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मेरठ व्यापार संघ : संघ पदाधिकारियों के घमासान पर फिलहाल लगा सियासी ब्रेक Meerut News

मेरठ व्यापार संघ के दोनों गुटों ने 17 और 18 सितंबर को होने वाली बैठकों को टालकर साफ कर दिया है कि इस प्रकरण पर भगवा संगठन की पैनी नजर थी।

By Prem BhattEdited By: Published: Mon, 16 Sep 2019 08:58 AM (IST)Updated: Mon, 16 Sep 2019 08:58 AM (IST)
मेरठ व्यापार संघ : संघ पदाधिकारियों के घमासान पर फिलहाल लगा सियासी ब्रेक Meerut News
मेरठ व्यापार संघ : संघ पदाधिकारियों के घमासान पर फिलहाल लगा सियासी ब्रेक Meerut News

मेरठ, जेएनएन। व्यापार संघ की राजनीति में उबाल की हवा निकलती नजर आ रही है। भाजपा ने जहां दोनों गुटों को विवाद से दूर रहने नसीहत देकर उन्हें बैकफुट पर धकेल दिया, वहीं आगामी चुनावों में आम सहमति की पटकथा भी लिख दी। अरुण वशिष्ठ खेमा हवा का रुख भांपते हुए गियर बदल सकता है। रविवार को दोनों गुटों ने 17 और 18 सितंबर को होने वाली बैठकों को टालकर साफ कर दिया है कि इस प्रकरण पर भगवा संगठन की पैनी नजर थी।
फर्जी वोट और चंद जमा करने का था आरोप
संयुक्त व्यापार संघ के अध्यक्ष नवीन गुप्ता को लेकर गत दिनों अरुण वशिष्ठ पैनल ने प्रेस वार्ता कर फर्जी वोट बनवाने और चंदा जमा करने का आरोप मढ़ा था। दोनों गुटों ने एक दूसरे को बेनकाब करने के लिए अलग-अलग आम सभा की बैठकों को बुलाया था। इसमें से कई चेहरे भाजपा में अहम पदों पर काम कर रहे हैं। व्यापार संघ के चुनावों को देखते हुए सियासत गरमाने लगी। नवीन गुप्ता ने तीन साल तक अरुण वशिष्ठ पैनल को हाशिए पर रखा, वहीं वशिष्ठ का खेमा ज्यादातर भाजपा के कार्यों में व्यस्त नजर आया। तीन माह बाद चुनावों को देखते हुए दोनों गुट फिर से एक दूसरे पर गुलेलबाजी करने लगे।
संयुक्‍त रूप से प्रशासन पर बोला हमला
अरुण गुट ने तो नवीन गुट पर संगीन आरोप लगाते हुए व्यापार संघ की सफाई के लिए सियासी झाड़ू उठाने का एलान कर दिया। इसी बीच तेल प्रकरण ने नगर की राजनीति को और हवा दे दी। इसी बहाने अरुण और नवीन पैनल ने आपस में तालमेल बनाते हुए प्रशासन पर संयुक्त हमला बोला। उन्होंने प्रशासन पर आरोप मढ़ते हुए यहां तक कहा कि भाजपा समर्थित व्यापारियों को जानबूझकर निशाना बनाया जा रहा है। उधर, तीन साल तक बिखरी हुई व्यापार मंडल की राजनीति अचानक एक साथ आई तो शहर में नई बहस भी चल पड़ी।
एकता के पीछे राजनीतिक कारण
दोनों गुटों की एकता के पीछे कई राजनीतिक कारण हैं। अरुण वशिष्ठ भाजपा की क्षेत्रीय टीम में होने के साथ कई अन्य जिम्मेदारियां भी निभा रहे हैं। व्यापार संघ की राजनीति में वो लंबी पारी खेल चुके हैं, इधर, उन्हें अपने पुत्र के लिए भी सियासी मैदान बनाना है। उन्हें इसका भी अंदाजा है कि नवीन गुप्ता को वर्तमान परिस्थितियों में शिकस्त देना संभव नहीं है। पूर्व अध्यक्ष बिजेंद्र अग्रवाल भी व्यापारी राजनीति में लंबी पारी खेलकर अब भाजपा में गोते लगा रहे हैं।
सांसद और विधायक नवीन के साथ
माना जा रहा है कि सांसद राजेंद्र अग्रवाल कैंट व विधायक सत्यप्रकाश अग्रवाल खुलकर नवीन के साथ हैं। विधायक के करीबी नीरज मित्तल के साथ कई अन्य बार चेहरों के भी नवीन के साथ जाने की चर्चा है। अरुण वशिष्ठ गुट के कमल ठाकुर भी अध्यक्ष पद को लेकर महत्वाकांक्षा बुन सकते हैं, लेकिन व्यापार संघ में वैश्य एवं पंजाबी वोटों का दबदबा है। माना जा रहा है कि व्यापार संघ में घमासान को लेकर भाजपा असहज थी, इसीलिए सियासी ब्रेक लगाया गया है।

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