मेरठ में बोले मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक, पद छोड़ दूंगा, बोलना नहीं
किसानों की समस्या महंगाई बेरोजगारी सेना भर्ती आदि मुद्दे जिनकी मैं बात करता हूं सभी सही हैं और सरकार व प्रधानमंत्री इन्हें मानते हैं। सही बात कहना गलत नहीं है। यदि मेरी बात गलत है तो प्रधानमंत्री जिस दिन कहेंगे राज्यपाल की जिम्मेदारी को छोड़ दूंगा। लेकिन बोलना नहीं छोडूंगा।
मेरठ, जागरण संवाददाता। किसानों की समस्या, महंगाई, बेरोजगारी, सेना भर्ती आदि मुद्दे जिनकी मैं बात करता हूं, सभी सही हैं और सरकार व प्रधानमंत्री इन्हें मानते हैं। सही बात कहना गलत नहीं है। यदि मेरी बात गलत है तो प्रधानमंत्री जिस दिन कहेंगे राज्यपाल की जिम्मेदारी को छोड़ दूंगा। लेकिन बोलना नहीं छोडूंगा।
मेघालय के राज्यपाल यहीं नहीं रुके। मेरठ बार एसोसिएशन द्वारा सम्मान समारोह में यहां पहुंचे सत्यपाल मलिक बोले, लाल किले पर झंडा फहराने का सबसे पहला अधिकार प्रधानमंत्री जी को है और उसके बाद उन गुरु तेग बहादुर जी के बच्चों को है जिन्होंने लाल किले के दरवाजे पर देश की खातिर अपनी गर्दन कटवा दी थी। लाल किले पर कुछ लड़के चढ़े तो दिल्ली में ऐसी अफवाह फैला दी गई जैसे कोई आतंकवादी घटना हो गई हो जबकि लाल किले पर किसी पार्टी का झंडा नहीं, बल्कि निशान साहिब लगाया गया था।
सत्यपाल मलिक ने मेरठ में हाई कोर्ट बेंच की मांग को उचित बताया। कहा, प्रदेश में चार अतिरिक्त हाईकोर्ट बेंच की जरूरत है। वर्ष 1989 में मेरी गलती से मेरठ में बनने से रह गई हाई कोर्ट बेंच। राज्यपाल पद के दायित्व से मुक्त होने के बाद मैं मेरठ की हाई कोर्ट बेंच के आंदोलन में सक्रिय रूप से सहयोग दूंगा। इसके लिए जिम्मेदार लोगों से संपर्क करके बेंच की स्थापना कराई जाएगी।
आज जितना किसानों के लिए लड़ रहा हूं रिटायरमेंट के बाद उससे ज्यादा हाई कोर्ट बेंच के लिए संघर्ष करूंगा। वर्ष 1989 में विधि मंत्री हर्षवर्धन भारद्वाज ने मुझसे कहा था कि चलो मेरठ चलकर हाईकोर्ट बेंच की घोषणा कर देते हैं लेकिन मेरी लापरवाही रही और मैंने उस कार्यक्रम को कुछ दिन के लिए टाल दिया।इसी बीच बोफोर्स तोप का मुद्दा चर्चा में आ गया और फिर कांग्रेस से बात करने की स्थिति नहीं रही। मेरठ को बेंच न दे पाने के लिए मैं शर्मिंदा हूं।