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Meerut Lockdown Day 4 : स्‍कूली ज्ञान की बजाय छात्रों के कौशल विकास का यह सुनहरा अवसर, इस तरह उठाएं अवसर का लाभ

Meerut Lockdown Day 4 पूरे भारत में लॉकडाउन का समय चल रहा है। ऐसे में सीबीएसई के सचिव अनुराग त्रिपाठी का कहना है कि छात्रों को इस समय को सुनहरे अवसर के रूप में लेना चाहिए।

By Taruna TayalEdited By: Published: Sat, 28 Mar 2020 12:17 PM (IST)Updated: Sat, 28 Mar 2020 12:17 PM (IST)
Meerut Lockdown Day 4 : स्‍कूली ज्ञान की बजाय छात्रों के कौशल विकास का यह सुनहरा अवसर, इस तरह उठाएं अवसर का लाभ
Meerut Lockdown Day 4 : स्‍कूली ज्ञान की बजाय छात्रों के कौशल विकास का यह सुनहरा अवसर, इस तरह उठाएं अवसर का लाभ

मेरठ, जेएनएन। ‘सा विद्या या विमुथ्तये’, विद्या वह है जो मुक्ति प्रदान करे। विद्या वह है जो ज्ञान, मूल्यों व कौशल का रसपान करा सके। जो शील, स्वास्थ्य, संयम, विवेक, विनय, श्रद्धा, उत्साह, वीरत्व, सेवा, सहयोग का भाव लगा सके। उन्हीं शब्दों के साथ सीबीएसई के सचिव अनुराग त्रिपाठी ने ‘लॉकडाउन’ को शिक्षा के लिए एक सुनहरा अवसर बताते हुए इस दौर में शिक्षकों को अगली ‘गेम चेंजर’ बताया है।

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प्राचीन शिक्षा का स्‍तर

अनुराग त्रिपाठी के अनुसार प्राचीन काल में शिक्षा तोता-रटंत की बजाय प्रत्यक्ष प्रमाण, अनुभव, क्रिया एवं सीख के माध्यम से होती थी। आज की स्कूली शिक्षा ज्ञान तो दे रही है लेकिन कौशल विकास नहीं हो पा रहा है। सौ फीसद अंक तो दे रही है लेकिन रचनात्मकता का विकास नहीं हो पा रहा है। उन्होंने कहा कि स्कूली शिक्षा व व्यावहारिक जीवन के बीच बढ़ती खाई को भरने का यही सही समय है जब अनुभवपरक, व्यावहारिक, नैतिक, प्रयोगात्मक, कौशलपूर्ण, आनंददायक एवं रोजगारोन्मुख शिक्षा पर मंथन और जमीन पर उतारने की कोशिश होनी चाहिए।

यह स्वर्णिम अवसर है

सीबीएसई सचिव ने कहा कि ‘लॉकडाउन’ बच्चों, शिक्षकों एवं अभिभावकों के लिए स्वर्णिम अवसर है। सबके पास असीमित समय, घर जैसी प्रयोगशाला एवं इंटरनेट पर मौजूद दुनिया के सारे संसाधन चुटकियों में उपलब्ध हैं। बच्चों के लिए पूरा घर लर्निग सेंटर हो सकता है। ई-क्लासेस, प्रोजेक्ट्स, एक्टिविटीज, फन, गेम्स, वीडियो शूट आदि गतिविधियां रूढ़ीवादी शिक्षण से निजात दिला सकती हैं। शिक्षक स्वयं को ऑनलाइन टीचिंग, ई-कंटेंट, खुद के वीडियोज, लेसन प्लान, असाइनमेंट आदि में विशेषज्ञता हासिल कर सकते हैं।

ऑनलाइन क्लासेस लें, कुछ नया सीखें

अनुराग त्रिपाठी ने बच्चों को ऑनलाइन क्लासेस के माध्यम से म्यूजिक, डांस, ड्रामा, वादन, गायन, भाषण, थिएटर, ड्रेस डिजाइनिंग, इंटीरियर डिजाइनिंग, ड्राइंग, पेंटिंग, रोबोटिक्स आदि कोर्स कोर्स करने को प्रेरित किया है। इसके साथ ही छोटी-छोटी वीडियोज बनाकर रिश्तेदारों को भेजें और ऑनलाइन पोस्ट कर रचनात्मकता बढ़ाएं। नए-नए लिरिक्स, गीत, एल्बम व डायलॉग का सृजन करें। साहित्यिक प्रतिभा को निखारते हुए कविताएं, कहानियां, नाटक, उपन्यास, संस्मरण, डायरी, रिपोर्ताज, चुटकुले, भाषण एवं गीत लिख सकते हैं।

अब नंबरों का स्थान स्किल्स ने लिया

सीबीएसई सचिव ने कहा कि 21वीं शताब्दी क्षमता विकास और कौशल विकास की सदी है। वह समय गया जब 100 में से 100 नंबर लाने वाले बच्चे सबसे होनकार होते थे। अब नंबरों का स्थान स्किल्स ने ले लिया है। दुनिया की सारी कंपनियां व संगठन् अब इनोवेटर्स, क्रिएटर्स, कोलाबोरेटर्स, कम्यूनिकेटर्स, थिंकर्स, एलाइजर्स, लीडर्स एवं सोशल कौशल रखने वाले लोगों को तलाश रही हैं। यह समय बच्चों, शिक्षकों व परिजनों को अपनी क्षमताओं का विकास करने का है। छुट्टियों के इस माहौल में कोई न कोई इनोवेशन यानी आविष्कार जरूर करें। आपके छोटे-छोटे प्रयोग ही आगे चलकर आपको एडिशन एवं आइंसटाइन की कतार में खड़ा करेंगे।

छात्र डिजिटल सेवाओं का करें सदुपयोग

अनुराग त्रिपाठी ने कहा कि अधिकतर स्कूलों ने ऑनलाइन क्लासेस शुरू कर दी हैं। गूगल क्लासरूम, खान एकेडमी, बाइजू आदि का इस्तेमाल कर बच्चों को ई-कंटेंट मुहैया करा रहे हैं। एमएचआरडी ने भी स्वयं पोर्टल व स्वयं प्रभा चैनल के जरिए डिजिटल लर्निग मैटेरियल मुहैया कराया है। इनके जरिए डिजिटल क्लासरूम को बढ़ावा दीजिए। उन्होंने कहरा कि इस बात की कल्पना करें कि जब एक उत्कृष्ट शिक्षक डिजिटल क्लासरूम के जरिए हजारों बच्चों को एक साथ सिखा रहे होंगे तो किताबें, कंटेंट एवं अच्छे शिक्षक की कमी सदा के लिए खत्म हो जाएगी। इसलिए लॉकडाउन का लाभ उठाते हुए बच्चें को मुस्कुराने का मौका दें और एक भारत श्रेष्ठ भारत के सपने को साकार करें। 


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