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    आखिर किफायती मकान की लिमिट कितनी हो... क्या 45 से 70 लाख!

    By Pradeep Diwedi Edited By: Praveen Vashishtha
    Updated: Wed, 12 Nov 2025 04:59 PM (IST)

    किफायती मकान की सीमा 45 लाख से बढ़ाकर 70 लाख करने पर विचार चल रहा है। रियल एस्टेट डेवलपर्स और अर्थशास्त्रियों का मानना है कि बढ़ती लागत को देखते हुए यह जरूरी है। इससे अधिक लोग किफायती मकान खरीद सकेंगे, लेकिन कुछ लोगों को मकानों की कीमतें बढ़ने का डर है। सरकार को सभी पहलुओं पर विचार करके निर्णय लेना होगा।

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    रियल एस्टेट(प्रतीकात्मक फोटो)

    जागरण संवाददाता, मेरठ। एनसीआर का नया हृदय स्थल बनने की ओर अग्रसर मेरठ में रियल एस्टेट क्षेत्र नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ चला है। दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे के शुरू होने के बाद देश की पहली रीजनल रैपिड रेल भी जुड़ने को लेकर आबादी का रुख मेरठ की तरफ बढ़ रहा है। इन परियोजनाओं से भूमि की कीमत में उछाल आया है। दूसरे शहरों के बिल्डर भी मेरठ रुख कर चुके हैं।

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    आयकर श्रेणी में बदलाव व जीएसटी दरों में कमी के बाद अभी भी मध्यमवर्गीय परिवार के लिए अपना प्लाट खरीदकर घर बनाना सपने जैसा है। नई परियोजनाओं के कारण संपत्ति की कीमत बढ़ी है। ऐसे में किफायती मकान की सीमा को 45 लाख से बढ़ाकर 70 लाख रुपये करनी चाहिए। उस पर सब्सिडी फिर से शुरू की जानी चाहिए। स्टांप ड्यूटी और जीएसटी एक साथ नहीं लेना चाहिए। इनमें छूट देकर भी हर व्यक्ति को छत उपलब्ध कराने के लक्ष्य की तरफ बढ़ा सकता है।

    सरकार को चाहिए जिस तरह से प्रधानमंत्री आवास योजना के माध्यम से दुर्बल आय वर्ग के लोगों की आवास की आवश्यकता पूर्ण हो रही है, उसी तरह से मध्यमवर्गीय परिवारों की आवश्यकता को देखते हुए योजना लाई जाए क्योंकि देश की अधिकांश आबादी मध्यमवर्गीय है। व्यवसायी चाहते हैं कि रियल एस्टेट को उद्योग का दर्जा मिले, ताकि खरीदार पर लागत का बोझ न डाला जाए। यही नहीं इससे विकसित भारत के लक्ष्य में भी सहयोग मिलेगा।

    केंद्र सरकार से प्रमुख मांगें
    -प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत मध्यम वर्गीय परिवारों के लिए सब्सिडी योजना लागू हो।
    -औद्योगिक पार्क को रियल एस्टेट से अलग करके उद्योग में शामिल किया जाए।
    -रियल एस्टेट विकासकर्ताओं को भी बैंक से सस्ता ऋण दिलाया जाए। बैंकों में इसे सूचीबद्ध कराते हुए निर्देश जारी हो।

    -रियल एस्टेट को उद्योग का दर्जा दिया जाए क्योंकि यह रोजगार का बड़ा क्षेत्र है।
    -उद्योग का दर्जा मिलने से केंद्र व प्रदेश सरकार से मिलने वाली कई सब्सिडी व जमीन खरीद में विकासकर्ताओं को लाभ मिलेगा जिससे खरीदार पर लागत का भार कम हो जाएगा।
    -सभी को आवास देने के अभियान के तहत पांच साल तक आय कर से मुक्त किया जाए।

    -45 लाख रुपये तक के मकान को किफायती मकान माना जाता है, इसके लिए सरकार छूट देती है। महंगाई बढ़ चुकी है इसलिए अब 70 लाख रुपये तक के मकान को किफायती श्रेणी में रखना चाहिए। इस पर मिलने वाली तीन लाख रुपये की सब्सिडी रोक दी गई थी, जिसे शुरू करना चाहिए।

    राज्य सरकार से ये हैं मांगें
    -किरायानामा से संबंधित छूट की घोषणा की गई है, इसके तहत अब अधिकतम ढाई हजार रुपये शुल्क जमा करके तैयार किया जा सकेगा। इसकी अधिसूचना जल्द जारी की जाए।
    -राज्य सरकार आठ प्रतिशत स्टांप शुल्क लेती है और 12 प्रतिशत जीएसटी भी। प्राधिकरणों का शुल्क अलग से है। इससे प्लाट और मकान महंगे पड़ते हैं। या तो स्टांप शुल्क में छूट दी जाए या स्टेट जीएसटी में। जीएसटी पांच प्रतिशत करनी चाहिए।

    -अवैध कालोनी विकसित होने से रोकने को प्रवर्तन कार्रवाई तेज और कड़ी की जाए।
    -कालोनियों के लेआउट स्वीकृत कराने के लिए प्राधिकरण को निर्देशित करके शुल्क घटाया जाए, क्योंकि भारी भरकम शुल्क होने व तमाम शर्तों के कारण अवैध कालोनियां बढ़ रही हैं।

    ये भी हैं मांगे..
    राज्य सरकार आठ प्रतिशत स्टांप शुल्क लेती है और 12 प्रतिशत जीएसटी भी। प्राधिकरणों का शुल्क अलग से है। इससे प्लाट और मकान महंगे पड़ते हैं। स्टांप शुल्क में छूट देने के साथ ही जीएसटी पांच प्रतिशत तक करनी चाहिए। 45 लाख तक के मकान खरीदने पर तीन लाख की सब्सिडी मिलती थी उसे फिर शुरू किया जाए।-अतुल गुप्ता, चेयरमैन एपेक्स ग्रुप आफ कंपनीज

    ऋण देने वाली सूची में रियल एस्टेट को शामिल कर रियल एस्टेट विकासकर्ताओं को भी बैंक से ऋण दिलाया जाए। रियल एस्टेट को उद्योग का दर्जा दिया जाए। औद्योगिक पार्क को रियल एस्टेट से अलग कर उद्योग में शामिल करें। किरायानामा से संबंधित घोषणा की अधिसूचना जल्द प्रकाशित की जाए।-कमल ठाकुर, महामंत्री, मेरठ रियल एस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशन


    रेरा के नियमों को सरल बनाया जाए। इसके उलझे हुए नियमों के कारण विकासकर्ता कालोनियों का मानचित्र स्वीकृत कराने के बजाय अवैध कालोनी विकसित कर रहे हैं। गृह ऋण पर ब्याज दर कम करें। यदि सरकार पांच साल तक आयकर में पूरी तरह छूट दे तो मकान व प्लाट की कीमतों में कमी आएगी।-वरुण अग्रवाल, प्रबंध निदेशक, एडको डेवलपर्स प्रा. लि.

    45 लाख रुपये तक के मकान को किफायती मकान माना जाता है, इसके लिए सरकार छूट देती है। महंगाई बढ़ चुकी है इसलिए अब 70 लाख रुपये तक के मकान को किफायती श्रेणी में रखना चाहिए। स्टांप ड्यूटी को कम करना चाहिए।-अशोक गर्ग, अध्यक्ष, मेरठ रियल एस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशन