मेरठ में 'काका' को नजर आया 30 साल पुराना सूरत
पूर्व कमिश्नर आलोक सिन्हा के बुलावे पर सूरत के स्वच्छता ब्रांड एंबेसडर गोविंद ढोलकिया पांच साथियों के साथ मेरठ आए हैं। उन्होंने कहा कि मेरठ भी सूरत जैसा स्वच्छ बन सकता है।
मेरठ। अरे भाई! ये मेरठ तो बहुत गंदा है। यहां कूड़ा फैला पड़ा है। ऐसा तो 30 साल पहले सूरत होता था। कभी सूरत भी गंदा था, वो बदल गया तो मेरठ को भी बदलना होगा। इसके लिए जनता को अपनी सोच बदलनी होगी, अहम छोड़ना होगा।
ये बातें शनिवार शाम को सर्किट हाउस में सूरत के स्वच्छता ब्रांड एंबेसडर गोविंद भाई ढोलकिया उर्फ काका ने दैनिक जागरण से बातचीत में कही। अपर मुख्य सचिव वाणिज्य कर व मेरठ के पूर्व मंडलायुक्त आलोक सिन्हा के बुलावे पर वे यहां अपने पांच साथियों के साथ स्वच्छता की अलख जगाने आये हैं। रविवार सुबह स्वच्छता दौड़ और स्वच्छता अभियान में शामिल होंगे। सूरत के निवासी काका मूल रूप से हीरे के बड़े व्यापारी हैं। 54 साल में उनकी कंपनी 6000 करोड़ की हो गई है। उन्होंने बताया कि वर्ष 1990 में सूरत की गंदी सड़कों को देखकर वे मचल उठे। साथी हीरा व्यापारी पुरुषोत्तम भाई खड़ेला 'दास मामा' के साथ मिलकर उन्होंने वेलकम क्लीयरिटी क्लब स्थापित किया और साप्ताहिक स्वच्छता अभियान शुरू किया। सबसे पहले अभियान में वे मात्र चार लोग थे लेकिन कुछ दिन में ही उनके क्लब के 250 सदस्य हो गये। कूड़ा उठाने के लिए पांच ट्रक भी ले लिये। सफाई के बाद लोगों को समझाते थे। 1995 में तैनात हुए नगर आयुक्त एसआर राव ने अभियान को गति दी और शहर का कायाकल्प कर दिया। 1999 तक सफाई के क्षेत्र में सूरत देश के लिए उदाहरण बन गया। साप्ताहिक अभियान में कूड़ा मिलना भी बंद हो गया। काका ने बताया कि वर्ष 2006 में बारिश से भारी जलभराव ने शहर को उजाड़ दिया। उसे संवारने में क्लब ने उल्लेखनीय काम किया। उन्होंने कहा कि मेरठ में प्रकृति ने बहुत कुछ दिया है। सूरत की भांति मेरठ भी साफ हो सकता है लेकिन यहां के लोगों को बदलना होगा। उन्हें अपनी ईगो (अहम) खत्म करनी होगी। उनके साथ पुरुषोत्तम भाई खड़ेला, सीए अरविंद सोनी, डा. परेश पटेल, वल्लभ भाई व भावेश भाई लाठिया समेत पांच लोग भी सूरत से आये हैं।