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दिल्ली में जो मेट्रो चलती है वही पूरी मेट्रो रेल है, मेरठ में जो रेल चलेगी, वह लाइट मेट्रो होगी, समझें पूरा प्रोजेक्‍ट Meerut News

मेरठ में दोनों रूटों पर दौड़ेंगी अलग-अलग मेट्रो। दिल्ली में जो मेट्रो चलती है उसे ही पूरी तरह से मेट्रो रेल कहा जाता है। मेरठ में जागृति विहार रूट पर लाइट मेट्रो रेल चलेगी।

By Taruna TayalEdited By: Published: Sun, 17 Nov 2019 12:22 PM (IST)Updated: Sun, 17 Nov 2019 12:22 PM (IST)
दिल्ली में जो मेट्रो चलती है वही पूरी मेट्रो रेल है, मेरठ में जो रेल चलेगी, वह लाइट मेट्रो होगी, समझें पूरा प्रोजेक्‍ट Meerut News
दिल्ली में जो मेट्रो चलती है वही पूरी मेट्रो रेल है, मेरठ में जो रेल चलेगी, वह लाइट मेट्रो होगी, समझें पूरा प्रोजेक्‍ट Meerut News

मेरठ, जेएनएन। अपने शहर मेरठ में देर से ही सही, दोनों रूटों पर मेट्रो चलेगी, जबकि दिल्ली-गाजियाबाद जाने के लिए रैपिड रेल फर्राटा भरेगी। लंबे समय से इन प्रोजेक्टों पर बात चल रही है, जिसको लेकर कुछ लोग भ्रमित हो रहे हैं कि कभी मेट्रो की बात होती है तो कभी रैपिड की। कभी कोई कॉरिडोर रद होता है तो कभी कार्य शुरू होने की बात होती है। इसलिए अब यह समझने की जरूरत है कि आखिर मेट्रो और रैपिड प्रोजेक्ट है क्या। इसे समझने लिए पूरी खबर पढ़ें, जिसके बाद आप पूरी तरह से समझ जाएंगे।

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जागृति विहार मेट्रो रूट की स्थिति

मेरठ मेट्रो (जागृति विहार मेट्रो रूट) की डीपीआर बनकर तैयार है। प्रदेश सरकार से प्रोजेक्ट को स्वीकृति मिलने के बाद अक्टूबर 2016 तक केंद्र से अनुमति मिल जाने का लक्ष्य रखा गया था, जोकि आज तक नहीं मिली। पिछले वर्ष मेट्रो की डीपीआर शासन ने नई मेट्रो नीति के तहत रिवाइज करवाई थी, जिसे इस साल जनवरी में प्रदेश सरकार ने मंजूरी दी और उसे केंद्र सरकार के पास मंजूरी के लिए भेजी। इसके बाद केंद्र सरकार ने फिर एक नोट लगाकर वापस भेज दी। हालांकि बाद में नोट के अनुसार डीपीआर फिर संशोधित हुई, जिसे इसी साथ केंद्र सरकर ने सैद्धांतिक मंजूरी दी थी। हालांकि डीपीआर अभी केंद्र सरकार के वित्त बोर्ड के पास लंबित है।

यह होती है लाइट मेट्रो

दिल्ली में जो मेट्रो चलती है उसे ही पूरी तरह से मेट्रो रेल कहा जाता है। मेरठ में जागृति विहार रूट पर जो मेट्रो रेल चलेगी, वह लाइट मेट्रो होगी। लाइट मेट्रो में तीन डिब्बे होंगे और उसकी गति दिल्ली मेट्रो की गति से काफी कम होगी। इसके इंजन की क्षमता भी कम होती है। हालांकि डिब्बों का आकार लगभग सामान्य मेट्रो की तरह का ही होता है। दरअसल, मेट्रो संचालित करने के लिए एक नियम यह है कि मेट्रो उस शहर में संचालित करनी चाहिए, जिसकी जनसंख्या कम से कम 50 लाख हो। शुरुआत में ही कम से कम डेढ़ लाख यात्री यात्रा करें।


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