मेरठ में खतरे का निशान पार कर रही यह विषाक्त गैस, खून की आक्सीजन भी कर देगी खत्म Meerut News
विषाक्त गैस कार्बन मोनोआक्साइड की मात्र मेरठ में सर्वाधिक दर्ज हुई। ये हीमोग्लोबिन के साथ ढाई सौ गुना तेजी से जुड़कर रक्त की आक्सीजन खत्म कर व्यक्ति को बेहोश कर देती है।
मेरठ, [संतोष शुक्ल]। दीपावली के बाद से बिगड़ी हवा बुधवार को और खतरनाक हो गई। सुबह से शाम तक धुंध बनी रही, वहीं हवा में सूक्ष्म कणों 2.5 एवं पीएम-10 का स्तर भयावह रूप से बढ़ गया। विषाक्त गैस कार्बन मोनोआक्साइड की मात्र मेरठ में सर्वाधिक दर्ज हुई। ये हीमोग्लोबिन के साथ ढाई सौ गुना तेजी से जुड़कर रक्त की आक्सीजन खत्म कर व्यक्ति को बेहोश कर देती है। मेरठ के तीनों स्टेशनों पर पीएम-2.5 की मात्र 500 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर पार कर गई।
जानलेवा है मोनोआक्साइड
दिल्ली की संस्था सेंटर फार साइंस एंड इन्वायमेंट के मुताबिक एनसीआर में मोनोआक्साइड ज्यादा होने का मतलब है कि कचरा बार-बार जलाया जा रहा है। औद्योगिक चिमनियों, पुराने वाहनों वाले इंजनों में ईंधन का ठीक से दहन न होने एवं सिगरेट से भी ये विषाक्त गैस निकलती है। ये रंगहीन एवं गंधहीन होने से पता भी नहीं चलती है। वायु प्रदूषण में नाइट्रोजन, सल्फर एवं कार्बन डाई आक्साइड जहां जुकाम, खराश और अस्थमा का कारण बन सकती है, वहीं मोनोआक्साइड शरीर में आक्सीजन खत्म कर मौत की वजह बनती है। इसमें लेड की मात्र ज्यादा हो सकती है।
सांस के मरीजों पर संकट
वैज्ञानिकों का कहना है कि पश्चिमी उप्र के आसपास पराली और खुले में कचरा जलाने से हवा में विषाक्त कणों की मात्र ज्यादा है। एनसीआर में सांस के मरीजों की संख्या में अचानक तेजी दर्ज की गई। मेडिकल कालेज के सांस एवं छाती रोग विशेषज्ञ डा. संतोष मित्तल ने कहा कि पीएम-2.5 की मात्र 300 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से ज्यादा होने पर हवा में आक्सीजन की मात्र गिरने लगती है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
कार्बन मोनोआक्साइड गैस हीमोग्लोबिन से आक्सीजन की तुलना में 300 गुना तेजी से जुड़ती है, जो जानलेवा है। हवा में 100 पीपीएम के ऊपर इसकी मात्र सेहत के लिए खतरनाक है। पीएम-2.5 ही नहीं, हवा की मोनोआक्साइड से बचना ज्यादा जरूरी है। ये सिरदर्द, मेमोरी लास, अंगों में कमजोरी, थकान एवं हार्ट की बीमारी भी कर सकती है।
डा. वीएन त्यागी, सांस एवं छाती रोग विशेषज्ञ