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ओडीएफ कल की बातें, अब आगे की योजनाओं पर करें चर्चा Meerut News

2 अक्टूबर 2017 को ओडीएफ (खुले में शौचमुक्त) घोषित हुआ था मेरठ अब ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन विद्यालयों में शौचालय व इंसेनीरेटर की तैयारी।

By Taruna TayalEdited By: Published: Mon, 09 Mar 2020 11:30 AM (IST)Updated: Mon, 09 Mar 2020 11:30 AM (IST)
ओडीएफ कल की बातें, अब आगे की योजनाओं पर करें चर्चा Meerut News
ओडीएफ कल की बातें, अब आगे की योजनाओं पर करें चर्चा Meerut News

मेरठ, [अनुज शर्मा]। वास्तविक हालात भले ही अच्छे न हों, लेकिन 2 अक्टूबर 2017 को खुले में शौचमुक्त घोषित मेरठ जनपद के गांवों को अब ओडीएफ से आगे ले जाने की तैयारी में है। ओडीएफ को स्थायी कर ओडीएफ प्लस का प्रमाण-पत्र प्राप्त करने के लिए तमाम प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए गांव गांव में कूड़ा और सीवेज प्रबंधन की व्यवस्था की जा रही है। प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में छात्र और छात्रओं के लिए अलग-अलग शौचालय का निर्माण कराया जा रहा है। सेनेट्री पैड के निस्तारण के लिए इंसेनीरेटर स्थापित किए जा रहे हैं।

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ढाई साल पहले हो गए ओडीएफ

मेरठ जनपद में बेसलाइन सर्वे 2012 के मुताबिक मुताबिक 1,09,810 परिवार शौचालयविहीन मिले थे। 2 अक्टूबर 2014 से शुरू हुए स्वच्छ भारत मिशन में इन सभी परिवारों के घर में शौचालय निर्माण कराने के लिए प्रत्येक को 12 हजार रुपया अनुदान दिया गया। इस अभियान की मदद से तीन साल में ही 2 अक्टूबर 2017 को जनपद को खुले में शौचमुक्त (ओडीएफ) घोषित कर दिया गया। सरकारी दावा है कि इसके बाद छूटे परिवारों को तलाश कराया गया और शौचालय विहीन मिले 8408 परिवारों के मकानों में भी शौचालय निर्माण कराया गया।

अब ओडीएफ से आगे की बात

सरकारी दावा है कि ढाई साल पहले जनपद खुले में शौचमुक्त हो गया। वास्तविक हालात भले ही कुछ भी हों, लेकिन अधिकारी अब ओडीएफ प्लस प्रमाण-पत्र लेने की तैयारी में जुटे हैं। इसके लिए जनपद की समस्त 479 ग्राम पंचायतों (राजस्व गांव 601) में तमाम प्रयास किए जा रहे हैं। ओडीएफ को स्थाई बनाए रखने के लिए प्रत्येक गांव में ठोस एवं तरल (सीवेज) अपशिष्ट प्रबंधन की व्यवस्था की जा रही है। इसके लिए 597 कंपोस्ट पिट का निर्माण कराया जा रहा है। जिससे कूड़े से जैविक खाद बनाया जाएगा। सीवेज तथा हैंडपंप के व्यर्थ पानी को संरक्षित करने के लिए 1100 से अधिक सोकपिट का निर्माण कराया जा रहा है। प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में छात्र और छात्रओं के लिए अलग-अलग शौचालय का निर्माण कराया जा रहा है। मल्टीपल हैंडवाशिंग यूनिट स्थापित की जा रही हैं। आंगनबाड़ी केंद्रों पर बेबी फ्रेंडली शौचालय और हैंडवाशिंग यूनिट स्थापित की जा रही हैं। किशोरियों के लिए सरकारी विद्यालयों में शौचालय के पास ही इंसेनीरेटर स्थापित किए जा रहे हैं। जिससे सेनेट्री पैड का निस्तारण किया जाएगा। निश्शुल्क सेनेट्री पैड भी प्रदान किए जा रहे हैं।

अच्छे नहीं हैं हालात

गांव पंचायतों में भले ही ओडीएफ के दावे किये जा रहे हों, लेकिन वास्तविक हालात अच्छे

नहीं। बड़ी संख्या में शौचालय अधूरे पड़े हैं तथा बड़ी संख्या में ऐसे शौचालय हैं जिनका उपयोग स्टोर के रूप में किया जा रहा है। अभी भी खुले में शौच किया जा रहा है।

शौचालय निर्माण वर्षवार

वर्ष  शौचालय संख्या

2013-14 >>2826

2014-15 >>7830

2015-16 >>9665

2016-17 >>45,802

2017-18 >>43,687

कुल शौचालय >>1,09,810

ओडीएफ प्लस के लिए प्रयास

  • 597 कंपोस्ट पिट का निर्माण
  • सीवेज तथा हैंडपंप के व्यर्थ पानी को संरक्षित करने के लिए 1100 सोकपिट का निर्माण
  • प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में छात्र और छात्रओं के लिए अलग-अलग शौचालय।
  • विद्यालयों में मल्टीपल हैंडवाशिंग यूनिट
  • आंगनबाड़ी केंद्रों पर बेबी फ्रेंडली शौचालय और हैंडवाशिंग यूनिट
  • किशोरियों के लिए सरकारी विद्यालयों में इंसेनीरेटर
  • सेनेट्री पैड का निशुल्क वितरण

    इन्‍होंने बताया

    जनपद की ग्राम पंचायतों को अब ओडीएफ प्लस किया जा रहा है। तमाम प्रयास किये जा रहे हैं। जल्द गांवों में हालात अच्छे होंगे। पूर्व में बने शौचालयों की जांच कराई जाएगी। स्वच्छ भारत मिशन की राशि का दुरुपयोग करने वाले नहीं बच पाएंगे।

    - ईशा दुहन, मुख्य विकास अधिकारी


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