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गोलमाल वाले मेरठ के बंटी राठौर का अब गुजराती में कमाल, धमाल से मिली थी पहचान

मेरठ निवासी बंटी राठौर धमाल गोलमाल-3 खिलाड़ी 786 आल द बेस्ट टोटल धमाल जैसी सुपर हिट फिल्मों के संवाद लिख चुके हैं। अब उन्हें फना जैसी सुपरहिट फिल्म दे चुके निर्देशक कुणाल कोहली की फिल्म के संवाद लिखने का अवसर मिला है।

By Taruna TayalEdited By: Published: Wed, 05 May 2021 07:51 PM (IST)Updated: Wed, 05 May 2021 07:51 PM (IST)
गोलमाल वाले मेरठ के बंटी राठौर का अब गुजराती में कमाल, धमाल से मिली थी पहचान
मेरठ के बंटी राठौर अब गुजराती फिल्म जेसू जोरदार में अपनी प्रतिभा दिखाने जा रहे हैं।

मेरठ, [प्रवीण वशिष्ठ]। धमाल, गोलमाल-3, खिलाड़ी 786, आल द बेस्ट, टोटल धमाल जैसी सुपर हिट फिल्मों के संवाद लिख चुके मेरठ के बंटी राठौर अब गुजराती फिल्म जेसू जोरदार में अपनी प्रतिभा दिखाने जा रहे हैं। बॉलीवुड में बड़े सितारों के साथ बड़ी फिल्में करने करने वाले बंटी का रीजनल सिनेमा से जुड़ने का कारण दोस्ती है। इस फिल्म से उनके संघर्ष के दिनों के साथी राजन वर्मा बतौर निर्देशक अपने करियर की शुरुआत करने करने जा रहे हैं। दोस्ती की खातिर अपेक्षाकृत कम पारिश्रमिक पर उन्होंने इस फिल्म के संवाद लिखने का निर्णय लिया।

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बनना चाहते थे कोरियोग्राफर, बन गए राइटर

मेरठ के कंकरखेड़ा के सुभाषपुरी निवासी बंटी राठौर फिल्मों में कोरियोग्राफर बनना चाहते थे, लेकिन उनकी लेखन प्रतिभा उस पर हावी हो गई। बताते हैं कि इसका उन्हें भी पता नहीं था। इतना जरूर था कि हिंदी साहित्य खूब पढ़ता था। मेरठ में फिल्मों को देखते समय उनके संवाद पर खास ध्यान जाता था। कई बार सोचता था कि यह संवाद ऐसे न होकर यदि ऐसे होता तो बेहतर रहता। शायद इसके चलते ही संवाद लेखन में करियर बन गया।

धमाल से मिली पहचान

बंटी राठौर बताते हैं कि वर्ष 2001 में वह मुम्बई गए थे। बालीवुड में स्थापित होने के लिए संघर्ष करने लगे। कुछ धारावाहिकों के लेखन से शुरुआत हुई। वर्ष 2003 में उन्हें धमाल से ब्रेक मिला। इस फिल्म के निर्देशक इंद्रकुमार ने कहा था कि वह कामेडी की शोले बनाना चाहते हैं। इसे ध्यान में रखते हुए पूरी मेहनत से संवाद लिखे, फिल्म सुपर हिट रही। इससे संवाद लेखक के तौर पर पहचान मिल गई।

सीरीज या सीक्वल के लिए लिखना एक चुनौती

बंटी राठौर ने गोलमाल सीरीज की गोलमाल-3, यमला-पगला-दीवाना फिर से, टोटल धमाल जैसी सीरीज वाली कई फिल्में लिखी हैं। उनका कहना है कि ऐसी फिल्मों के लिए लिखना एक चुनौती होता है, क्योंकि दर्शक पिछली फिल्म से तुलना अवश्य करता है। जैसे गोलमाल-3 का मुकाबला सबसे पहले गोलमाल-2 से होता है। ऐसे में आपको और अधिक मेहनत करनी पड़ती है।

अक्षय कुमार सैट पर करते हैं खूब धमाल, अजय और संजय रहते हैं सीरियस

बंटी राठौर ने बताया कि उनके पिता अक्षय कुमार के फैन थे। उनकी इच्छा थी कि वह अक्षय के साथ काम करें। खिलाड़ी 786 के साथ यह इच्छा पूरी हुई, लेकिन तक तक पिताजी का निधन हो चुका था। खिलाड़ी 786 की शूटिंग के दौरान उन्होंने यह बात अक्षय कुमार को बताई। इससे वह भी भावुक हो गए। अक्षय कुमार सैट पर खूब धमाल करते हैं। उनके साथ काम करना सहयोगियों में ऊर्जा भर देता है। दूसरी ओर अजय देवगन और संजय दत्त जैसे स्टार के अधिकतर गंभीर रहते हैं, लेकिन अपने सहयोगियों का पूरा सम्मान करते हैं।

देओल फैमली के साथ काम करके आया आनंद

बंटी ने बताया कि यमला-पगला-दिवाना फिर से में उन्हें धर्मेंद्र, सनी देओल और बाबी देओल के साथ काम करने में बड़ा आनंद आया। शूटिंग के दौरान माहौल पूरी तरह पारिवारिक रहा।

निर्देशक करा देते हैं एक्टिंग

बंटी राठौर बताते हैं कि उन्हें अभिनय का शौक नहीं है, लेकिन कई बार निर्देशक के कहने पर छोटे-छोटे कॉमेडी सीन कर लेते हैं। दर्शक इन दृश्यों को भी याद रख उनके काम को पसंद करते हैं, यह जानकर बहुत अच्छा लगता है।

कामेडी लिखने वाला आसानी से लिख सकता है थ्रिलर

केवल कामेडी फिल्मों के संवाद लिखने के सवाल पर बंटी कहते हैं कि ऐसा नहीं है। उन्होंने थ्रिलर फिल्म एक्सपोज लिखी थी, इसके संवाद काफी पसंद किए गए थे। हाल ही में फना फेम निर्देशक कुणाल कोहली की एक थ्रिलर फिल्म के संवाद लिखने का मौका मिला है। कुणाल का कहना था कि वह उनसे संवाद इसलिए लिखवा रहे हैं, क्योंकि जिसने कामेडी फिल्म के संवाद लिख दिए वह अन्य आसानी से लिख सकता है, क्योंकि कामेडी में सबसे अधिक टाइमिंग का कहीं अधिक ध्यान रखना होता है, जबकि एक्शन, थ्रिलर आदि फिल्मों में सीन को बेहतर बनाने में कैमरा, लोकेशन या वीएफएक्स आदि की मदद मिल जाती है।

सलमान खान फिल्मस के साथ बातचीत अंतिम चरण में

बंटी ने बताया कि सलमान खान फिल्मस की एक फिल्म का उन्हें प्रस्ताव मिला है। इसकी बातचीत अंतिम चरण में है।

राजन ने दिया था संघर्ष में साथ

बंटी राठौर बताते हैं कि अलीगढ़ के मूल निवासी राजन वर्मा उनसे पहले से मुम्बई में हैं। संघर्ष के दिनों में उन्होंने बहुत सहयोग दिया था। दोस्ती की खातिर अपेक्षाकृत काफी कम पारिश्रमिक पर उन्होंने उनकी निर्देशक के तौर पर पहली फिल्म जेसू जोरदार के संवाद लिखना सहर्ष स्वीकार कर लिया। शुरू में उनके संवाद का अनुवाद एक गुजराती सज्जन कर रहे थे, लेकिन दो दिन की शूटिंग के बाद राजन संतुष्ट नहीं हुए। इसके बाद उन्होंने शूटिंग के दौरान मौजूद रहकर कलाकारों को हिंदी में संवाद बताए और उन्होंने उसे उनके सामने ही गुजराती में बोला, तो बात बन गई। जेसू जोरदार रिलीज होने वाली थी, लेकिन फिलहाल कोरोना के कारण रूक गई है।

आम जीवन से मिलती है लिखने की प्रेरणा

बंटी का कहना है कि उन्हें संवाद लिखने की प्रेरणा आम जीवन से मिलती है। जैसे परिवार में किसी बात पर हंसे हों तो इसी से कई बार बहुत गुदगुदाने वाला लेखन हो जाता है।

यादों में बसा है मेरठ

बंटी बताते हैं कि मेरठ उनकी यादों में बसा है। त्योहारों खासकर होली-दीवाली पर इसे बहुत मिस करते हैं। बसंत पंचमी पर यहां की पतंगबाजी का अलग ही आनंद था। मेरठ में बहुत से दोस्त हैं। जब भी मेरठ जाते हैं तो दोस्तों को पता होता है कि शाम को कंकरखेड़ा में अमरपाल की चाय की दुकान पर अवश्य मिलूंगा। वर्षों वह दुकान अपना अड्डा रही है। सभी वहां आ जाते हैं। 


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