मेरठ में तैनात थी बॉर्डर के 'मेजर साब' की पल्टन
लोंगेवाला में पाकिस्तानी सेना के ढाई हजार सैनिकों और 44 टी-59 टैंकों वाली टैंक रेजिमेंट का सामना करने वाली ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह चांदपुरी की पल्टन पंजाब रेजिमेंट की 23वीं बटालियन पिछले साल तक मेरठ छावनी में तैनात रही। यही पर बटालियन ने अपना 50वां स्थापना दिवस मनाया जिसमें शामिल होने के लिए ब्रिगेडियर चांदपुरी भी मेरठ पहुंचे थे।
मेरठ । लोंगेवाला में पाकिस्तानी सेना के ढाई हजार सैनिकों और 44 टी-59 टैंकों वाली टैंक रेजिमेंट का सामना करने वाली ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह चांदपुरी की पल्टन पंजाब रेजिमेंट की 23वीं बटालियन पिछले साल तक मेरठ छावनी में तैनात रही। यही पर बटालियन ने अपना 50वां स्थापना दिवस मनाया जिसमें शामिल होने के लिए ब्रिगेडियर चांदपुरी भी मेरठ पहुंचे थे। महज 120 सैनिकों के साथ पूरी टैंक ब्रिगेड का सामना करने वाले ब्रिगेडियर चांदपुरी के साथ मेरठ के लोगों की यादें भी जुड़ी हैं। वर्ष 1971 के युद्ध में पहाड़ों की ओर तैनात रहे ब्रिगेडियर जेके तोमर उनके मित्र थे तो डा. राजीव सिंह व डा. अमित पाठक की मुलाकात बटालियन के गोल्डन जुबली समारोह में हुई।
चंडीगढ़ में उनसे होती थी मुलाकात : ब्रिगेडियर तोमर
गैलेंट्री अवार्ड विजेताओं का फोरम चंडीगढ़ में हर साल एक कार्यक्रम आयोजित करता है जहां ब्रिगेडियर चांदपुरी भी आया करते थे। ब्रिगेडियर जेके तोमर बताते हैं कि वह दोनों मित्र थे और उस कार्यक्रम में शामिल होने का अवसर नहीं चूकते थे। साल 1990 में वह श्रीनगर में ब्रिगेड कमांडर कर रहे थे। वहां मैं सपरिवार अमरनाथ यात्रा पर गया था तो वहां भी मुझसे मिले थे। वह मुझसे जूनियर थे। फील्ड में साथ रहने का अवसर नहीं मिला लेकिन ऑफ द फील्ड हम लंबे अरसे तक जुड़े रहे। उनकी मृत्यु की खबर सुनकर अफसोस हुआ। लोंगेवाला में उनकी बहादुरी के किस्से सैनिकों के लिए एक उदाहरण के तौर पर पेश की जाती है। उन्होंने टैंकों के हमले के बाद भी पीछे हटना स्वीकार नहीं किया था।
पिता की बटालियन के कमान अधिकारी रहे : डा. राजीव सिंह
शहीद मेजर रनबीर सिंह के पुत्र डा. राजीव सिंह और डा. अमित पाठक की मुलाकात ब्रिगेडियर चांदपुरी से 23 पंजाब बटालियन के गोल्डन जुबली कार्यक्रम में 2016 में ही हुई थी। डा. राजीव बताते हैं कि उनके पिता का कमीशन नौवीं पंजाब बटालियन में हुआ था। साल 1971 के युद्ध के बाद उसके कमान अधिकारी ब्रिगेडियर चांदपुरी ही थी। फरवरी 2016 में कपूरथला में तैनात नौवीं पंजाब बटालियन के स्थापना दिवस समारोह में ब्रिगेडियर चांदपुरी से मिलने का मौका पहली बार मिला। बॉर्डर फिल्म में उनके व्यक्तित्व की एक झलक पाने के बाद जो भी उनसे मिलता वह गौरव से फूला नहीं समाता।
मौत को भी भागना पड़ा
23 पंजाब बटालियन की स्वर्ण जयंती समारोह के साथ ही कुलवंत सिंह स्टेडियम में आयोजित 'अपनी सेना को जानो' मेले में लोंगेवाला युद्ध से संबंधित प्रदर्शनी लगाया गया था। दिसंबर 1991 में 23वीं पंजाब बटालियन भारत-पाक युद्ध में 14 दिनों तक सक्रिय रही। बटालियन को जैसलमेर सेक्टर के अंतरराष्ट्रीय सीमा क्षेत्र से 16 किमी दूर स्थित साधेवाला व लोंगेवाला सीमा की जिम्मेदारी मिली थी। चार-पांच दिसंबर की रात पाकिस्तान ने अपना सबसे बड़ा हमला इसी ओर किया था। सीमा पर पैट्रोलिंग कर रहे कैप्टन धर्मवीर ने रात एक बजे दुश्मन के बड़े जत्थे के उस ओर बढ़ने की सूचना दी थी। ब्रिगेडियर चांदपुरी की अगुवाई में 120 सैनिकों ने पूरी अैंक रेजिमेंट को सुबह तक रोके रखा जिसे पौ फूटते ही वायु सेना ने ध्वस्त कर दिया।