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यह महिला थाना है, मेडिकल कराने को फौजी से मांग लिया खर्चा

मेरठ के महिला थाने की कार्यशैली एक बार फिर सवालों के घेरे में है। एक मुकदमे के सिलसिले में थाने पहुंचे फौजी से ही खर्चा मांग लिया गया।

By Ashu SinghEdited By: Published: Sun, 20 Jan 2019 01:19 PM (IST)Updated: Sun, 20 Jan 2019 01:19 PM (IST)
यह महिला थाना है, मेडिकल कराने को फौजी से मांग लिया खर्चा
यह महिला थाना है, मेडिकल कराने को फौजी से मांग लिया खर्चा
मेरठ, जेएनएन। महिलाओं को सहूलियत और तत्काल न्याय दिलाने के मकसद से बनाए गए महिला थानों में ही महिलाओं का उत्पीड़न हो रहा है। यहां मुकदमा दर्ज होते ही सौदेबाजी शुरू हो जाती है। कभी मेडिकल के नाम पर तो कभी आरोपित को पकड़ने के लिए दबिश के नाम पर पीड़ितों से रकम वसूली जाती है। मेरठ महिला थाने में शनिवार को ऐसा ही मामला सामने आया। बहन की लड़ाई लड़ रहे एक फौजी को भी मेडिकल कराने के लिए पुलिस को चढ़ावा चढ़ाना पड़ा।
शिकायत दर्ज कराई थी
जानी थानाक्षेत्र के गांव पेपला निवासी सोहनवीर भारतीय सेना में हैं। उनकी बहन बीना की शादी नजदीकी गांव नेक निवासी अंकित से 28 फरवरी 2017 को हुई थी। शादी के बाद से ही बहन का उत्पीड़न होने लगा। कुछ दिन वह मायके में रही, लेकिन फिर से ससुराल भेज दिया। सोहनवीर का आरोप है कि कुछ दिन पहले ससुराल वालों ने इतना पीटा कि उसका हाथ टूट गया। गत गुरुवार को उन्होंने महिला थाने में शिकायत दर्ज कराई थी।
मेडिकल कराने क्या गई, खर्चा मांगने लगी
शनिवार को महिला थाने में पुलिसकर्मी अपने-अपने मुकदमों के वादी-प्रतिवादियों को लेकर खड़े थे। इंस्पेक्टर के गेट के बाहर सोहनवीर, उसकी बहन व पिता से एक महिला सिपाही जिरह कर रही थी। पास जाकर सुना तो विश्वास नहीं हुआ। महिला पुलिसकर्मी कह रही थी कि वह उसकी बहन का मेडिकल परीक्षण कराने गई थी, उसे 500 रुपये खर्चा दिया जाए। सोहनवीर ने खुद को फौजी बताया। पुलिसकर्मी जिद पर अड़ी रही। फौजी ने 200 रुपये दिए।
पहले भी चढ़ाना पड़ा था चढ़ावा
फौजी सोहनवीर का कहना है, देश का सिस्टम ही खराब है। हम पैसे नहीं देंगे तो दूसरा पक्ष दे देगा। कार्रवाई के पैसे देने ही पड़ेंगे। सोहनवीर का कहना है कि दूसरी बहन के साथ हुए मामले में पुलिस जब भी दबिश देने गई, उसे पांच हजार रुपये देने पड़े।
सामने आया था बेकसूरों से वसूली का मामला
हाल ही में महिला थाना उस वक्त सुर्खियों में आया, जब सामूहिक दुष्कर्म के तीन बेकसूरों से वसूली का खेल खेला गया। अधिकारियों द्वारा क्लीनचिट देने के बाद भी यहां बेकसूरों को चढ़ावा चढ़ाना पड़ा। थाने की एक जिम्मेदार अधिकारी ने पहली किश्त में 60 हजार रुपये लिए और बाद में एक लाख रुपये और देने का दबाव डाला। बदनामी के बाद भी महिला थाने के सिस्टम में सुधार नहीं आया।
पहले भी विवादों में रहा है महिला थाना
महिला थाने में वसूली और सौदेबाजी का यह कोई पहला मामला नहीं है। पहले भी थाना विवादों में रहा है। अपने कारनामों के चलते तत्कालीन इंस्पेक्टर व दारोगा ने खाकी पर बदनुमा धब्बा लगाया। अधिकारियों को लाइनहाजिर से लेकर निलंबन तक की कार्रवाई तक की। पूर्व एसएसपी ने तो थाने जाकर तत्कालीन थाना प्रभारी को खरी-खोटी सुनाई थी।
इनका कहना है
महिला थाने में गोपनीय जांच कराई जाएगी। वसूली करने वाले किसी भी पुलिसकर्मी को नहीं बख्शा जाएगा। निलंबन के साथ-साथ विभागीय जांच भी बैठाई जाएगी।
-अखिलेश कुमार, डीआइजी

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