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मेरठ : मास्क को सही तरीके से पहनें...ये टीबी से भी बचाएगा, जानें-विशेषज्ञ की राय

मेरठ में वरिष्ठ सांस एवं छाती रोग विशेषज्ञ डा. अमित अग्रवाल के अनुसार थ्री लेयर मास्क छह माइक्रोन तक के सूक्ष्मकणों को लंग्स तक पहुंचने से रोक देते हैं। कोरोना से बचाव के लिए सर्जिकल मास्क बेहतर है। मास्‍क का प्रयोग अनिवार्य रूप से करना चाहिए।

By Prem Dutt BhattEdited By: Published: Tue, 31 Aug 2021 03:30 PM (IST)Updated: Tue, 31 Aug 2021 03:30 PM (IST)
मेरठ : मास्क को सही तरीके से पहनें...ये टीबी से भी बचाएगा, जानें-विशेषज्ञ की राय
दैनिक जागरण की अकादमिक गोष्ठी में डाक्‍टर अमित अग्रवाल ने रखे विचार।

मेरठ, जागरण संवाददाता। मास्क सिर्फ कोरोना से ही नहीं बचाता, बल्कि यह खतरनाक बैक्टीरिया, वायरस एवं धूलकणों से भी सुरक्षा देता है। एक बार में आठ घंटे तक मास्क पहन सकते हैं। इससे शरीर में आक्सीजन की कमी नहीं होती है। दैनिक जागरण की इस सोमवार की अकादमिक गोष्ठी में मास्क की उपयोगिता एवं कोरोना नियंत्रण विषय पर विमर्श हुआ। वक्ता थे वरिष्ठ सांस एवं छाती रोग विशेषज्ञ डा. अमित अग्रवाल।

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सर्जिकल मास्क भी पर्याप्त

थ्री लेयर मास्क छह माइक्रोन तक के सूक्ष्मकणों को लंग्स तक पहुंचने से रोक देते हैं। कोरोना से बचाव के लिए सर्जिकल मास्क बेहतर है। एन-95 मास्क ज्यादा वायरल लोड वाले क्षेत्र में ही पहनना चाहिए। इस मास्क को धोना नहीं चाहिए। बल्कि सात दिन के लिए पांच मास्क रखें, जिसे एक-एक दिन बाद पहनें। अगर कपड़े के मास्क से सूर्य का प्रकाश आर-पार न हो यह वायरस को रोकने में सक्षम होगा। मास्क को फोल्ड करके रखें। इससे सही तरीके से खोलना और पहनना ज्यादा महत्वपूर्ण है।

कोरोना के बाद टीबी का खतरा ज्यादा

कोरोना से उबरने वाले मरीजों में टीबी संक्रमण एवं फ्लू ज्यादा देखा जा रहा है। ऐसे में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए पनीर, दालें, चना, सोयाबीन एवं फलों का सेवन करना चाहिए, वहीं मास्क पहनकर ही भीड़ में जाएं। अस्थमा के मरीजों में कोरोना का असर इसलिए कम रहा, क्योंकि वेे इन्हेलर पर चल रहे थे। प्राणायाम करने से फेफड़ों की क्षमता बढ़ती है। ऐसे में निमोनिया और अन्य सेकेंडरी संक्रमण की आशंका कम होती है। मास्क के उपयोग से टीबी और एलर्जिक बीमारियां भी रोकी जा सकती हैं।

तीसरी लहर अब ज्यादा घातक नहीं होगी

कोरोना की दोनों लहरों में करीब 70 फीसद लोगों में एंटीबाडी बन गई है। बड़ी संख्या में लोगों को वैक्सीन लगाई गई है। एक भी डोज लेने वालों में एंटीबाडी मिल रही है, ऐसे में तीसरी लहर के दौरान संक्रमण भयावह रूप से फैलने की आशंका कम होगी। अगर वायरस के वैरिएंट में बदलाव हुआ तो भी वैक्सीन काफी हद तक कारगर रहेगी, क्योंकि दोनों में प्रोटीन समान होगी। लक्षणों के बावजूद सिर्फ 40 फीसद ने जांच कराया, ऐसे में वायरस कहीं गया नहीं है।

इम्युनिटी बूस्टर औषधियां

बचाव संबंधी सभी प्रोटोकाल का पालन जरूरी है। कई देशों में वैक्सीन के मिक्स डोज एवं तीसरे डोज की जरूरत पर शोध चल रहे हैं। संक्रमण उभरने के पांच दिन बाद ही सीटी स्कैन जांच करानी चाहिए, अन्यथा कोई स्पष्ट जानकारी नहीं मिलती है। दुनिया में कोरोना के इलाज को लेकर कोई साफ गाइडलाइन नहीं है। आयुर्वेदिक एवं एलोपैथिक पद्धतियों में भी कई प्रकार की इम्युनिटी बूस्टर औषधियां हैं।


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