Meerut Sports Industry: बिजनेस का स्कोर खड़ा करेगी मेरठ की खेल इंडस्ट्री, क्रिकेट बल्लों का इंतजार कर रहा आस्ट्रेलिया
लॉकडाउन के दौर में जहां दुनिया भर में खेल के मैदानों पर भयावह खामोशी छाई हुई है वहीं आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में क्रिकेट स्टेडियमों में चहल पहल तेज होने लगी है।
मेरठ, [संतोष शुक्ल]। Meerut sports industry लॉकडाउन के दौर में जहां दुनिया भर में खेल के मैदानों पर भयावह खामोशी छाई हुई है, वहीं आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में क्रिकेट स्टेडियमों में चहल पहल तेज होने लगी है। किंतु इसके लिए मेरठ से बड़े पैमाने पर बैट, पैड, ग्लब्स, हेल्मेट एवं गेंदों के पहुंचने की प्रतीक्षा की जा रही है। मेरठ के पास आस्ट्रेलिया से बड़े पैमाने पर आर्डर मिला है, जिसके लिए कंगारुओं ने अपना क्रिकेट कैलेंडर भी एक माह पीछे कर लिया है। भयावह मंदी के बीच उद्यमियों के लिए यह बड़ा अवसर है। उनका कहना है कि अगर जून के पहले सप्ताह में इंडस्ट्री नहीं चली, तो विदेशी आर्डर निरस्त होने से बड़ा आर्थिक झटका लगेगा, जिससे सालभर उबरना संभव नहीं होगा।
आर्डर के लिए माह भर इंतजार करेंगे कंगारू
कोरोना की महामारी ने ओलंपिक से लेकर टी-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप और आइपीएल समेत सभी बड़ी खेल स्पर्धाओं को निगल लिया। मेरठ की क्रिकेट कारोबार वाली इकाइयां ढाई माह से ठप पड़ी हैं। कोरोना से पहले इकाइयों के पास घरेलू और विदेशी बाजार के लिए बड़ा आर्डर था। 29 मार्च से आइपीएल शुरू होकर मध्य मई तक, जबकि विश्व कप अक्टूबर में निर्धारित था। किंतु कोराना की वजह से कंपनियों में उत्पादन बंद करना पड़ा। भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश व इंग्लैंड में महामारी ने देश को पूरी तरह रोक दिया। अब दक्षिण अफ्रीका में भी वायरस ने असर दिखाना शुरू कर दिया है। इन देशों मेरठ की क्रिकेट इकाइयों को बड़ा बिजनेस मिलता है, जो पूरी तरह बंद हो गया। आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड कोरोना से काफी हद तक उबरकर क्रिकेट ट्रेनिंग केंद्रों का संचालन करने लगे हैं। मेरठ रेड जोन में है, इसीलिए इकाइयों में बल्लों एवं अन्य उपकरणों का उत्पादन नहीं हो पाया। मेरठ के बल्लों का आस्ट्रेलिया एक माह का इंतजार करेगा।
इंग्लैंड का विलो मुंबई में अटका
विश्वस्तरीय टूर्नामेंटों के लिए मेरठ की कंपनियां इंग्लिश विलो से बल्ले बनाती हैं, जिसे इंग्लैंड से आयात किया जाता है। विलो से भरे कंटेनर मुंबई बंदरगाहर पर अटके हुए हैं, जहां अनिश्चितता का बादल छाया हुआ है। कस्टम के कई अधिकारियों को कोरोना हो गया है, जिससे पूरा परिसर सील कर दिया गया। यहां से विलो मुंबई से ट्रक से मेरठ पहुंचना था, जिसकी कोई सूरत नजर नहीं आ रही है। उधर, आस्ट्रेलिया में अगस्त से टूर्नामेंट शुरू हो जाएगा। अगर मेरठ आपूíत नहीं कर पाया तो बड़ा अवसर हाथ से फिसलेगा।
इनका कहना है
आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड व दक्षिण अफ्रीका के आर्डर पूर करना बेहद जरूरी है। वहां से एक माह का वक्त मिला है। मंदी के बीच मेरठ की इंडस्ट्री के लिए बड़ी उम्मीद है। कंपनी में उत्पादन शुरू कर दिया गया है, किंतु घरेलू बाजार में सन्नाटा रहेगा। हालांकि विदेशों से मिलने वाले बिजनेस में भी भारी गिरावट है।
- पारस आनंद, मार्केटिंग डायरेक्टर, एसजी
हमारी इंडस्ट्री शहर के बीच आने से कंटेनमेंट जोन में है। प्रशासन से अपील है कि लाकडाउन में उद्योग चलाने की अनुमित मिले, अन्यथा कारोबार खत्म हो जाएगा। आस्ट्रेलिया से बिजनेस का बड़ा मौका मिला है, किंतु इंग्लिश विलो मुंबई बंदरगाह पर फंसी है।
- अनिल सरीन, निदेशक, एसएफ
पीक सीजन में 70 दिनों से इंडस्ट्री बंद करनी पड़ी है, और इसी दौरान बड़ी स्पर्धाओं के लिए सामान बनाकर भेजना था। किंतु टूर्नामेंट रद्द करना पड़ा। इंडस्ट्री पर कम से कम छह माह तक भयावह मंदी रहेगी। विदेशों से मिले आर्डर जहां के तहां फंस गए। श्रमिक उपलब्ध हैं, बस प्रशासन अब इकाई चलाने का मौका दे तो बेहतर होगा।
- जतिन सरीन, निदेशक एसएस