यदि कोई भी शुभ कार्य हो तो बिना बुलाए चले जाना चाहिए। साधु संबंध नही बनाते है और बना ले तो उसे कभी तोड़ते नही है।
कोरोना संक्रमण से किया जा रहा बचाव
कथा में कोरोना संक्रमण से बचने का पूरा ख्याल रखा गया है, मेन गेट पर सभी श्रोताओं को सैनिटाइजर कराकर ही पंडाल में प्रवेश दिया जाता है, जिनके पास मास्क नही होता है उन्हें तत्काल मास्क दिया जाता है इसके अलावा कथा पंडाल में आपस में दूरी बनाकर कुर्सी व सोफे लगाए गए है जगह जगह, मास्क लगाए व हाथ न मिलाए व वर्तमान में मास्क लगाना ही एक मात्र वेक्सिन है, के नारे लिखे गए है। कथा के दौरान भी कुछ सेवक घूमते रहते है और जो मास्क नाक से नीचे करने की कोशिश करता है उसे तत्काल टोक देते है।
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सियाराम के गुणगान पर मग्न हो जाते है श्रद्धालु
कथा के आरंभ करने से पहले मोरारी बापू प्रतिदिन सिया राम-राम सिया राम के भजन की स्तुति करते है तो श्रोता मन मुग्ध हो जाते और अपनी आंखे बंद कर बापू की आवाज को सुनते रहते है। पंडाल में केवल बापू के सिया राम की आवाज की गूंज रहती है और श्रोता राम की भक्ति में लीन हो जाते है और करीब एक घंटे तक पंडाल में बापू के मुख से सिया राम की जय राम का गुणगान सुनाई देता है।