मेरठ, जागरण संवाददाता। PNG In Meerut एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण को नियंत्रण करने के लिए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने जो नए प्रावधान लागू किए हैं, उसको लेकर उद्यमियों ने आंदोलन की राह पकड़ ली है। उद्योगों को पीएनजी में शिफ्ट करने के साथ ही डीजल जेनरेटरों पर पाबंदी का कानून एक अक्टूबर से लागू होना है, ऐसे में नया सेटअप तैयार करना उद्यमियों के लिए आसान नहीं है।

30 सितंबर तक का दिया है समय

आइआइए के मुताबिक एनसीआर में साढ़े चार लाख उद्योग हैं और उन्हें पीएनजी में शिफ्ट करने के लिए करीब 45 हजार करोड़ का खर्च करना पड़ेगा। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने एनसीआर के उद्योगों को पीएनजी में शिफ्ट करने के लिए 30 सितंबर तक का समय दिया है। डीजल जनरेटरों को भी बंद करने के लिए कहा है।

पीएनजी तो उपलब्‍ध ही नहीं

प्रदूषण मुक्त जनरेटर ही उद्योगों में चलाए जा सकेंगे। एक अक्टूबर से नए नियम लागू किए जाने हैं। पीएनजी की बात करें तो पूरे औद्योगिक क्षेत्र में इसकी उपलब्धता ही नहीं है। अभी तक महज तीन-चार कनेक्शन ही पीएनजी के जारी हुए हैं। जिन उद्योगों ने कनेक्शन लिए हैं, उनमें गैस के प्रेशर की दिक्कत आ रही है। उद्यमी इसको लेकर खासे परेशान हैं।

कम से कम दो साल का लगेगा समय

आइआइए से जुड़े उद्यमी संजीव गुप्ता का कहना है कि एनसीआर में साढ़े चार लाख उद्योगों की मशीनरी को पीएनजी में शिफ्ट करने में बहुत मोटे बजट के साथ ही कम से कम एक से दो साल का समय भी लगेगा। उद्यमियों का कहना है कि अभी तक यहां कोई पाइप लाइन तक तैयार नहीं है। मूलभूत सुविधाएं तक उद्यमियों को नहीं मिल पा रही हैं और अब उन पर पीएनजी इस्तेमाल करने का दबाव डाला जा रहा है।

प्रोडक्‍टर भी हो जाएगा महंगा

अगर नए प्रावधानों को जल्दबाजी में तैयार किया गया तो उद्योगों को बंद करना पड़ सकता है। उद्यमियों का कहना है कि पीएनजी सेटअप लगाना इतना आसान नहीं है। आज के समय में उद्यमियों को मूलभूत सुविधाएं तो मिल नहीं रही हैं। पीएनजी लगाने से उत्पाद की लागत चार गुणा बढ़ जाएगी, प्रोडक्ट महंगा हो जाएगा।

यह भी है उद्यमियों की शिकायत

उद्यमियों की शिकायत है कि सीएक्यूआई के नए प्रावधान लागू होने से उद्यमियों का शोषण बढ़ेगा। अभी तक एक फैक्ट्री शुरू करने के लिए नगर निगम, फायर विभाग, प्रदूषण समेत तमाम विभागों से प्रमाण पत्र लेना होता है। पहले उद्यमी फैक्ट्री लगाने के लिए परेशान होता है और फिर बाद में उसे चलाने के लिए भी कई समस्याओं से जूझना पड़ता है। उद्यमियों का कहना है कि अगर यही हालात रहे तो एक दिन फैक्ट्रियों पर ताले पड़ जाएंगे।

इन पर लागू नहीं होगी पाबंदी

वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने चिकित्सा सेवाएं, रेलवे सेवा, मेट्रो रेल सेवाएं, हवाई अड्डे, अंतरराष्ट्रीय बस टर्मिनल, सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट, राष्ट्रीय सुरक्षा, रक्षा संबंधी गतिविधियां, ट्रांसपोर्ट और पावर हाउस को डीजल के जनरेटर चलाए जाने की छूट दी है। आदेशों में अभी यह स्पष्ट रूप से उल्लेखित नहीं है कि नए प्रावधान में निजी दुकान अथवा मकानों में लगे जनरेटर इस कानून की परिधि में आएंगे या नहीं।

इनका कहना है

वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने नई गाइड लाइन तय की है। कानून किन-किन पर लागू होगा, इसका अध्ययन किया जा रहा है। इसको लेकर आइआइए से जुड़े उद्यमी मिले थे, उनका पक्ष सीएक्यूएम के समक्ष रखने का आश्वासन दिया गया है। जो भी नियम है वह मेरठ ही नहीं, बल्कि पूरे एनसीआर के लिए है।

- दीपक मीणा, जिलाधिकारी

सीएक्यूएम का नया कानून एसी में बैठकर बना है। यह बिल्कुल भी व्यवहारिक नहीं है। मेरठ में बिजली आपूर्ति नियमित नहीं है। मैं अपनी ही इकाई की बात करुं तो बिजली आपूर्ति ठप होने पर मशीन बंद हो जाती है। दोंबारा चलाने पर नुकसान होता है। उद्यमियों को यह कानून कतई मंजूर नहीं है, इसका विरोध करते रहेंगे।

- सुमनेश अग्रवाल, अध्यक्ष आइआइए

उद्योग पीएनजी में कैसे शिफ्ट होंगे, जब जिले में इसकी उपलब्धता ही नहीं है। अभी तक संपूर्ण औद्योगिक क्षेत्र में पीएनजी की लाइन ही नहीं पहुंची है। दूसरा पीएनजी चलित जनरेटर भी अभी उपलब्ध नहीं हैं। कानून उचित नहीं है।

- अनुराज अग्रवाल, मंडलीय अध्यक्ष आइआइए

शुगर मिलों और पेपर मिलों को कोयला इस्तेमाल करने की छूट दी गई है, लेकिन छोटे उद्यमियों को परेशान किया जा रहा है। एक्यूआई दिल्ली का मापा जाता है और इंडस्ट्री मुजफ्फरनगर-मेरठ में बंद कराई जाती हैं।

- अतुल भूषण, केंद्रीय कार्यकारिणी सदस्य आइआइए

सीएक्यूएम उद्योगों को साढ़े 23 घंटे बिजली आपूर्ति करने के लिए कहता है। जब इतनी बिजली मिलेगी, तो जनरेटर चलाने की कोई आवश्यकता नहीं होगी। बिजली आपूर्ति बढ़ाई जाए, उद्योगों पर अनावश्यक भार न बढ़ाया जाए।

- संजीव गुप्ता, आंदोलन संयोजक आइआइए

सभी कानून उद्योगों पर ही थोपे जाते हैं। क्या सीएक्यूएम का आदेश पुलिस प्रशासन के दफ्तरों पर भी लागू होगा। उद्योगों में इस्तेमाल हो रहे जनरेटर लेटेस्ट टेक्नोलॉजी के कैनोपी से लैस हैं, जिससे नाममात्र का धुआं और आवाज निकलती है।

- अमित बंसल, ज्वाइंट सेक्रेट्री, पीमा 

Edited By: PREM DUTT BHATT