UP Zila Panchayat Chunav 2021: जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव मामले में मेरठ के सपा नेता सम्राट मलिक पर भी गाज
UP Zila Panchayat Chunav 2021 जिला पंचायत चुनाव को लेकर समाजवादी पार्टी में भितरघाल के मामले थमते नजर नहीं आ रहे हैं। जहां पहले 11 जिलों के अध्यक्ष पद से हटाए गए वहीं मेरठ में भी कार्रवाई हो गई। सम्राट मलिक से पद को छीन लिया है।
मेरठ, जागरण संवाददाता। प्रदेश में जिला पंचायत चुनाव में सपा नेताओं के भितरघात मामले में जहां पहले 11 जिलों के अध्यक्ष पद से हटाए गए वहीं अब मेरठ में भी कार्रवाई हो गई है। समाजवादी युवजन सभा के प्रदेश उपाध्यक्ष सम्राट मलिक से इस पद को छीन लिया गया है। यह मामला भी जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव से जुड़ा हुआ है। दो माह पहले ही उन्हें यह पद दिया गया था।
लखनऊ घूम रहे थे
शिकायत यह पहुंची थी कि सम्राट मलिक जिला पंचायत अध्यक्ष पद की प्रत्याशी सलोनी के दूसरे प्रपत्र में प्रस्तावक थे। लेकिन जब नामांकन का समय था तब वह नहीं पहुंचे। उन्हें इस दिन जिले में रहना चाहिए था लेकिन लखनऊ घूम रहे थे। यही नहीं कुछ लोगों ने पार्टी तक यह भी शिकायत पहुंचाई कि सम्राट लखनऊ गए ही नहीं थे बल्कि जिले में ही थे। सिर्फ प्रस्तावक बनने से बचने के लिए लखनऊ में होने का बहाना बना रहे थे। इन सब शिकायतों का संज्ञान लेकर पार्टी ने उन पर कार्रवाई कर दी है।
गलत तरीके से हुई शिकायत
दूसरा प्रपत्र इसलिए होता है कि यदि पहला प्रपत्र खारिज हो जाए तो दूसरे प्रपत्र को मौका दिया जाता है। इस कार्रवाई पर सम्राट मलिक का कहना है कि उनकी शिकायत गलत तरीके से की गई है। पार्टी हाईकमान को भ्रमित किया गया है। वह खुद लखनऊ जाकर पूरी बात रखेंगे। उनका कहना है कि पहले प्रपत्र में अश्वनी शर्मा अनुमोदक व जितेंद्र की पत्नी को प्रस्तावक बनाया गया था। दूसरे प्रपत्र में उनका नाम डाला गया था जबकि दूसरे प्रपत्र के लिए कोई अनुमोदक ही नहीं था। पार्टी हाईकमान व मीडिया को दूसरे प्रपत्र की जो कापी मुहैया कराई गई है वह गलत है। दूसरे प्रपत्र में भी जितेंद्र की पत्नी को अनुमोदक दिखाया गया है, ऐसे में यह कैसे हो सकता है। उनका कहना है कि उनके खिलाफ साजिश हुई है।
तो क्या सिर्फ सम्राट ही नपेंगे
पार्टी की ओर से जिला पंचायत सदस्य जीते थे सात। अध्यक्ष पद का चुनाव लडऩा तो दूर कोई प्रस्तावक भी बनने को तैयार नहीं हुआ। अध्यक्ष पद का प्रत्याशी बसपा से तोड़कर लाना पड़ा। अनुमोदक अश्वनी शर्मा भी बसपा के ही थे जो बाद में मुकर गए और उनकी वजह से ही नामांकन पत्र रद हुआ। बहरहाल, अब जब इस खेल में सम्राट मलिक पर कार्रवाई हो गई है तो अन्य सदस्यों की भी निष्ठा की जांच पार्टी को करनी चाहिए।