लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटी मेरठ पुलिस, बनाया ऐसा प्लान
2019 लोकसभा चुनाव के लिए मेरठ पुलिस ने तैयारी शुरू कर दी है। पुलिस की तरफ से प्लान तैयार किया गया। एक बूथ-एक आरक्षी अभियान शुरू किया गया है।
By Ashu SinghEdited By: Published: Tue, 22 Jan 2019 02:03 PM (IST)Updated: Tue, 22 Jan 2019 02:03 PM (IST)
मेरठ, जेएनएन। 2019 लोकसभा चुनाव की सरगर्मी जहां राजनीति के गलियारे में शुरू हो चुकी है, वहीं पुलिस-प्रशासन ने भी इसके लिए कमर कसनी शुरू कर दी है। पार्टियों की तर्ज पर पुलिस ने भी बूथ लेवल पर काम करने की योजना तैयार की है। इसी के तहत जिले में पहली बार एक बूथ-एक आरक्षी अभियान शुरू किया गया है। एक बूथ पर एक सिपाही को लगाया जाएगा, जो बूथ संबंधी हर जानकारी बीट बुक में दर्ज करेगा।
सिपाही को सौंपी जिम्मेदारी
पुलिस अधिकारियों के मुताबिक चुनाव के दौरान गांव, कस्बा या शहर के बारे में जानकारी जुटाने का काम पुलिस-प्रशासन पहले से करता आ रहा है। लेकिन पूर्व में जानकारी जुटाने की जिम्मेदारी हल्का इंचार्ज, चौकी इंचार्ज या थाना इंचार्ज की होती थी। जानकारी जुटाने के कार्य को इस बार छोटे स्तर से शुरू किया गया है। एक सिपाही को अपनी बीट के बारे में हर जानकारी रहती है, लिहाजा बूथ की जानकारी जुटाने का जिम्मा सिपाही को दिया गया है।
एसपी क्राइम का फार्मूला है यह अभियान
बताते चलें कि एक बूथ-एक आरक्षी अभियान वरिष्ठ पीपीएस अधिकारी डा. बीपी अशोक का फार्मूला है। इसे उन्होंने सबसे पहले रामपुर में लागू किया था। इसके बाद लखनऊ व आगरा में भी चुनाव के दौरान इस अभियान को चलाया गया। जिसके सकारात्मक परिणाम मिले थे। वर्तमान में एसपी क्राइम होने के नाते उन्होंने मेरठ में भी उक्त अभियान चलाने का प्रस्ताव रखा, जिसे अधिकारियों ने हरी झंडी दे दी। एसपी क्राइम ने एक सप्ताह पहले सारा प्रोफार्मा तैयार कर दे दिया था।
यह होते हैं फायदे
एसपी क्राइम ने बताया कि एक बूथ-एक आरक्षी अभियान के बेहतर परिणाम सामने आते हैं। सिपाही बीट में जाकर सूचना एकत्र करता है तो असामाजिक व उपद्रवी किस्म के व्यक्ति भूमिगत हो जाते हैं। उन्हें डर रहता है कि उनकी कुंडली खंगाली जा रही है। इसके अलावा किसी बूथ का रास्ता या भवन जर्जर होता है तो संबंधित विभागों को उसकी जानकारी दी जाती है। सबसे बड़ी उपलब्धि यह होती है कि बूथ लेवल पर छोटी से छोटी जानकारी से पुलिस अपडेट रहती है।
इन 21 बिंदुओं पर जुटाई जाएगी जानकारी
सिपाही खुद को आवंटित बूथ के संबंध में 21 बिंदुओं पर जानकारी जुटाएगा। प्रोफार्मा में मतदान केंद्र, उसके मार्ग, भवन की स्थिति, संवेदनशीलता, पोलिंग बूथ पर पड़ने वाले गांव-मोहल्लों की सूची, वोटरों की संख्या, जातीय अनुपात, पूर्व में प्रकाश में आई रंजिश व उन पर की गई कार्रवाई का विवरण, राजनीतिक मुकदमों, बूथ की भौतिक स्थिति, प्रार्थना पत्रों के निस्तारण की स्थिति, वांछित व इनामी अपराधियों की स्थिति, हिस्ट्रीशीटर, लाइसेंसधारक, एसपीओ व सिविल डिफेंस के नाम, पेंशनर्स के नाम, गुंडा एक्ट, गैंगस्टर, आर्म्स एक्ट की कार्रवाई, एससी-एसटी एक्ट के लंबित प्रकरणों की स्थिति, परंपरागत व शरारती पोलिंग एजेंटों की जानकारी, मुख्य राजनीतिक उम्मीदवार व कार्यकर्ताओं के नाम तथा मतदान केंद्र के नक्शे की जानकारी दर्ज करनी होगी।
इनका कहना है
जिले में एक बूथ-एक आरक्षी अभियान शुरू किया गया है। सिपाही अपने बूथ के बारे में सारी जानकारी जुटाकर बीट बुक में दर्ज करेगा। एक सप्ताह में यह कार्य पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं।
-अखिलेश कुमार, डीआइजी
सिपाही को सौंपी जिम्मेदारी
पुलिस अधिकारियों के मुताबिक चुनाव के दौरान गांव, कस्बा या शहर के बारे में जानकारी जुटाने का काम पुलिस-प्रशासन पहले से करता आ रहा है। लेकिन पूर्व में जानकारी जुटाने की जिम्मेदारी हल्का इंचार्ज, चौकी इंचार्ज या थाना इंचार्ज की होती थी। जानकारी जुटाने के कार्य को इस बार छोटे स्तर से शुरू किया गया है। एक सिपाही को अपनी बीट के बारे में हर जानकारी रहती है, लिहाजा बूथ की जानकारी जुटाने का जिम्मा सिपाही को दिया गया है।
एसपी क्राइम का फार्मूला है यह अभियान
बताते चलें कि एक बूथ-एक आरक्षी अभियान वरिष्ठ पीपीएस अधिकारी डा. बीपी अशोक का फार्मूला है। इसे उन्होंने सबसे पहले रामपुर में लागू किया था। इसके बाद लखनऊ व आगरा में भी चुनाव के दौरान इस अभियान को चलाया गया। जिसके सकारात्मक परिणाम मिले थे। वर्तमान में एसपी क्राइम होने के नाते उन्होंने मेरठ में भी उक्त अभियान चलाने का प्रस्ताव रखा, जिसे अधिकारियों ने हरी झंडी दे दी। एसपी क्राइम ने एक सप्ताह पहले सारा प्रोफार्मा तैयार कर दे दिया था।
यह होते हैं फायदे
एसपी क्राइम ने बताया कि एक बूथ-एक आरक्षी अभियान के बेहतर परिणाम सामने आते हैं। सिपाही बीट में जाकर सूचना एकत्र करता है तो असामाजिक व उपद्रवी किस्म के व्यक्ति भूमिगत हो जाते हैं। उन्हें डर रहता है कि उनकी कुंडली खंगाली जा रही है। इसके अलावा किसी बूथ का रास्ता या भवन जर्जर होता है तो संबंधित विभागों को उसकी जानकारी दी जाती है। सबसे बड़ी उपलब्धि यह होती है कि बूथ लेवल पर छोटी से छोटी जानकारी से पुलिस अपडेट रहती है।
इन 21 बिंदुओं पर जुटाई जाएगी जानकारी
सिपाही खुद को आवंटित बूथ के संबंध में 21 बिंदुओं पर जानकारी जुटाएगा। प्रोफार्मा में मतदान केंद्र, उसके मार्ग, भवन की स्थिति, संवेदनशीलता, पोलिंग बूथ पर पड़ने वाले गांव-मोहल्लों की सूची, वोटरों की संख्या, जातीय अनुपात, पूर्व में प्रकाश में आई रंजिश व उन पर की गई कार्रवाई का विवरण, राजनीतिक मुकदमों, बूथ की भौतिक स्थिति, प्रार्थना पत्रों के निस्तारण की स्थिति, वांछित व इनामी अपराधियों की स्थिति, हिस्ट्रीशीटर, लाइसेंसधारक, एसपीओ व सिविल डिफेंस के नाम, पेंशनर्स के नाम, गुंडा एक्ट, गैंगस्टर, आर्म्स एक्ट की कार्रवाई, एससी-एसटी एक्ट के लंबित प्रकरणों की स्थिति, परंपरागत व शरारती पोलिंग एजेंटों की जानकारी, मुख्य राजनीतिक उम्मीदवार व कार्यकर्ताओं के नाम तथा मतदान केंद्र के नक्शे की जानकारी दर्ज करनी होगी।
इनका कहना है
जिले में एक बूथ-एक आरक्षी अभियान शुरू किया गया है। सिपाही अपने बूथ के बारे में सारी जानकारी जुटाकर बीट बुक में दर्ज करेगा। एक सप्ताह में यह कार्य पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं।
-अखिलेश कुमार, डीआइजी
Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें