Hariom Anand Suicide Case: आठ साल से डिप्रेशन की दवा ले रहे थे आनंद अस्पताल के मालिक हरिओम आनंद Meerut News
आनंद अस्पताल के मालिक हरिओम आनंद लंबे समय से मानसिक तनाव में चल रहे थे। वे करीब आठ साल से अपने अस्पताल के एक न्यूरोसाइकेटिस्ट से इलाज ले रहे थे।
मेरठ, जेएनएन। आनंद अस्पताल के मालिक हरिओम आनंद लंबे समय से मानसिक तनाव में चल रहे थे। वे करीब आठ साल से अपने अस्पताल के एक न्यूरोसाइकेटिस्ट से इलाज ले रहे थे। कई अन्य डाक्टरों के पास भी गए थे। पिछले साल घर पर ही सीढ़ी से कूदकर आत्महत्या का प्रयास किया था। आरोप है कि आर्थिक दबाव बढ़ने, डाक्टरों के अस्पताल से हटने और शेयरधारकों की घेराबंदी से और परेशान रहने लगे थे। शनिवार को वे अकेले ही फार्म हाउस चले गए थे।
बाजार से ऊंची ब्याज दरों पर पैसा
हरिओम आनंद सुभारती से अलग होने के बाद तनावग्रस्त रहने लगे थे। बताते हैं कि करीब आठ साल पहले से उन्होंने बैंक की बजाय बाजार से ऊंची ब्याज दरों पर पैसा उठाया, जो बढ़ता चला गया। इधर, आनंद अस्पताल के 23 डाक्टरों ने पैसा न मिलने पर हरिओम के खिलाफ एनसीएलटी यानी नेशनल कंपनी लॉ टिब्यूनल में चले गए। बाद में पांच डाक्टरों ने अपना केस वापस ले लिया। खुद मेडिकल फील्ड से ताल्लुक रखने वाले हरिओम ने अपने अस्पताल के न्यूरोसाइकेटिस्ट से लंबे समय तक इलाज कराया।
साढ़े तीन सौ करोड़ से ज्यादा का कर्ज
बाद में वो डाक्टर भी अस्पताल छोड़कर चले गए। इधर, डाक्टरों के अलग होने के साथ ही उन पर हस्ताक्षर में बदलाव का भी दबाव बनाया गया और हरिओम आनंद मालिकाना हक पूरी तरह हाथ से जाने नहीं देना चाहते थे। उन पर साढ़े तीन सौ करोड़ से ज्यादा का कर्ज बताया जा रहा है। इस चिंता में वो और अवसादग्रस्त होते चले गए। मानसिक रोग विशेषज्ञों का कहना है कि डिप्रेशन का मरीज गंभीर अवस्था में आत्महत्या नहीं करता है। बीच में दवा छोड़ने और फिर शुरू करने के दौरान रिस्क ज्यादा होता है।
इनका कहना है
एंजायटी का मरीज आत्महत्या नहीं करता। सिर्फ डिप्रेशन में ही मरीज ऐसे कदम उठाएगा। खासकर, जब दवा शुरू होने के बाद शरीर में हरकत बढ़ती है और वो थोड़ा ठीक होने लगता है, तब आत्महत्या का खतरा ज्यादा है। संभव है कि हरिओम आनंद की दवा बंद होकर फिर शुरू की गई हो। अगर कोई व्यक्ति पहले आत्महत्या का प्रयास कर चुका है तो दवा के साथ 15 दिन तक गहन निगरानी रखनी चाहिए। ऐसे मरीज को अकेला नहीं छोड़ना चाहिए।
- डा. सत्यप्रकाश, न्यूरोसाइकेटिस्ट