Move to Jagran APP

राम, रावण और महाभारत से है मेरठ का नाता, यहीं है रावण की ससुराल व महाभारत का हस्तिनापुर

मेरठ में पहले से ही है रामयण और महाभारत का नाता। कहा जाता है कि हस्तिनापुर रावण का ससुराल है। साथ ही महाभारत में भी इस शहर का जिक्र मिलता है।

By Taruna TayalEdited By: Published: Sun, 29 Mar 2020 11:30 AM (IST)Updated: Sun, 29 Mar 2020 11:30 AM (IST)
राम, रावण और महाभारत से है मेरठ का नाता, यहीं है रावण की ससुराल व महाभारत का हस्तिनापुर
राम, रावण और महाभारत से है मेरठ का नाता, यहीं है रावण की ससुराल व महाभारत का हस्तिनापुर

मेरठ, जेएनएन । यादों का चलचित्र रीप्ले होने लगा है। पुराने पन्ने पलटे जाने लगे हैं। गूगल पर रामायण वाले अरुण गोविल सर्च हो रहे हैं। मिसाइल और राफेल जान चुके बच्चे सर्च इंजन पर अब महाभारतकालीन अस्त्र-शस्त्र की जानकारी ढूंढने में जुटे हैं। रामायण और महाभारत जैसे प्रसिद्ध धारावाहिकोंकी वजह से कभी गांव-शहर अघोषित लॉकडाउन हो जाया करते थे। वहीं अब कोरोना के लॉकडाउन में ये धारावाहिक फिर से वही प्रसिद्धि पा रहे हैं। इन्हीं चर्चा के बीच यह भी जानना दिलचस्प है कि राम, रावण और महाभारत का मेरठ से भी नाता है।

loksabha election banner

रामानंद सागर की रामायण के श्रीराम यानी अरुण गोविल की तस्वीर घर-घर में लगने लगी थी। वहीं श्रीराम के प्रतीक चित्र हो गए थे। गोविल मेरठ के ही हैं। सदर के पास गांधीनगर कॉलोनी में 1958 में उनका जन्म हुआ था। 1975 में वह व्यवसाय करने मुंबई चले गए। मायानगरी उन्हें अभिनय की ओर लेकर चली गई। कई फिल्मों में काम करने के बाद रामानंद सागर के धारावाहिक विक्रम-बेताल में उन्हें विक्रमादित्य की भूमिका मिली। इससे प्रभावित होकर सागर ने उन्हंे रामायण में श्रीराम बनाया। अब बात करते हैं रावण की ससुराल की। मेरठ का प्राचीन नाम मयराष्ट्र था। रावण की पत्नी मंदोदरी का यहां मायका है। इसीलिए यहां पर दशहरा के समय रावण की पूजा भी होती है और पुतला दहन भी। कभी मेरठ का हिस्सा रहे बागपत जिले में एक गांव का नाम ही रावण उर्फ बड़ा गांव है।

उधर, महाभारतकालीन हस्तिनापुर मेरठ में ही है। वर्तमान में हस्तिनापुर के अवशेष के रूप में पांडव टीला है। कर्ण मंदिर है और द्रोपदी तालाब समेत पांडवेश्वर महादेव मंदिर आदि हैं। विदुर कुटी के साथ और भी बहुत कुछ है। जिस लाक्षागृह यानी लाह के महल में पांडवों को जलाने की साजिश रची गई थी वह मेरठ का हिस्सा रहे बागपत जिले के बरनावा में है। लाक्षागृह की गुफाएं इसकी प्रमाण हैं। इसे पुरातत्व विभाग की ओर से संरक्षित किया गया है।

मेरठ आते रहते हैं गोविल

अरुण गोविल के पिता मूल रूप से सहारनपुर के रहने वाले थे। सरकारी नौकरी की वजह से उनका स्थानांतरण मथुरा हो गया पर मुंबई चले जाने के कारण अरुण का निवास मेरठ नहीं रह गया। पर यहां के लोग उनसे जुड़े रहे और वह भी यहां से जुड़ाव रखते हैं। इसलिए वह समय-समय पर मेरठ आते रहते हैं। पसवाड़ा पेपर मिल के एमडी अर¨वद पसवाड़ा ने बताया कि वह भी व्यवसाय के लिए मुंबई जाया करते थे। उनकी वहां दोस्ती हो गई। 2018 में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव पर गोविल को आमंत्रित किया था।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.